ईसाई समुदाय पर हमले से दुनिया में भारत की साख़ को बट्टा

ईसाई समुदाय के ख़िलाफ़ भारत में दुश्मनी की भावना पैदा हो रही है। ईसा मसीह की मूर्ती तोड़ने से लेकर, एक स्कूल में क्रिसमस समारोह पर विशेष समुदाय द्वारा आपत्ति और नोबल शांति पुरस्कार पाने वाली मदर टेरेसा द्वारा स्थापित कैथोलिक धार्मिक मण्डली मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी को एफसीआरए मंज़ूरी से इनकार करना कुछ नवीनतम घटनाएं हैं।
सोमवार को ख़बर आई कि भारत में मिशनरी ऑफ चैरिटी को विदेशी फंडिंग से रोक दिया गया है, जिससे महत्वपूर्ण संसाधनों को लिए फंड में कमी आ गई है। इस मामले की पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी आलोचना की है।
उन्होंने ट्वीट किया कि कार्रवाई के बाद, "उनके 22,000 रोगियों और कर्मचारियों को भोजन और दवाओं के बिना छोड़ दिया गया है।" वह अपने ट्वीट में आगे कहती हैं, कि जहां कानून सर्वोपरि है, वहां मानवीय प्रयासों से समझौता नहीं किया जाना चाहिए। सांप्रदायिक हिंसा और असामंजस्य की घटनाओं में बढ़तरी की चिंता के बीच, घरेलू स्तर पर पैदा होने वाली परेशानी ने विदेशी मीडिया का भी ध्यान आकर्षित किया है। ब्रिटिश मीडिया आउटलेट, द गार्डियन ने मंगलवार यानी 28 दिसंबर को चर्च पर हमले और क्रिसमस त्योहार के दिन हिंदू समूदाय द्वारा किए गए रोकटोक की ख़बरों को प्रमुखता से कवर किया है। दि गार्डियन ने कहा कि "क्रिसमस के दिन निर्णय लेने वाले गृह मंत्रालय ने कहा कि आवेदन पर विचार करते समय उसे "प्रतिकूल इनपुट" मिले थे। ....आवेदन की अस्वीकृति दो सप्ताह से भी कम समय में आती है जब हिंदू कट्टरपंथियों ने गुजरात राज्य के वडोदरा में लड़कियों के लिए एक घर में हिंदुओं के ईसाई धर्म में जबरन धर्मांतरण करने का आरोप लगाया।” लोकप्रिय समाचार मीडिया, बीबीसी ने भी मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ चैरिटी (MoC) को विदेशी फंडिंग से वंचित किए जाने के मामले को कवर किया है। बीबीसी द्वारा मंगलवार को प्रकाशित इस लेख का शीर्षक है, “भारत ने मदर टेरेसा चैरिटी के लिए विदेशी फंडिंग पर रोक लगाई।” यह (मिशनरीज ऑफ चैरिटी) दुनिया की सबसे प्रसिद्ध कैथोलिक चैरिटी में से एक है। मदर टेरेसा को उनके मानवीय कार्यों के लिए 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, और उनकी मृत्यु के 19 साल बाद 2016 में उन्हें पोप फ्रांसिस द्वारा संत घोषित किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने भारत में स्थित चैरिटी और अन्य ग़ैर सरकारी संगठनों के लिए विदेशी फंड को फ्रीज़ कर दिया है। पिछले साल प्रतिबंधों की वजह से ग्रीनपीस और एमनेस्टी इंटरनेशनल से संबंधित बैंक अकाउंट को फ्रीज़ कर दिया गया था। इनके अलावा पूरे भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हमले होते हैं। इस साल की शुरुआत में, प्रधानमंत्री जब जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए रोम गए थे तब उन्होंने पोप फ्रांसिस से मुलाक़ात की थी और उन्हें भारत आने का भी न्योता भी दिया था। विडंबना यह है कि मोदी के हिंदू ब्रांड सांसद तेजस्वी सूर्या ने 25 दिसंबर को क्रिसमस के मौके पर ज़हरीली बयानबाज़ी की। उन्होंने कहा, "सभी धार्मिक मठों को अन्य धर्मों के लोगों को हिंदू धर्म में वापस लाने की पहल करनी चाहिए।" उन्होंने खुले तौर पर अल्पसंख्यक धर्मों के धर्मांतरण की पैरवी की और यह भी दावा किया कि धर्मनिरपेक्षता ने हिंदुओं को प्रभावित किया है, जिससे मुसलमानों और ईसाइयों द्वारा अत्याचार सुनिश्चित किया गया।” अलजज़ीरा ने अपनी ख़बर में लिखा है, "3 अक्टूबर को, लोहे की छड़ों से लैस लगभग 250 हिंदू रक्षकों की भीड़ ने उत्तराखंड के रुड़की में एक चर्च में तोड़फोड़ की, जो कि एक भाजपा शासित राज्य भी है।” चर्च के पादरी की बेटी पर्ल लांस के साथ कथित तौर पर पुरुषों द्वारा छेड़छाड़ की गई, महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार और हमला किया गया और उसका फोन छीन लिया गया। चर्च के स्टाफ सदस्य रजत कुमार के सिर पर लोहे की रॉड से कई बार वार किया गया, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए।
