फरवरी महीने में औद्योगिक उत्पादन उम्मीद से आधा; महंगाई 6.9 फीसदी

आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर भारत में औद्योगिक उत्पादन में उम्मीदों के मुताबिक़ ग्रोथ नहीं हो रही है। MoSPI - Ministry of Statistics and Programme Implementation ने IIP - Index of Industrial Production जारी की है जिसके आंकड़ों चौंका देने वाले हैं।
बताया गया है कि फरवरी महीने में औद्योगिक उत्पादन (Industrial Production) 1.7 फीसदी की दर से बढ़ी है, जो पिछले महीने (जनवरी) में संशोधित 1.5 फीसदी से ज़्यादा है, जबकि इसके 2.6 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद थी। मासिक आधार पर, औद्योगिक उत्पादन 4.7 फीसदी गिरी है।
बिजली उत्पादन तेज़ी से बढ़ी है - फरवरी महीने में 4.5 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई जो जनवरी में 0.9 फीसदी थी। वहीं खनन में 2.8 फीसदी के मुक़ाबले फरवरी में 4.5 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई, जबकि विनिर्माण क्षेत्र में 0.8 फीसदी की ग्रोथ हुई जो जनवरी में 1.3 फीसदी के मुक़ाबले कम है। 2021 की अप्रैल-फरवरी की अवधि को देखते हुए साल दर साल उत्पादन में 12.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। एक साल पहले की तुलना में प्राथमिक वस्तुओं का उत्पादन 4.6% बढ़ा। एक महीने पहले इसमें 4.2 फीसदी की गिरावट आई थी। पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन एक साल पहले की तुलना में 1.1% बढ़ा, लेकिन एक महीने पहले की तुलना में यह सपाट रहा। इंटरमीडिएट गुड्स आउटपुट एक साल पहले की तुलना में 4.3% बढ़ा, लेकिन एक महीने पहले की तुलना में इसमें 4.5% की गिरावट आई। महंगाई में वार्षिक वृद्धि मार्च महीने में खुदरा महंगाई दर में, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक़ वार्षिक आधार पर 6.9 फीसदी की बढ़ोत्तरी देखी गई है। इसका मतलब यह है कि उपभोक्ताओं को उच्च कीमतों का सामना करना पड़ रहा है जबकि औद्योगिक उत्पादकता कम है, जो महामारी से आर्थिक सुधार के लिए चुनौतियों का संकेत है। कंज़्युमर प्राइस इंडेक्स पर आधारित मुद्रास्फीति में खाद्य तेलों (18.79%), सब्जियों (11.64%), मांस और मछली (9.63%), जूते और कपड़ों (9.4%), और ईंधन की कीमतों में सबसे ज़्यादा बढ़ोत्तरी देखी गई है। मुख्य मुद्रास्फीति, जिसमें खाद्य और ईंधन जैसी अस्थिर वस्तुओं को शामिल नहीं किया गया है, 10 महीने के उच्चतम 6.29 फीसदी पर दर्ज की गई, जो 5.96 प्रतिशत की मासिक वृद्धि का प्रतिनिधित्व करती है।
बिजली उत्पादन तेज़ी से बढ़ी है - फरवरी महीने में 4.5 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई जो जनवरी में 0.9 फीसदी थी। वहीं खनन में 2.8 फीसदी के मुक़ाबले फरवरी में 4.5 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई, जबकि विनिर्माण क्षेत्र में 0.8 फीसदी की ग्रोथ हुई जो जनवरी में 1.3 फीसदी के मुक़ाबले कम है। 2021 की अप्रैल-फरवरी की अवधि को देखते हुए साल दर साल उत्पादन में 12.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। एक साल पहले की तुलना में प्राथमिक वस्तुओं का उत्पादन 4.6% बढ़ा। एक महीने पहले इसमें 4.2 फीसदी की गिरावट आई थी। पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन एक साल पहले की तुलना में 1.1% बढ़ा, लेकिन एक महीने पहले की तुलना में यह सपाट रहा। इंटरमीडिएट गुड्स आउटपुट एक साल पहले की तुलना में 4.3% बढ़ा, लेकिन एक महीने पहले की तुलना में इसमें 4.5% की गिरावट आई। महंगाई में वार्षिक वृद्धि मार्च महीने में खुदरा महंगाई दर में, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक़ वार्षिक आधार पर 6.9 फीसदी की बढ़ोत्तरी देखी गई है। इसका मतलब यह है कि उपभोक्ताओं को उच्च कीमतों का सामना करना पड़ रहा है जबकि औद्योगिक उत्पादकता कम है, जो महामारी से आर्थिक सुधार के लिए चुनौतियों का संकेत है। कंज़्युमर प्राइस इंडेक्स पर आधारित मुद्रास्फीति में खाद्य तेलों (18.79%), सब्जियों (11.64%), मांस और मछली (9.63%), जूते और कपड़ों (9.4%), और ईंधन की कीमतों में सबसे ज़्यादा बढ़ोत्तरी देखी गई है। मुख्य मुद्रास्फीति, जिसमें खाद्य और ईंधन जैसी अस्थिर वस्तुओं को शामिल नहीं किया गया है, 10 महीने के उच्चतम 6.29 फीसदी पर दर्ज की गई, जो 5.96 प्रतिशत की मासिक वृद्धि का प्रतिनिधित्व करती है।
ताज़ा वीडियो