सेना के बजट में कैसे 'हेरा-फेरी' कर रही है सरकार !

राष्ट्रीय सुरक्षा और सीमा पर तैनात जवानों का मुद्दा चुनावों में उछालने वाली बीजेपी सरकार वित्त वर्ष 2020-21 में एक रुपए में से सिर्फ 8 पैसा रक्षा क्षेत्र पर खर्च करेगी। रक्षा बजट का एक बड़ा हिस्सा सैन्यकर्मियों की तनख़्वाहों और पेंशन में निकल जाता है और ऐसे में सेना के आधुनिकीकरण के लिए पैसा बेहद कम बचता है. जीडीपी के बढ़ते आक़ार के मुक़ाबले रक्षा बजट का आकार छोटा होता जा रहा है.
शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट का लेखा जोखा पेश किया लेकिन उन्होंने रक्षा बजट का ज़िक्र नहीं किया। हालांकि, बजट 2020 के मुताबिक सरकार ने रक्षा क्षेत्र के बजट में 6 फीसदी की बढ़ोतरी की है। वित्त वर्ष 2020 में सरकार ने 3 लाख 37 हज़ार करोड़ रुपए रक्षा क्षेत्र के लिए आवंटित किये हैं, जोकि 2019-20 में दिए गए 3 लाख 18 हज़ार करोड़ रुपए से ज्यादा है। अब अगर जिसमे रिटायर्ड फौजियों को दी जाने वाली पेंशन को जोड़ दें, तो पूरा बजट 4 लाख 7 हज़ार करोड़ रुपए पहुंच जायेगा। यहां यह जानना ज़रूरी है बजट का एक बड़ा हिस्सा सैन्यकर्मियों की तनख़्वाह, पेंशन, राशन जैसी ज़रूरतों को पूरा करने पर खर्च होता है. और वन रैंक वन पेंशन योजना को लागू करने से सरकार पर दबाव काफी बढ़ गया है.
इस बजट में सेना के आधुनिकीकरण के लिए 1 लाख 10 हज़ार 734 करोड़ रुपए आवंटित किये गए, जोकि पिछले साल से केवल 10 हज़ार 340 करोड़ रुपये ज्यादा है। सबसे बड़ी बढ़ोतरी पेंशन के बजट में की गयी है जिसका आंकड़ा 1 लाख 17 हज़ार करोड़ से बढ़ाकर 1 लाख 33 हज़ार करोड़ कर दिया है। यानी कुल 16 हज़ार करोड़ की बढ़ोतरी. बजट के आंकड़े बताते हैं कि हमारी जीडीपी का आकार साल दर साल बढ़ा लेकिन उस अनुपात में रक्षा बजट में बढ़ोतरी होने की बजाय घटती चली गई. सरकारें कई सालों से रक्षा क्षेत्र के खर्चे की हिस्सेदारी में कटौती कर रही है। साल 2010-11 में जहां सरकार 1 रुपए में से 13 पैसे रक्षा क्षेत्र पर खर्च करती थी, वहीं अब सरकार ने केवल 8 पैसे खर्च करने का ऐलान किया है. वीडियो देखिये आसान भाषा में कहें तो पेंशन के खर्च को निकालकर सरकार वित्त वर्ष 2020 में जीडीपी का केवल 1.58 फीसदी रक्षा बजट पर खर्च करेगी जबकि 2014 में रक्षा क्षेत्र पर बनी स्टैंडिंग समिति अपनी रिपोर्ट में कह चुकी है कि सरकार को कम से कम 3 फीसदी रक्षा बजट पर खर्च करना चाहिए. विशेषज्ञों का कहना है इस वर्ष रक्षा का जीडीपी हिस्सा 58 साल पहले 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध के बाद सबसे कम है।
इस बजट में सेना के आधुनिकीकरण के लिए 1 लाख 10 हज़ार 734 करोड़ रुपए आवंटित किये गए, जोकि पिछले साल से केवल 10 हज़ार 340 करोड़ रुपये ज्यादा है। सबसे बड़ी बढ़ोतरी पेंशन के बजट में की गयी है जिसका आंकड़ा 1 लाख 17 हज़ार करोड़ से बढ़ाकर 1 लाख 33 हज़ार करोड़ कर दिया है। यानी कुल 16 हज़ार करोड़ की बढ़ोतरी. बजट के आंकड़े बताते हैं कि हमारी जीडीपी का आकार साल दर साल बढ़ा लेकिन उस अनुपात में रक्षा बजट में बढ़ोतरी होने की बजाय घटती चली गई. सरकारें कई सालों से रक्षा क्षेत्र के खर्चे की हिस्सेदारी में कटौती कर रही है। साल 2010-11 में जहां सरकार 1 रुपए में से 13 पैसे रक्षा क्षेत्र पर खर्च करती थी, वहीं अब सरकार ने केवल 8 पैसे खर्च करने का ऐलान किया है. वीडियो देखिये आसान भाषा में कहें तो पेंशन के खर्च को निकालकर सरकार वित्त वर्ष 2020 में जीडीपी का केवल 1.58 फीसदी रक्षा बजट पर खर्च करेगी जबकि 2014 में रक्षा क्षेत्र पर बनी स्टैंडिंग समिति अपनी रिपोर्ट में कह चुकी है कि सरकार को कम से कम 3 फीसदी रक्षा बजट पर खर्च करना चाहिए. विशेषज्ञों का कहना है इस वर्ष रक्षा का जीडीपी हिस्सा 58 साल पहले 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध के बाद सबसे कम है।
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