बीएसएफ के ज़रिए राज्य में हस्तक्षेप कर रहा गृह मंत्रालय ? इस फैसले के बाद लग रहे आरोप

by GoNews Desk 1 year ago Views 1841

Home Ministry monitoring the state from BSF?
गृह मंत्रालय ने सीमाई क्षेत्र का हवाला देकर पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा को लेकर बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को 15 किलोमीटर से बढ़ाकर 50 किलोमीटर करने का फैसला किया है। गृह मंत्रालय के मुताबिक़ ऐसा ऑपरेशनल कार्य में सुधार और तस्करी रैकेट पर नकेल कसने के लिए किया गया है।

राजजनीतिक गलियरों में बहस छिड़ी हुई है कि पंजाब और पश्चिम बंगाल ऐसे राज्य हैं जहां भारतीय जनता पार्टी का कोई वज़ूद नहीं है। इसलिए सरकार ऐसे निर्णय ले रही है। अमित शाह के नियंत्रण वाले गृह मंत्रालय के फैसले के बाद इन दोनों राज्यों ने प्रतिक्रिया दी है और अमित शाह के फैसले का विरोध किया है।


विपक्षी पार्टी की सरकारों ने अमित शाह के इस फैसले को "तर्कहीन", "संघवाद पर सीधा हमला" और “केन्द्रीय एजेंसियों के माध्यम से हस्तक्षेप करने" की कोशिश बताया है। मंत्रालय की तरफ से जारी अधीसूचना में कहा गया है कि बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र पर 2014 की एक पूर्व अधिसूचना में संशोधन किया गया है, जो बीएसएफ को राज्यों में जहां तक अंतरराष्ट्रीय सीमा लगती है, में अपनी शक्तियों के इस्तेमाल का अधिकार देता है।”

इसी अधीसूचना के साथ अब बीएसएफ को अमित शाह ने कई शक्तियां दी है। इसके साथ ही सीमावर्ती राज्यों पश्चिम बंगाल, पंजाब और असम में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को 50 किलोमीट तक बढ़ाया गया है। बीएसएफ को अब यह अधिकार दिया गया है कि वे इन राज्यों में अंतराष्ट्रीय सीमा से 50 किलोमीटर के दायरे में तलाशी और ज़ब्ती कर सकता है।

हालांकि लॉ एंड ऑर्डर राज्य का मामला है, ऐसे में अगर बीएसएफ अपनी अधिकार क्षेत्र का हवाला देकर तलाशी या जांच अभियान चलाती है तो क्षेत्र की पुलिस और बीएसएफ के बीच पॉवर की लड़ाई भी देखने को मिल सकती है। जैसे अगर देखें तो पंजाब के अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर पाकिस्तान की सीमा से 35 किलोमीटर की दूरी पर है, जो संशोधित नियम के मुताबिक़ बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में आता है।

3 जुलाई 2014 को गृह मंत्रालय के पहले अधीसूचना में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को "मणिपुर, मिज़ोरम, त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय राज्यों के पूरे क्षेत्र को रेखांकित किया गया था। इन राज्यों में बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र 80 किलोमीटर है। इनके अलावा गुजरात, राजस्थान में 80 किलोमीटर और पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम के लिए 15 किलोमीटर के दायरे को बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र घोषित किया गया था। इसी को बढ़ाकर अब अमित शाह ने 50 किलोमीटर कर दिया है।

इसी दौरान गृह मंत्रालय ने गुजरात में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को कम किया है और इसे 80 किलोमीटर से घटाकर 50 किलोमीटर कर दिया है।

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा, “मैं अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से लगे 50 किलोमीटर के दायरे में बीएसएफ को अतिरिक्त अधिकार देने के सरकार के एकतरफा फैसले की कड़ी निंदा करता हूं, जो संघवाद पर सीधा हमला है। मैं केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस तर्कहीन फैसले को तुरंत वापस लेने का आग्रह करता हूं।"

डिप्टी सीएम और पंजाब के गृह मंत्री सुखजिंदर रंधावा ने कहा, "हम इस फैसले की निंदा करते हैं। यह संघीय ढांचे का उल्लंघन है और पंजाब में भय का माहौल पैदा करेगा। लोग इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।" उन्होंने कहा, "पंजाब ने कभी सांप्रदायिक हिंसा नहीं देखी। हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राज्य की शांति भंग नहीं करने का आग्रह करते हैं।" उन्होंने गृह मंत्रालय के फैसले को “आंतरिक आपातकाल” क़रार दिया।

पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रमुख सुनील जाखड़ ने गृह मंत्रालय के इस आदेश को लेकर मुख्यमंत्री पर निशाना साधा। उन्होंने कहा- यह फैसला श्री चन्नी और अमित शाह की मुलाक़ात से एक हफ्ते बाद आया है, जिसमें उन्होंने उन्होंने ड्रग्स और हथियारों की तस्करी की जाँच के लिए अंतरराष्ट्रीय सीमा को सील करने का आह्वान किया था।

"सावधान रहें कि आप क्या पूछ रहे हैं! क्या चरणजीत चन्नी अनजाने में पंजाब का आधा हिस्सा केन्द्र सरकार को सौंपने दिया ? (कुल 50,000 वर्ग किमी में से) 25,000 वर्ग किमी को अब बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में रखा गया है।”

पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री और टीएमसी नेता फिरहाद हकीम ने कहा: “केन्द्र सरकार देश के संघीय ढांचे का उल्लंघन कर रही है। क़ानून और व्यवस्था राज्य का विषय है लेकिन केन्द्र सरकार केन्द्रीय एजेंसियों के माध्यम से हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रही है।”

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने ट्वीट किया कि केन्द्र का निर्णय "संवैधानिक सार्वजनिक व्यवस्था और राज्यों के पुलिसिंग रिमिट का उल्लंघन करता है" और "आधा पंजाब अब बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में आ जाएगा"।

उन्होंने बताया कि बीएसएफ अधिनियम के तहत, "धारा 139 (ii) बीएसएफ को गिरफ्तारी की व्यापक शक्तियां देती है। इसमें धारा 139 (1) के तहत निवारक गिरफ्तारी और 139 (ii) के तहत अपराध के बाद गिरफ्तारी की शक्तियां हैं। स्थानीय पुलिस के साथ परामर्श का कोई उल्लेख नहीं है।”

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