Karnataka Hijab Ban: कोर्ट के अंतरिम राहत से इनकार के बाद मुस्लिम छात्राएं हिजाब उतारने को मज़बूर

कर्नाटक राज्य के पीयू कॉलेज और स्कूलों में हिजाब बैन के मामले पर कर्नाटक हाई कोर्ट आज पांचवीं बार सुनवाई करेगा। इससे पहले सोमवार को राज्य में दसवीं कक्षा तक के स्कूल खोल दिए गए हैं। जैसा कि हाई कोर्ट ने मुस्लिम छात्राओं को फैसला आने तक अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था, स्कूल कर्माचारियों द्वारा छात्राओं को हिजाब के साथ स्कूल/कक्षा में प्रवेश नहीं करने दिया गया।
मुस्लिम छात्राओं को कई संस्थानों द्वारा स्पष्ट रूप से निर्देश दिए गए थे कि - अगर आप कक्षा में प्रवेश चाहती हैं तो हिजाब हटाकर ही स्कूल आएं। कई जगहों से आने वाली रिपोर्टों में कहा गया है कि जब मुस्लिम छात्राओं ने अपना हिजाब नहीं हटाया तो उन्हें स्कूल परिसर में प्रवेश करने से मना कर दिया गया।
मांड्या में रोटरी एजुकेशनल सोसाइटी स्कूल के छात्राओं को शिक्षकों ने स्कूल परिसर में प्रवेश करने से पहले अपना हिजाब हटाने के लिए मज़बूर किया। कई शिक्षकों और कर्मचारियों को परिसर में प्रवेश करने से पहले अपना हिजाब या बुर्का उतारने के लिए भी कहा गया था। कई माता-पिता ने शिक्षकों से हिजाब हटाने से पहले छात्राओं को अपनी कक्षाओं में जाने की अनुमति देने का अनुरोध किया। बेलगावी में सरकार द्वारा संचालित सरदार हाई स्कूल में भी कहानी कुछ ऐसी ही थी। यहां भी शिक्षकों और कर्मचारियों ने मुस्लिम लड़कियों को स्कूल के गेट पर अपना बुर्का और हिजाब उतारने के लिए कहा। Also Read: कोई फैसला नहीं, कर्नाटक हाई कोर्ट में हिजाब बैन मामले की सुनवाई 15 फरवरी के लिए टली ! कोडागु ज़िले में 30 से ज़्यादा छात्राओं को उनके हिजाब नहीं हटाने की वजह से कक्षा में प्रवेश नहीं दिया गया और उन्हें वापस अपने घर भेज दिया गया। शिमोग्गा ज़िले में, केपीएस स्कूल में कक्षा 10 की 10 और कक्षा 9 की दो छात्राओं ने अपना हिजाब हटाने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उन्हें स्कूल में प्रवेश करने से रोक दिया गया। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक़, उडुपी ज़िले के स्कूल, जहां पिछले महीने कुछ सरकारी कॉलेजों में प्री-यूनिवर्सिटी के छात्राओं को हेडस्कार्फ़ के साथ कक्षाओं में प्रवेश करने से रोक दिया गया था। अधिकारियों ने बताया कि उडुपी के स्कूलों में हिजाब पहनकर पहुंची मुस्लिम लड़कियों ने स्कूल परिसर में प्रवेश करने से पहले उन्हें हटा दिया था।
मांड्या में रोटरी एजुकेशनल सोसाइटी स्कूल के छात्राओं को शिक्षकों ने स्कूल परिसर में प्रवेश करने से पहले अपना हिजाब हटाने के लिए मज़बूर किया। कई शिक्षकों और कर्मचारियों को परिसर में प्रवेश करने से पहले अपना हिजाब या बुर्का उतारने के लिए भी कहा गया था। कई माता-पिता ने शिक्षकों से हिजाब हटाने से पहले छात्राओं को अपनी कक्षाओं में जाने की अनुमति देने का अनुरोध किया। बेलगावी में सरकार द्वारा संचालित सरदार हाई स्कूल में भी कहानी कुछ ऐसी ही थी। यहां भी शिक्षकों और कर्मचारियों ने मुस्लिम लड़कियों को स्कूल के गेट पर अपना बुर्का और हिजाब उतारने के लिए कहा। Also Read: कोई फैसला नहीं, कर्नाटक हाई कोर्ट में हिजाब बैन मामले की सुनवाई 15 फरवरी के लिए टली ! कोडागु ज़िले में 30 से ज़्यादा छात्राओं को उनके हिजाब नहीं हटाने की वजह से कक्षा में प्रवेश नहीं दिया गया और उन्हें वापस अपने घर भेज दिया गया। शिमोग्गा ज़िले में, केपीएस स्कूल में कक्षा 10 की 10 और कक्षा 9 की दो छात्राओं ने अपना हिजाब हटाने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उन्हें स्कूल में प्रवेश करने से रोक दिया गया। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक़, उडुपी ज़िले के स्कूल, जहां पिछले महीने कुछ सरकारी कॉलेजों में प्री-यूनिवर्सिटी के छात्राओं को हेडस्कार्फ़ के साथ कक्षाओं में प्रवेश करने से रोक दिया गया था। अधिकारियों ने बताया कि उडुपी के स्कूलों में हिजाब पहनकर पहुंची मुस्लिम लड़कियों ने स्कूल परिसर में प्रवेश करने से पहले उन्हें हटा दिया था।
उडुपी में महिलाओं के लिए सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज और क्षेत्र के अन्य पीयू और डिग्री कॉलेज सोमवार को बंद रहे। कर्नाटक सरकार ने कॉलेजों को 15 और 16 फरवरी तक के लिए बंद रखने का ऐलान किया था। हालांकि उत्तर कर्नाटक में मुस्लिम छात्राओं को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा। यहां स्कूल अधिकारियों ने छात्राओं को हेडस्कार्फ के साथ कक्षा में प्रवेश की अनुमति दी। आज, 15 फरवरी को इस मामले पर कर्नाटक हाई कोर्ट एक बार फिर सुनवाई करेगा। कोर्ट में 2:30 बजे सुनवाई शुरु होगी। इससे पहले 14 फरवरी को कोर्ट ने अनुच्छेद 25(1) और (2) को लेकर सुनवाई की और कोर्ट ने यह देखने की कोशिश की कि सरकार ने क्या इस अनुच्छेद के नियमों का उल्लंघन किया है। हाई कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील देवदत्त कामत ने दलील दी थी राज्य सरकार द्वारा अनुच्छेद 25 के नियमों का उल्लंघन किया गया है। उनके मुताबिक़ सरकार मानती है कि हिजाब पहनना अनुच्छेद 25 द्वारा संरक्षित नहीं है लेकिन वकील कामत की दलील है कि सरकार का यह मानना बिल्कुल ग़लत है। छात्राएं हिजाब पहने या नहीं यह तय करने का अधिकार सरकार के हाथों में हैं, ना कि स्कूल/कॉलेज के। उनकी दलील थी कि सार्वजनिक व्यवस्था सरकार की ज़िम्मेदारी है और सरकार ही इसपर नियम बना सकती है।#KarnatakaHijabRow Visuals From Karnataka's Mandya Show #Muslim Teachers, Staff Of Govt. School Removing Hijabs And Burqas Before Entering Premises, Watched By School Officials. #KarnatakaHC Has Imposed Interim Ban On 'All Religious Clothing' In Schools, Hearing Ongoing Today pic.twitter.com/WvI7GxfBoF
— GoNewsIndia (@GoNews_India) February 14, 2022
ताज़ा वीडियो