ख़बरो के मामले में ऑनलाइन मीडिया ने टीवी और और प्रिंट को पीछे छोड़ा

देश में मीडिया की आज़ादी और इसके बदलते स्वरुप को लेकर चर्चा गर्म है। इसी बीच मशहूर न्यूज़ एजेंसी रायटर्स ने भारतीय मीडिया और खबरों की खपत को लेकर एक दिलचस्प रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक टीवी और अखबारों का वर्चस्व धीरे धीरे बाजार से खत्म हो रहा है और सोशल मीडिया भारतीयों की खबरों के मामले में पहली पसंद है।
सबसे चौकाने वाली बात रिपोर्ट में यह निकल कर आयी है कि अब ऑनलाइन मीडिया खबरों के मामले में टीवी और अखबार से कोसो आगे निकल गया है। मसलन समाचार के मुख्य स्रोत के मामले में 35 साल से कम उम्र के 56 फीसदी लोग ऑनलाइन मीडिया पर निर्भर है, 28 फीसदी सोशल मीडिया, केवल 2 फीसदी रेडियो, 16 फीसदी प्रिंट मीडिया और 26 फीसदी टीवी मीडिया निर्भर है।
इसी तरह समाचार के मुख्य स्रोत के मामले में 35 साल से ज्यादा उम्र के 38 फीसदी लोग ऑनलाइन मीडिया, 19 फीसदी सोशल मीडिया, 1 फीसदी रेडियो, 27 फीसदी अखबार और 34 फीसदी टीवी मीडिया पर निर्भर हैं। आसान भाषा में कहे तो जवान का मन टीवी और प्रिंट मीडिया से उचट रहा है, हालांकि उम्र दराज़ लोग अभी भी अखबार और टीवी को भरोसेमंद मानते है। हालांकि, इस रिपोर्ट में चिंताजनक बात भी सामने आई है। मालूम पड़ता है की 52 फीसदी जनता फेसबुक और लगभग इतनी ही लोग व्हाट्सप्प पर खबरों के लिए रुख कर रहे है। यह दोनों प्लेटफार्म अक्सर झूठी खबरे फ़ैलाने के लिए इस्तेमाल होते है और इनपर खबरों के नाम पर ज़हरीला और भ्रामक कंटेंट धलल्ले से शेयर होता है। भारत में फेसबुक और व्हाट्सप्प से खंबरे पाने वाले यूज़र्स का आँकड़ा अमेरिका, टर्की और ब्राज़ील से भी ज्यादा है। एक और बात जो सबसे ज़्यादा चौकाने वाली है कि खबरें पढ़ने के लिए 68 फीसदी भारतीय स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहे हैं, जबकि विकसित देश अमेरिका में यही आंकड़ा सिर्फ 39 फीसदी है। ज़ाहिर है इसकी वजह देश में पिछली सरकारों के दौरान हुई टेलीकॉम क्रांति है कि करोड़ों भारतीय आज स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते है और अपने आप को बाख़बर रखते है। रिपोर्ट यह भी बताती है कि आखिर एक भारतीय यूजर क्या सोच कर किसी खबर पर क्लिक करता है। मसलन 58 फीसदी लोग सबसे पहले न्यूज़ ब्रांड यानी मीडिया संस्थान के नाम पर ध्यान देते है, किसी भी खबर पर क्लिक करने से पहले। 63 फीसदी हेडलाइन और पिक्चर देखते हैं और 56 फीसदी देखते हैं कि आखिर उसे कौन उसकी टाइमलाइन पर ख़बर शेयर कर रहा है। 46 फीसदी लोग उस न्यूज़ आइटम पर कितने लाइक और कमेंट है, इसका भी ध्यान रखते है।
इसी तरह समाचार के मुख्य स्रोत के मामले में 35 साल से ज्यादा उम्र के 38 फीसदी लोग ऑनलाइन मीडिया, 19 फीसदी सोशल मीडिया, 1 फीसदी रेडियो, 27 फीसदी अखबार और 34 फीसदी टीवी मीडिया पर निर्भर हैं। आसान भाषा में कहे तो जवान का मन टीवी और प्रिंट मीडिया से उचट रहा है, हालांकि उम्र दराज़ लोग अभी भी अखबार और टीवी को भरोसेमंद मानते है। हालांकि, इस रिपोर्ट में चिंताजनक बात भी सामने आई है। मालूम पड़ता है की 52 फीसदी जनता फेसबुक और लगभग इतनी ही लोग व्हाट्सप्प पर खबरों के लिए रुख कर रहे है। यह दोनों प्लेटफार्म अक्सर झूठी खबरे फ़ैलाने के लिए इस्तेमाल होते है और इनपर खबरों के नाम पर ज़हरीला और भ्रामक कंटेंट धलल्ले से शेयर होता है। भारत में फेसबुक और व्हाट्सप्प से खंबरे पाने वाले यूज़र्स का आँकड़ा अमेरिका, टर्की और ब्राज़ील से भी ज्यादा है। एक और बात जो सबसे ज़्यादा चौकाने वाली है कि खबरें पढ़ने के लिए 68 फीसदी भारतीय स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहे हैं, जबकि विकसित देश अमेरिका में यही आंकड़ा सिर्फ 39 फीसदी है। ज़ाहिर है इसकी वजह देश में पिछली सरकारों के दौरान हुई टेलीकॉम क्रांति है कि करोड़ों भारतीय आज स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते है और अपने आप को बाख़बर रखते है। रिपोर्ट यह भी बताती है कि आखिर एक भारतीय यूजर क्या सोच कर किसी खबर पर क्लिक करता है। मसलन 58 फीसदी लोग सबसे पहले न्यूज़ ब्रांड यानी मीडिया संस्थान के नाम पर ध्यान देते है, किसी भी खबर पर क्लिक करने से पहले। 63 फीसदी हेडलाइन और पिक्चर देखते हैं और 56 फीसदी देखते हैं कि आखिर उसे कौन उसकी टाइमलाइन पर ख़बर शेयर कर रहा है। 46 फीसदी लोग उस न्यूज़ आइटम पर कितने लाइक और कमेंट है, इसका भी ध्यान रखते है।
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