कोरोना के चलते आलोचना के बीच पद से इस्तीफा देंगे जापान के PM सुगा

जापान के प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा ने अपने पद से त्यागपत्र देने का ऐलान किया है। इसका मतलब ये है कि अब जल्द ही जापान को नए पीएम की ज़रूरत होगी। देश में कोरोना के हालात हाथ से फिसलने के चलते पीएम सुगा की अनुमोदन रेटिंग में तेज़ी से गिरावट आई। सुगा पिछले साल सितंबर में ही जापान के प्रधानमंत्री बने थे लेकिन इसके बाद देश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के चलते उन्हें आम जनता के गुस्से का शिकार होना पड़ा और इस साल जुलाई में उनकी अप्रूवल रेटिंग गिर कर 34% हो गई थी।
उनके नेतृत्व में सरकार ने ‘गो टू ट्रैवल’ यानि यात्रा करों प्रोग्राम शुरू किया। इसका मकसद घरेलु यात्रा के ज़रिए अर्थव्यवस्था को गति देना था हालांकि एक बार फिर जापानी सरकार की ये पहल उस पर ही भारी पड़ी और उसे देश में संक्रमण फैलाने के लिए आलोचना झेलनी पड़ी।
इसके बाद टोक्यो ओलंपिक के आयोजन ने सरकार को फिर आपत्तियों के घेरे में ला कर खड़ा कर दिया। ओलंपिक से पहले जापान में संक्रमण की लहर का शिकार हो रहा था। उस पर भी अकेले टोक्यो में ही बड़ी संख्या में कोविड के मरीज सामने आ रहे थे। यह उस समय कोरोना का हॉटस्पॉट बन चुका था। 11 जनवरी को देश में संक्रमण के 4,928 मामले सामने आए। इनमें से सिर्फ टोक्यो में ही 1,219 केस दर्ज किए गए थे यानि कि कुल मामलों का लगभग चौथाई हिस्सा। इस तरह 15 मई को दर्ज कुल मामलों में टोक्यो की 12.1% की हिस्सेदारी थी।
ओलंपिक शुरू होने के पांच दिन बाद 28 जुलाई को टोक्यो में संक्रमण का आंकड़ा जनवरी की पीक तक पहुंच गया था। तब जापान में संक्रमण के मामलों का साप्ताहिक औसत 1,955 केस का था जो कि जनवरी 11 को दर्ज किए गए 1,813 मामलों से अधिक था। वहां संक्रमण की गंभीरता का अंदाज़ा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि ओलंपिक शुरू होने से पहले ही इसमें भाग लेने वाले एथलीट समेत अधिकारी, ठेकेदार और मीडिया से 88 लोग संक्रमित पाए गए थे। इसके बाद ओलंपिक्स ने 23 जुलाई से 8 अगस्त के बीच 370 केस का ऐलान किया था। इस दौरान 5 अगस्त को सबसे अधिक 5 संक्रमित मामलों का ऐलान किया गया था।
यहां तक कि एक महिला एथलीट जो पेरू से यात्रा कर खेल में हिस्सा लेने पहुंची थी, उसे 20 जुलाई को कोरोना के लैम्ब्डा वेरिएंट से संक्रमित पाया गया था। इस वेरिएंट के सामूहिक तौर पर फैलने की आशंका जताई गई है। ओइटा विश्वविद्यालय में माइक्रोबायोलॉजी के प्रोफेसर, किरा निशिज़ोनो ने इस स्ट्रेन के जापान में प्रबल रूप लेने की आशंका ज़ाहिर की थी। वहीं हाल ही में 1 सितंबर को जापान को कोविड के नए वेरिएंट म्यू से दो महिलाओं को संक्रमित पाया गया है। इन महिलाओं ने हवाई यात्रा की थी।
रिपोर्ट्स से पता चलता है कि जापान ने शुरूआत में संक्रमण की स्थिति को संभाला और वहां अपेक्षाकृत कम मरीजों की मौत हुई लेकिन संक्रमण को रोकने के लिए सबसे ज़रूरी कदम टीकाकरण को जापान ने नज़रंदाज किया। वहां फरवरी में बड़े स्तर पर टीकाकरण शुरू हुआ और मौजूदा समय में वह उन विकसित देशों में से है जहां पूर्ण टीकाकरण दर काफी कम है। देश में अब तक 52 फीसदी लोगों को ही कोविड टीकों की ज़रूरी खुराक दी गई है जबकि ओलंपिक शुरू होने से पहले सिर्फ 6.84% आबादी पूर्ण टीकाकृत थी और 18.19% लोगों को कोरोना रोधी टीकों की एक खुराक दी गई थी।
जापान में संक्रमण के मामलों में भले ही ओलंपिक से जुड़े केस की हिस्सेदारी कम हो लेकिन कई और आलोचनाओं के कारण भी खेल को टालने या रद्द करने की मांग की जा रही थी। सॉफ्ट बैंक के सीईओ मासायोशी सोन ने एक ट्वीट में कहा था, ‘भारी जुर्माने की बात हो रही है, लेकिन अगर 200 देशों के 100,000 लोग टीकाकरण में पिछड़े जापान में उतरते हैं और म्यूटेंट वैरिएंट फैलता है, तो मुझे लगता है कि हम और भी बहुत कुछ खो सकते हैं: जीवन, सब्सिडी का बोझ अगर आपातकाल की स्थिति होती है, सकल घरेलू उत्पाद में गिरावट, और जनता का धैर्य।’
उन्होंने एक और ट्वीट में दावा किया था कि 80 प्रतिशत लोग चाहते हैं कि इसे स्थगित कर दिया जाए। एथलीट और दूसरे अधिकारियों के जमावड़े के अलावा ओलंपिक के लिए दुर्लभ संसाधनों के उपयोग और कोरोनावायरस सुरक्षा के संबंध में सरकार के संदेश को भ्रमित करने के बारे में चिंताएं थीं। जापानी पीएम सुगा के अलावा उनके मलेशिया और थाइलैंड के समकक्ष को भी कोरोना संक्रमण की स्थिति न संभाल पाने के लिए आलोचनाओं का शिकार होना पड़ रहा है। बता दें कि मौजूदा समय में जापान में 15.5 संक्रमित मामले दर्ज किए जा चुके हैं जबकि 16,279 मरीजों की मौत हुई है।
फिलहाल टोक्यो में पैरालंपिक चल रहे हैं। इसमें अब तक 13 एथलीट और 16 मीडियाकर्मियों के COVID पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई है।
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