भारतीय मीडिया से खोजी पत्रकारिता ग़ायब हो रही है : सीजेआई एनवी रमना
संरक्षक की भूमिका निभाने वाले लोगों और संस्थानों की सामूहिक विफलताओं को मीडिया द्वारा उजागर करने की ज़रूरत है...

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने बुधवार को कहा कि भारत में खोजी पत्रकारिता की अवधारणा "दुर्भाग्य से" मीडिया से ग़ायब हो रही है। सीजेआई एनवी रमना ने भारत में पत्रकारिता के गिरते स्तर पर अफसोस जताया और कहा कि “कम से कम भारतीय संदर्भ में खोजी पत्रकारिता ग़ायब हो गई है।”
सीजेआई एनवी रमना क़ानून की प्रैक्टिस करने से पहले एक पत्रकार थे। उन्होंने कहा कि आज मीडिया द्वारा कोई बड़ा खुलासा नहीं किया जाता या कोई गंभीर स्टोरी नहीं की जाती। उन्होंने अतीत की पत्रकारिता को याद किया और कहा कि पहले अख़बारों ने बड़े घोटालों को उजागर करने में बड़ी भूमिका निभाई, जिसके गंभीर परिणाम भी आए।
सीजेआई ने कहा, “जब हम बड़े हो रहे थे, तो हम बड़े घोटालों को उजागर करने वाले अख़बारों की उत्सुकता से इंतज़ार करते थे और अख़बारों ने हमें उन दिनों कभी निराश नहीं किया। एक या दो को छोड़कर, मुझे (हाल के दिनों में) इस तरह की कोई स्टोरी याद नहीं है। हमारे बगीचे में सब कुछ ग़ुलाबी प्रतीत होता है।” सीजेआई एनवी रमना सुधाकर रेड्डी उडुमुला की किताब 'ब्लड सैंडर्स: द ग्रेट फॉरेस्ट हीस्ट' के विमोचन के मौके पर बोल रहे थे। इस दौरान सीजेआई ने महात्मा गांधी के शब्दों को याद किया और कहा, “अख़बारों को सच्चाई जानने के लिए पढ़ा जाना चाहिए। उन्हें स्वतंत्र सोच की आदत को मारने की इजाज़त नहीं दी जानी चाहिए।" मुझे उम्मीद है कि मीडिया आत्मनिरीक्षण करेगा और महात्मा के इन शब्दों के खिलाफ खुद को परखेगा।" सीजीआई एनवी रमना ने लेखक सुधाकर रेड्डी उडुमुला की उनकी किताब 'ब्लड सैंडर्स: द ग्रेट फॉरेस्ट हीस्ट' में बड़े रिसर्च की सराहना की जो लाल चंदन के पेड़ों की तस्करी पर छपी पहली डिटेल्ड किताब है। सीजेआई एनवी रमना ने बताया, “उनकी किताब आंध्र प्रदेश के चित्तूर, नेल्लोर, प्रकाशम, कडपा और कुरनूल जिलों में फैले नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र के साथ क्या ग़लत हुआ, इस बारे में पूरी जानकारी देती है। लाल चंदन के पेड़ कुछ दशकों पहले इन इलाकों में पनपे थे। अब यह सभी अच्छी चीज़ों की तरह ख़तरे का सामना कर रहा है।” सीजेआई एनवी रमना ने साथ ही सुझाव दिया कि शेषचलम (आंध्र प्रदेश) में लाल चंदन की तस्करी से निपने के लिए अधिकारियों को आदिवासी आबादी की मदद लेने पर विचार करना चाहिए। सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि, “लाल चंदन की सुरक्षा के लिए पहले से मौजूद क़ानूनों को लागू करने के लिए इच्छासक्ति की कमी थी। यहां से ही मीडिया को अपनी भूमिका निभाने की ज़रूरत है। संरक्षक की भूमिका निभाने वाले लोगों और संस्थानों की सामूहिक विफलताओं को मीडिया द्वारा उजागर करने की ज़रूरत है।" उन्होंने कहा कि लोगों को इस प्रक्रिया में कमियों के बारे में जागरूक करने की ज़रूरत है, एक ऐसा काम जो सिर्फ मीडिया ही कर सकता है।
सीजेआई ने कहा, “जब हम बड़े हो रहे थे, तो हम बड़े घोटालों को उजागर करने वाले अख़बारों की उत्सुकता से इंतज़ार करते थे और अख़बारों ने हमें उन दिनों कभी निराश नहीं किया। एक या दो को छोड़कर, मुझे (हाल के दिनों में) इस तरह की कोई स्टोरी याद नहीं है। हमारे बगीचे में सब कुछ ग़ुलाबी प्रतीत होता है।” सीजेआई एनवी रमना सुधाकर रेड्डी उडुमुला की किताब 'ब्लड सैंडर्स: द ग्रेट फॉरेस्ट हीस्ट' के विमोचन के मौके पर बोल रहे थे। इस दौरान सीजेआई ने महात्मा गांधी के शब्दों को याद किया और कहा, “अख़बारों को सच्चाई जानने के लिए पढ़ा जाना चाहिए। उन्हें स्वतंत्र सोच की आदत को मारने की इजाज़त नहीं दी जानी चाहिए।" मुझे उम्मीद है कि मीडिया आत्मनिरीक्षण करेगा और महात्मा के इन शब्दों के खिलाफ खुद को परखेगा।" सीजीआई एनवी रमना ने लेखक सुधाकर रेड्डी उडुमुला की उनकी किताब 'ब्लड सैंडर्स: द ग्रेट फॉरेस्ट हीस्ट' में बड़े रिसर्च की सराहना की जो लाल चंदन के पेड़ों की तस्करी पर छपी पहली डिटेल्ड किताब है। सीजेआई एनवी रमना ने बताया, “उनकी किताब आंध्र प्रदेश के चित्तूर, नेल्लोर, प्रकाशम, कडपा और कुरनूल जिलों में फैले नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र के साथ क्या ग़लत हुआ, इस बारे में पूरी जानकारी देती है। लाल चंदन के पेड़ कुछ दशकों पहले इन इलाकों में पनपे थे। अब यह सभी अच्छी चीज़ों की तरह ख़तरे का सामना कर रहा है।” सीजेआई एनवी रमना ने साथ ही सुझाव दिया कि शेषचलम (आंध्र प्रदेश) में लाल चंदन की तस्करी से निपने के लिए अधिकारियों को आदिवासी आबादी की मदद लेने पर विचार करना चाहिए। सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि, “लाल चंदन की सुरक्षा के लिए पहले से मौजूद क़ानूनों को लागू करने के लिए इच्छासक्ति की कमी थी। यहां से ही मीडिया को अपनी भूमिका निभाने की ज़रूरत है। संरक्षक की भूमिका निभाने वाले लोगों और संस्थानों की सामूहिक विफलताओं को मीडिया द्वारा उजागर करने की ज़रूरत है।" उन्होंने कहा कि लोगों को इस प्रक्रिया में कमियों के बारे में जागरूक करने की ज़रूरत है, एक ऐसा काम जो सिर्फ मीडिया ही कर सकता है।
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