हिंद महासागर ज़्यादा तेज़ी से हो रहा गर्म, बाढ़ और चक्रवात की समस्या बढ़ने की आशंका: IPCC Report

by GoNews Desk 2 years ago Views 2134

Indian Ocean warming at higher rate than other oce
युनाइटेड नेशन की इंटर-गवर्नमेंट पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) वर्किंग ग्रुप-1 की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले कुछ दशकों में पूरे भारत और उपमहाद्वीप में गर्मी और सूखे की वजह से बारिश में बढ़ोत्तरी और इसके साथ ही चक्रवाती तूफानों में बढ़ोत्तरी होने की संभावना है।

आईपीसीसी की रिपोर्ट 195 देशों की सरकारों के सहयोग से वैज्ञानिकों ने 'क्लाइमेट चेंज 2021: द फिजिकल साइंस बेसिस' शीर्षक नाम से प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि हीट वेव और आर्द्र गर्मी इस दौरान अधिक तीव्र और लगातार बनी रहेगी। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस 21वीं सदी के दौरान वार्षिक और ग्रीष्म मानसून वर्षा दोनों में बढ़ोत्तरी होने की संभावना है।


रिपोर्ट में भारतीय उपमहाद्वीप के बारे में कहा गया है, "गर्मी के चरम स्तर में बढ़ोत्तरी देखी गई है जबकि ठंडे चरम के स्तर में कमी देखी गई और यह रूझान आने वाले समय में बरक़रार रहने वाले हैं।

यह भी कहा गया है कि दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई मानसून और पूर्वी एशियाई ग्रीष्मकालीन मानसून में होने वाली बारिश कम समय में आंतरिक परिवर्तनशीलता के प्रभावों पर हावी होगी और लंबे समय में बारिश में बढ़ोत्तरी होगी। बारिश में बढ़ोत्तरी भारत के दक्षिणी भागों में ज़्यादा समस्या पैदा कर सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक़ दक्षिण-पश्चिमी तट पर साल 1850-1900 की तुलना में बारिश लगभग 20 फीसदी तक बढ़ सकती है।

रिपोर्ट के मुताबिक़ अगर दुनिया 4 डिग्री सेल्सियस गर्म होती है तो भारत में सालाना होने वाली बारिश में 40 फीसदी की बढ़ोत्तरी हो सकती है।

डॉ. फ्राइडेरिक ओटो, जो पर्यावरण परिवर्तन संस्थान, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के एसोसिएट निदेशक और रिपोर्ट के लेखकों में एक हैं, उन्होंने कहा, “रिपोर्ट में महत्वपूर्ण बात यह है कि जलवायु परिवर्तन एक सच है, ग्लोबल वार्मिंग एक सच है और यह कि मानव प्रभाव की वजह से वार्मिंग हुई है, और अब यह अच्छी तरह से स्थापित है।

हमने दुनिया भर में तेजी से बदलाव देखा है, हीट वेव, भारी बारिश, सूखे और ऐसी घटनाओं के साथ या - गर्म, शुष्क हवा का मिश्रण, जंगल में आग लगना, हम ऐसे घटनाक्रम दुनिया के हर हिस्से में देख रहे हैं। भले ही हम पूर्व-औद्योगिक स्तरों से तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित कर लें, लेकिन हमें इन समस्याओं से जूझते रहना पड़ेगा।

एक अंग्रेज़ी दैनिक ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मौसम विज्ञान के वैज्ञानिक स्वप्ना पनिकल के हवाले से बताया है कि तटीय क्षेत्र के नुक़सान के साथ एशिया के चारों ओर समुद्र का स्तर वैश्विक औसत के मुक़ाबले तेजी से बढ़ा है। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि समुद्र के चरम स्तर में जो पहले 100 साल में एक बार बदलाव होता था, वो 2050 तक हर छह से नौ साल में बदल सकता है, जबकि साल 2100 तक इसमें हर साल बदलाव देखने को मिल सकता है।

उन्होंने कहा कि वैश्विक महासागरों की तुलना में उच्च दर के साथ हिंद महासागर गर्म हो रहा है। जानकारों की मानें तो, “समुद्र के स्तर में वृद्धि में थर्मल विस्तार का 50 फीसदी योगदान है। हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्र का स्तर भी बढ़ रहा है। वैश्विक स्तर पर औसतन समुद्र स्तर लगभग 3.7 मिलीमीटर प्रति वर्ष की दर से बढ़ रहा है जो 2006 और 2018 के बीच अनुमानित है।

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