GoReports: इज़रायल और फलस्तीन के बीच क्यों हो रहे रॉकेट और मिसाइल हमले ?
'इस्लामिक देशों को एकजुट करने की ज़रूरत है...'

इज़रायल, औपनिवेशिक वॉर मशीन या यूं कहें कि हिंसा परस्त देश और फलस्तीनियों के बीच शुरु टकराव थमने का नाम नहीं ले रहा है। शुक्रवार को ईस्ट यरूशलम स्थित अल-अक़्सा मस्जिद के भीतर घुस इज़रायली सेना के हमले के बाद विरोध-प्रदर्शनों ने हिंसक रूप अख़्तियार कर लिया।
सोमवार को शुरु बमबारी लगातार जारी है जिसमें इज़रायल ने ग़ज़ा में कई इलाकों को निशाना बनाया है। इससे पहले साल 2014 में भी इज़रायल और ग़ज़ा के बीच बड़े स्तर पर हवाई हमले हुए थे जिसमें 13 लोग मारे गए थे और इसमें 11 सिर्फ बच्चे शामिल थे।
ग़ज़ा स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक़ इज़रायली हमले में कम से कम 40 फलस्तीनियों की मौत हुई है जिसमें कम से कम दस बच्चे शामिल हैं। उधर इज़रायली सेना का कहना है कि यरूशेलम और अन्य इलाकों में रॉकेट हमलों के जवाब में वे ग़ज़ा स्थिति 'चरमपंथियों' को निशाना बना रहा है।' इज़रायली सेना की ओर से ग़ज़ा पट्टी में दो टॉवर ब्लॉक को निशाना बनाया गया है जिसमें कई लोग मारे गए हैं। हालांकि फलस्तीनी स्वास्थ्य अधिकारियों ने मारे गए लोगों की संख्या नहीं बताई है। इसके बाद ग़ज़ा स्थित चरमपंथी संगठन हमास ने इज़रायल के तेल अवीव शहर पर मिसाइल से हमले किए, जिसमें कुछ लोगों के घायल होने की ख़बर है। हालांकि इसमें लोग भी मारे गए हैं, इस बात की पुष्टि नहीं हुई है। हमास, चरमपंथी संगठन का कहना है कि उसने इज़रायल के तेल अवीव शहर पर 200 मिसाइलों से हमले किए हैं। चरमपंथी संगठन का कहना है कि वो यरुशलम में अल-अक़्सा मस्जिद की इज़रायली 'आक्रमण और आतंकवाद' से हिफ़ाज़त कर रहा है। इस जगह पर यहूदी और मुसलमान दोनों ही अपने-अपने क़ब्ज़े का दावा करते हैं और इसे दोनों ही अपने लिए पवित्र जगह मानते हैं। इसी जगह पर इज़रायली सेना और फलस्तीन के शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पें हुई थीं जिसमें 200 से ज़्यादा प्रदर्शनकारी घायल हो गए थे। टकराव बढ़ने के साथ मंगलवार को चरमपंथी संगठन हमास ने कहा कि इज़राइल ने यरुशलम और अल-अक़्सा में उकसाने वाला काम किया है और इसकी आग गज़ा तक पहुँच गई है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़ हमास ने कहा कि 'टकराव बढ़ाने का जो भी अंजाम होगा, उसकी ज़िम्मेदारी इज़रायल की होगी'। दूसरी तरफ़ इज़रायली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने भी चेतावनी देते हुए कहा कि 'हमास को इसकी भारी क़ीमत चुकानी पड़ेगी'। हमास का कहना है कि, 'क़तर, मिस्र और संयुक्त राष्ट्र ने हमसे संपर्क कर शांति की अपील की है। लेकिन हमने इज़रायल को संदेश दिया है कि अगर वे टकराव चाहते हैं तो हम तैयार हैं और अगर वे इसे रोकना चाहते हैं तो भी हम तैयार हैं।' सोमवार को इसराइल में 1967 के युद्ध की याद में छुट्टी थी और इसी दिन हमास ने यरुशलम के बाहरी इलाक़ों में रॉकेट दागा था। दरअसल, 1967 के युद्ध में इज़रायल ने ईस्ट यरुशलम पर क़ब्ज़ा कर लिया था जहां मुसलमानों का तीसरा पवित्र स्थान अल-अक़्सा मस्ज़िद स्थित है। इसके बाद से ही लगातार यहां दोनों में टकराव और तनाव के हालात रहे हैं। अल-अक़्सा में इज़रायली हमले की दुनियाभर में आलोचना अल-अक़्सा मस्ज़िद के भीतर में इज़रायली सेना ने घुसकर प्रदर्शनकरियों