जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ़्ती 14 महीने बाद रिहा, बोलीं- कश्मीर के हक़ की लड़ाई जारी रहेगी

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी की मुखिया महबूबा मुफ़्ती को 14 महीने बाद रिहा कर दिया गया है। वे 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 के ख़ात्मे के साथ ही हिरासत में ले ली गयी थीं। रिहाई के बाद जारी एक संदेश में महबूबा मुफ़्ती ने अनुच्छेद 370 की वापसी के लिए जद्दोजहद जारी रखने का ऐलान किया। नेशनन कॉन्फ्रेंस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ली ने महबूबा की रिहाई का स्वागत किया है।
महबूबा मुफ़्ती की रिहाई का मसला सुप्रीम कोर्ट के सामने था। महबूबा की बेटी इल्तिजा मुफ़्ती की याचिका पर 29 सितंबर को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि वह किस आदेश के तहत और कब तक महबूबा मुफ़्ती को हिरासत में रखना चाहती है। जवाब देने के लिए सालिसिटिर जनरल तुषार मेहता ने एक हफ़्ते का समय माँगा था। इसके बाद सुनवाई 15 अक्टूबर के लिए टाल दी गयी थी। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पेशी के पहले ही महबूबा को रिहा कर दिया।
रिहा होने के तुरंत बाद महबूबा मुफ़्ती ने एक बयान जारी करके कश्मीर के हक़ की लड़ाई जारी रखने का ऐलान किया। उन्होंने इस बयान का ऑडियो ट्विटर पर भी जारी किया।
रिहा होने के तुरंत बाद महबूबा मुफ़्ती ने एक बयान जारी करके कश्मीर के हक़ की लड़ाई जारी रखने का ऐलान किया। उन्होंने इस बयान का ऑडियो ट्विटर पर भी जारी किया।
'मैं आज एक साल से भी ज़्यादा अर्से के बाद रिहा हुई हूँ। इस दौरान 5 अगस्त, 2019 के काले दिन का काला फ़ैसला हर पल मेरे दिल और रूह पर वार करता रहा। और मुझे एहसास है कि यही कैफ़ियत जम्मू-कश्मीर के तमाम लोगों की रही होगी। हम में से कोई भी शख़्स उस दिन की डाकाज़नी और बेइज़्ज़ती को क़त्तई भूल नहीं सकता। अब म सबको इस बात का इरादा करना होगा कि दिल्ली दरबार ने जो 5 अगस्त को ग़ैर-संवैधानिक, ग़ैर-लोकतांत्रिक, ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से हमसे छीन लिया, उसे वापस लेना होगा।' 'बल्कि उसके साथ-साथ कश्मीर समस्या जिसकी वजह से जम्मू-कश्मीर में हज़ारों लोगों ने अपनी जानें निछावर की, उसको हल करने के लिए हमें अपनी जद्दोजहद जारी रखनी होगी। मैं मानती हूं कि यह राह क़त्तई आसान नहीं होगी लेकिन मुझे यक़ीन है कि हम सब का हौसला और संकल्प, यह मुश्किल रास्ता तय करने में हमारा मददगार होगा। आज जबकि मुझे रिहा किया गया है, मैं चाहती हूं कि जम्मू-कश्मीर के जितने भी लोग मुल्क के अलग-अलग जेलों में बंद पड़े हैं, उन्हें जल्द से जल्द रिहा किया जाए।' अपनी माँ की रिहाई के लिए लगातार सक्रिय और मुखर रहीं इल्तिजा भट्टी ने कहा कि ग़ैरक़ानूनी हिरासत की मुश्किल घड़ी में जिन लोगों ने साथ दिया, उनकी वे क़र्ज़दार हैं।After being released from fourteen long months of illegal detention, a small message for my people. pic.twitter.com/gIfrf82Thw
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) October 13, 2020
उधर, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने महबूबा की रिहाई का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि उन्हें हिरासत में रखना लोकतंत्र का मज़ाक था। उमर और उनके पिता, पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी कुछ दिन पहले ही हिरासत से रिहा हुए हैं।As Ms Mufti’s illegal detention finally comes to an end, Id like to thank everybody who supported me in these tough times. I owe a debt of gratitude to you all. This is Iltija signing off. فی امان اﷲ May allah protect you
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) October 13, 2020
महबूबा मुफ़्ती की रिहाई को घाटी के हालात सामान्य बनाने की दिशा में एक क़दम माना जा रहा है। लेकिन समस्या यह है कि राजनीतिक प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाले सभी दल अनुच्छेद 370 हटने के बाद एक सुर में बोल रहे हैं। उनका दावा है कि बिना 370 की बहाली के हालात सामान्य नहीं हो सकते। फारुक़ अब्दुल्ला का तो एक हालिया बयान काफ़ी विवादित हुआ जिसमें उन्होंने चीन की मदद से अनुच्छेद 370 वापस लाने का ऐलान किया था। इधर, महबूबा मुफ़्ती ने भी 370 के मुद्दे पर संघर्ष जारी रखने का ऐलान करके बता दिया है कि लंबी हिरासत ने उनके इरादे को कमज़ोर नहीं किया है। ऐसे में सबकी नज़र केंद्र के अगले क़दम पर है।I’m pleased to hear that @MehboobaMufti Sahiba has been released after more than a year in detention. Her continued detention was a travesty & was against the basic tenets of democracy. Welcome out Mehbooba.
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) October 13, 2020
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