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उन्होंने ट्वीट किया कि कार्रवाई के बाद, "उनके 22,000 रोगियों और कर्मचारियों को भोजन और दवाओं के बिना छोड़ दिया गया है।" वह अपने ट्वीट में आगे कहती हैं, कि जहां कानून सर्वोपरि है, वहां मानवीय प्रयासों से समझौता नहीं किया जाना चाहिए। सांप्रदायिक हिंसा और असामंजस्य की घटनाओं में बढ़तरी की चिंता के बीच, घरेलू स्तर पर पैदा होने वाली परेशानी ने विदेशी मीडिया का भी ध्यान आकर्षित किया है। ब्रिटिश मीडिया आउटलेट, द गार्डियन ने मंगलवार यानी 28 दिसंबर को चर्च पर हमले और क्रिसमस त्योहार के दिन हिंदू समूदाय द्वारा किए गए रोकटोक की ख़बरों को प्रमुखता से कवर किया है। दि गार्डियन ने कहा कि "क्रिसमस के दिन निर्णय लेने वाले गृह मंत्रालय ने कहा कि आवेदन पर विचार करते समय उसे "प्रतिकूल इनपुट" मिले थे। ....आवेदन की अस्वीकृति दो सप्ताह से भी कम समय में आती है जब हिंदू कट्टरपंथियों ने गुजरात राज्य के वडोदरा में लड़कियों के लिए एक घर में हिंदुओं के ईसाई धर्म में जबरन धर्मांतरण करने का आरोप लगाया।” लोकप्रिय समाचार मीडिया, बीबीसी ने भी मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ चैरिटी (MoC) को विदेशी फंडिंग से वंचित किए जाने के मामले को कवर किया है। बीबीसी द्वारा मंगलवार को प्रकाशित इस लेख का शीर्षक है, “भारत ने मदर टेरेसा चैरिटी के लिए विदेशी फंडिंग पर रोक लगाई।” यह (मिशनरीज ऑफ चैरिटी) दुनिया की सबसे प्रसिद्ध कैथोलिक चैरिटी में से एक है। मदर टेरेसा को उनके मानवीय कार्यों के लिए 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, और उनकी मृत्यु के 19 साल बाद 2016 में उन्हें पोप फ्रांसिस द्वारा संत घोषित किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने भारत में स्थित चैरिटी और अन्य ग़ैर सरकारी संगठनों के लिए विदेशी फंड को फ्रीज़ कर दिया है। पिछले साल प्रतिबंधों की वजह से ग्रीनपीस और एमनेस्टी इंटरनेशनल से संबंधित बैंक अकाउंट को फ्रीज़ कर दिया गया था। इनके अलावा पूरे भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हमले होते हैं। इस साल की शुरुआत में, प्रधानमंत्री जब जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए रोम गए थे तब उन्होंने पोप फ्रांसिस से मुलाक़ात की थी और उन्हें भारत आने का भी न्योता भी दिया था। विडंबना यह है कि मोदी के हिंदू ब्रांड सांसद तेजस्वी सूर्या ने 25 दिसंबर को क्रिसमस के मौके पर ज़हरीली बयानबाज़ी की। उन्होंने कहा, "सभी धार्मिक मठों को अन्य धर्मों के लोगों को हिंदू धर्म में वापस लाने की पहल करनी चाहिए।" उन्होंने खुले तौर पर अल्पसंख्यक धर्मों के धर्मांतरण की पैरवी की और यह भी दावा किया कि धर्मनिरपेक्षता ने हिंदुओं को प्रभावित किया है, जिससे मुसलमानों और ईसाइयों द्वारा अत्याचार सुनिश्चित किया गया।” अलजज़ीरा ने अपनी ख़बर में लिखा है, "3 अक्टूबर को, लोहे की छड़ों से लैस लगभग 250 हिंदू रक्षकों की भीड़ ने उत्तराखंड के रुड़की में एक चर्च में तोड़फोड़ की, जो कि एक भाजपा शासित राज्य भी है।” चर्च के पादरी की बेटी पर्ल लांस के साथ कथित तौर पर पुरुषों द्वारा छेड़छाड़ की गई, महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार और हमला किया गया और उसका फोन छीन लिया गया। चर्च के स्टाफ सदस्य रजत कुमार के सिर पर लोहे की रॉड से कई बार वार किया गया, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए।
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