पर हमले किए थे। सोशल मीडिया पर इसकी तस्वीरें साझा किए जाने के बाद इस्लामिक देशों समेत कई अन्य देश रूस और यूरोपियन यूनियन ने भी आलोचना की थी। रमज़ान के पवित्र महीने में इज़रायली हमले की सऊदी अरब, तुर्की, ईरान, पाकिस्तान, कुवैत और खाड़ी के कई देशों ने इज़रायल की खुलकर निंदा की थी। सऊदी अरब ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस टकराव के लिए इज़रायल को ज़िम्मेदार ठहराए जाने और तत्काल इसे रोके जाने की अपील की है। सऊदी अरब ने कहा कि इस टकराव में अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन हो रहा है। सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा, 'सऊदी अरब फ़लस्तीनियों के साथ खड़ा है। हम फ़लस्तीन में हर तरह के कब्जे को ख़त्म करने का समर्थन करते हैं। हमारा मानना है कि इस समस्या का समाधान तभी होगा जब फ़लस्तीनियों को 1967 की सीमा के तहत उनका एक स्वतंत्र मुल्क होगा, जिसकी राजधानी पूर्वी यरुशलम होगी। यह अंतरराषट्रीय प्रस्ताव और अरब शांति समझौतों के तहत ही है।'
ग़ज़ा स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक़ इज़रायली हमले में कम से कम 40 फलस्तीनियों की मौत हुई है जिसमें कम से कम दस बच्चे शामिल हैं। उधर इज़रायली सेना का कहना है कि यरूशेलम और अन्य इलाकों में रॉकेट हमलों के जवाब में वे ग़ज़ा स्थिति 'चरमपंथियों' को निशाना बना रहा है।' इज़रायली सेना की ओर से ग़ज़ा पट्टी में दो टॉवर ब्लॉक को निशाना बनाया गया है जिसमें कई लोग मारे गए हैं। हालांकि फलस्तीनी स्वास्थ्य अधिकारियों ने मारे गए लोगों की संख्या नहीं बताई है। इसके बाद ग़ज़ा स्थित चरमपंथी संगठन हमास ने इज़रायल के तेल अवीव शहर पर मिसाइल से हमले किए, जिसमें कुछ लोगों के घायल होने की ख़बर है। हालांकि इसमें लोग भी मारे गए हैं, इस बात की पुष्टि नहीं हुई है। हमास, चरमपंथी संगठन का कहना है कि उसने इज़रायल के तेल अवीव शहर पर 200 मिसाइलों से हमले किए हैं। चरमपंथी संगठन का कहना है कि वो यरुशलम में अल-अक़्सा मस्जिद की इज़रायली 'आक्रमण और आतंकवाद' से हिफ़ाज़त कर रहा है। इस जगह पर यहूदी और मुसलमान दोनों ही अपने-अपने क़ब्ज़े का दावा करते हैं और इसे दोनों ही अपने लिए पवित्र जगह मानते हैं। इसी जगह पर इज़रायली सेना और फलस्तीन के शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पें हुई थीं जिसमें 200 से ज़्यादा प्रदर्शनकारी घायल हो गए थे। टकराव बढ़ने के साथ मंगलवार को चरमपंथी संगठन हमास ने कहा कि इज़राइल ने यरुशलम और अल-अक़्सा में उकसाने वाला काम किया है और इसकी आग गज़ा तक पहुँच गई है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़ हमास ने कहा कि 'टकराव बढ़ाने का जो भी अंजाम होगा, उसकी ज़िम्मेदारी इज़रायल की होगी'। दूसरी तरफ़ इज़रायली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने भी चेतावनी देते हुए कहा कि 'हमास को इसकी भारी क़ीमत चुकानी पड़ेगी'। हमास का कहना है कि, 'क़तर, मिस्र और संयुक्त राष्ट्र ने हमसे संपर्क कर शांति की अपील की है। लेकिन हमने इज़रायल को संदेश दिया है कि अगर वे टकराव चाहते हैं तो हम तैयार हैं और अगर वे इसे रोकना चाहते हैं तो भी हम तैयार हैं।' सोमवार को इसराइल में 1967 के युद्ध की याद में छुट्टी थी और इसी दिन हमास ने यरुशलम के बाहरी इलाक़ों में रॉकेट दागा था। दरअसल, 1967 के युद्ध में इज़रायल ने