अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए सरकार की मौजूदा नीति घातक: पूर्व आरबीआई गवर्नर

सरकारी दावों को धता बताते हुए जीडीपी के ताज़ा आंकड़ों ने अर्थव्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है। अब आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि भारत के हालिया जारी जीडीपी के आंकड़े देश के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है। राजन ने रविवार रात अपने लिंक्डइन हैंडल पर लिखा कि भारत की अर्थव्यवस्था को जितना नुक्सान पंहुचा है, उतना तो विश्व के सबसे प्रवाभित 2 मुल्क -- अमेरिका और इटली -- को भी नहीं झेलना पड़ा।
सरकारी मदद को नाकाफी बताते हुए रघुराम ने लिखा कि भविष्य में मांग बढ़ाने के लिए संसाधनों को बचाकर रखने की सरकारी रणनीति अर्थव्यवस्था की लिए घातक साबित होगी और सरकार को चाहिए कि वो वर्तमान में ज्यादा से ज्यादा पैसा लोगों के हाथ में दे.
उन्होंने कहा कि बिना सरकारी राहत के कई परिवार के सामने रोटी का संकट पैदा होता है, लोग अपने बच्चों को स्कूल से बाहर निकालते हैं या फिर उन्हें काम करने के लिए भेजते हैं, अपने घर की कीमती चीज़ें गिरवी रखते हैं और क़र्ज़ में डूबते हैं. इससे अर्थव्यस्था का चक्का जाम हो जाता है. राजन ने कहा कि अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए सरकार को सबसे पहले मनरेगा में और पैसा डालना चाहिए, शहरी गरीबों को कैश ट्रांसफर योजना के द्वारा पैसा देना चाहिए, सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र की फर्मों को जल्दी से भुगतान करना होगा, पिछले साल छोटी कंपनियों द्वारा भुगतान किए गए कॉर्पोरेट आयकर और जीएसटी पर छूट प्रदान करनी चाहिए और सरकारी बैंकों को और मजबूत करना चाहिए. बता दें कि जून तिमाही के जीडीपी के आंकड़े स्वतंत्रता के बाद से भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास में सबसे ख़राब प्रदर्शन है। 2020-21 की अप्रैल-जून की तिमाही के दौरान कृषि को छोड़कर सभी क्षेत्रों में ज़बरदस्त गिरावट देखी गयी है.
उन्होंने कहा कि बिना सरकारी राहत के कई परिवार के सामने रोटी का संकट पैदा होता है, लोग अपने बच्चों को स्कूल से बाहर निकालते हैं या फिर उन्हें काम करने के लिए भेजते हैं, अपने घर की कीमती चीज़ें गिरवी रखते हैं और क़र्ज़ में डूबते हैं. इससे अर्थव्यस्था का चक्का जाम हो जाता है. राजन ने कहा कि अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए सरकार को सबसे पहले मनरेगा में और पैसा डालना चाहिए, शहरी गरीबों को कैश ट्रांसफर योजना के द्वारा पैसा देना चाहिए, सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र की फर्मों को जल्दी से भुगतान करना होगा, पिछले साल छोटी कंपनियों द्वारा भुगतान किए गए कॉर्पोरेट आयकर और जीएसटी पर छूट प्रदान करनी चाहिए और सरकारी बैंकों को और मजबूत करना चाहिए. बता दें कि जून तिमाही के जीडीपी के आंकड़े स्वतंत्रता के बाद से भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास में सबसे ख़राब प्रदर्शन है। 2020-21 की अप्रैल-जून की तिमाही के दौरान कृषि को छोड़कर सभी क्षेत्रों में ज़बरदस्त गिरावट देखी गयी है.
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