GoFlashback: अयोध्या का आख़री अध्याय
history of ram mandir-babri masjid disput

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने खुद कहा, राम का जन्म कहां हुआ! नहीं पता
बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में अंतिम सुनवाई चल रही है। 18 अक्टूबर की तारीख सीजेआई ने तय कर दी है। दोनों पक्षों के अलग-अलग दावों पर कोर्ट की शीर्ष कुर्सी पर बैठे सीजेआई रंजन गोगोई फैसला सुनाएंगे या नहीं ये आने वाला वक्त बताएगा। चलिये इस मामले की कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर नज़र डालते हैं।
साल 1992 में हुई बाबरी मस्जिद विध्वंश पर 2010 में इलाहाबाद हाइकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था जिसमें कोर्ट ने, विवादित ज़मीन का तीन हिस्सों बंटवारा किया था। कोर्ट ने एक हिस्सा मुसलमानों को, एक हिस्सा निर्मोही अखाड़े को और एक हिस्सा राम लला के दावेदारों को दिया था। हालांकि इस फैसले पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत समेत उस वक्त के तत्कालीन गुजरात के सीएम रहे नरेन्द्र मोदी ने भी स्वागत किया था लेकिन मुस्लिम पक्ष इस फैसले से नाराज़ थे उन्होंने कोर्ट में अपना मालिकाना हक जताने के लिए अपील कर दी, जिसके बाद इस फैसले पर रोक लगा दी गई।
बाबरी मस्जिद विवाद की शुरूआत साल 1949 से होती है। उस दौरान हिंदू संगठनों ने कहा कि वहां कथित रूप से श्री राम की मूर्ती पाई गई है। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवारहलाल नेहरू ने देश का माहौल खराब होने की डर से विवादित ज़मीन पर ताला लगवा दिया। हिन्दू महासभा और दिगम्बर अखाड़ा ने 1950 में पहली याचिका फैज़ाबाद हाई कोर्ट में दायर की जिसके बाद ही आयोध्या, कांग्रेस समेत अन्य राजनीतिक दलों का राजनीतिक केन्द्र बन गया।
साल 1992 में हुई बाबरी मस्जिद विध्वंश पर 2010 में इलाहाबाद हाइकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था जिसमें कोर्ट ने, विवादित ज़मीन का तीन हिस्सों बंटवारा किया था। कोर्ट ने एक हिस्सा मुसलमानों को, एक हिस्सा निर्मोही अखाड़े को और एक हिस्सा राम लला के दावेदारों को दिया था। हालांकि इस फैसले पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत समेत उस वक्त के तत्कालीन गुजरात के सीएम रहे नरेन्द्र मोदी ने भी स्वागत किया था लेकिन मुस्लिम पक्ष इस फैसले से नाराज़ थे उन्होंने कोर्ट में अपना मालिकाना हक जताने के लिए अपील कर दी, जिसके बाद इस फैसले पर रोक लगा दी गई।
बाबरी मस्जिद विवाद की शुरूआत साल 1949 से होती है। उस दौरान हिंदू संगठनों ने कहा कि वहां कथित रूप से श्री राम की मूर्ती पाई गई है। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवारहलाल नेहरू ने देश का माहौल खराब होने की डर से विवादित ज़मीन पर ताला लगवा दिया। हिन्दू महासभा और दिगम्बर अखाड़ा ने 1950 में पहली याचिका फैज़ाबाद हाई कोर्ट में दायर की जिसके बाद ही आयोध्या, कांग्रेस समेत अन्य राजनीतिक दलों का राजनीतिक केन्द्र बन गया।
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