ईस्ट यरुशलम पर क़ब्ज़ा कर लिया था जहां मुसलमानों का तीसरा पवित्र स्थान अल-अक़्सा मस्ज़िद स्थित है। इसके बाद से ही लगातार यहां दोनों में टकराव और तनाव के हालात रहे हैं। अल-अक़्सा में इज़रायली हमले की दुनियाभर में आलोचना अल-अक़्सा मस्ज़िद के भीतर में इज़रायली सेना ने घुसकर प्रदर्शनकरियों पर हमले किए थे। सोशल मीडिया पर इसकी तस्वीरें साझा किए जाने के बाद इस्लामिक देशों समेत कई अन्य देश रूस और यूरोपियन यूनियन ने भी आलोचना की थी। रमज़ान के पवित्र महीने में इज़रायली हमले की सऊदी अरब, तुर्की, ईरान, पाकिस्तान, कुवैत और खाड़ी के कई देशों ने इज़रायल की खुलकर निंदा की थी। सऊदी अरब ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस टकराव के लिए इज़रायल को ज़िम्मेदार ठहराए जाने और तत्काल इसे रोके जाने की अपील की है। सऊदी अरब ने कहा कि इस टकराव में अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन हो रहा है। सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा, 'सऊदी अरब फ़लस्तीनियों के साथ खड़ा है। हम फ़लस्तीन में हर तरह के कब्जे को ख़त्म करने का समर्थन करते हैं। हमारा मानना है कि इस समस्या का समाधान तभी होगा जब फ़लस्तीनियों को 1967 की सीमा के तहत उनका एक स्वतंत्र मुल्क होगा, जिसकी राजधानी पूर्वी यरुशलम होगी। यह अंतरराषट्रीय प्रस्ताव और अरब शांति समझौतों के तहत ही है।'
मुस्लिम संगठनों और नेताओं का विरोध मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ मंगलवार को मुस्लिम वर्ल्ड लीग ने भी अल अक़्सा मस्जिद में 'हमले' की निंदा की है। मुस्लिम वर्ल्ड लीग ने इस टकराव और इज़रायली सुरक्षा बलों की कार्रवाई की कड़ी निंदा की है। बीबीसी ने सऊदी प्रेस एजेंसी के हवाले से बताया है कि मुस्लिम लीग ने कहा है कि इसराइली कार्रवाई फ़लस्तीनियों के अधिकार और उनकी मर्यादा पर हमला है। इनके अलावा फायर ब्रांड लीडर और तुर्की के राष्ट्रपति रेचिप तैय्यप अर्दोआन ने मंगलवार को अल-अक़्सा मस्जिद के पास हिंसक झड़प और फ़लस्तीनियों के अधिकारों को लेकर कई इस्लामिक देशों के प्रमुखों को फ़ोन किया। तुर्की राष्ट्रपति के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर बताया गया है कि अर्दोआन ने मलेशिया, जॉर्डन, कुवैत के राष्ट्र प्रमुखों से बात की है।#Statement | The Ministry of Foreign Affairs condemns in the strongest terms the blatant attacks carried out by the Israeli occupation forces against the sanctity of #AlAqsaMosque, and for the security and safety of worshipers. pic.twitter.com/o1AcBQqgSd
— Foreign Ministry ???????? (@KSAmofaEN) May 11, 2021
टर्किश प्रेज़िडेंसी के ट्विटर हैंडल पर यह भी बताया गया है कि अर्दौआन ने हमास के राजनीति ब्यूरो प्रमुख इस्माइल हानिया से भी बात की। राष्ट्रपति अर्दोआन का कहना है कि अल-अक़्सा मस्जिद पर इज़रायली हमला आतंकी कार्रवाई है। उन्होंने यह भी कहा कि, 'इसराइली क़ब्ज़ें और उसके आतंक को रोकने के लिए वो पूरी दुनिया को एक करने की हर संभव कोशिश करूंगा, लेकिन उससे पहले इस्लामिक देशों को एकजुट करने की ज़रूरत है।'President @RTErdogan spoke by phone with King Abdullah II of Jordan. pic.twitter.com/vJyiuJAkfg
— Turkish Presidency (@trpresidency) May 10, 2021
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