दिल्ली हिंसा की लपटें स्कूली बच्चों तक

दिल्ली सांप्रदायिक हिंसा की लपटों ने बच्चों का भविष्य भी अपनी ज़द में ले लिया है. उत्तर पूर्वी इलाक़े में जब हिंसा भड़की, तब सीबीएसई का 10वीं, 12वीं का एग्ज़ाम चल रहा था. हालात में सुधार होने पर एग्ज़ाम सेंटर पहुंचे बच्चों ने कहा कि इस सांप्रदायिक हिंसा का असर उनकी एग्ज़ाम की तैयारियों पर पड़ा है.
दिल्ली का सांप्रदायिक दंगा उन हज़ारों बच्चों के लिए एक दर्दनाक हादसे जैसा है जो साल भर की पढ़ाई के बाद अपने पहले बोर्ड एग्ज़ाम की तैयारी में जुटे थे. 24 फरवरी को हिंसा भड़कने के दौरान 10वीं और 12वीं क्लास के हज़ारों बच्चे एग्ज़ाम सेंटर में थे और एग्ज़ाम ख़त्म होने के बाद बड़ी मुश्किल से अपने घर तक पहुंच पाए थे.
वीडियो देखिये जाफ़राबाद के ज़ाकिर हुसैन मेमोरियल सीनियर सेकेंड्री स्कूल के छात्र सफ्फाद को उनके पिता एग्ज़ाम दिलवाने लाए हैं. वो 24 फरवरी का दिन याद करते हैं. तिमारपुर के सरकारी स्कूल के बच्चे बता रहे हैं कि इस सांप्रदायिक हिंसा ने उनके भविष्य पर किस तरह ग्रहण लगाया है. ऊषा देवी कहती हैं कि उनकी बेटी ने एग्ज़ाम की तैयारी डर और दहशत के साये में रहकर की है. दिल्ली में 24 फरवरी को सांप्रदायिक हिंसा सिर्फ उत्तर पूर्वी ज़िले में फैली थी लेकिन इसका तनाव पूरी दिल्ली में महसूस किया गया. दूसरे इलाक़ों के बच्चों ने भी कहा कि हिंसा से वे बेचैन हो उठे जिसका असर उनके बोर्ड एग्ज़ाम के नतीजों पर दिख सकता है.
दिल्ली का सांप्रदायिक दंगा उन हज़ारों बच्चों के लिए एक दर्दनाक हादसे जैसा है जो साल भर की पढ़ाई के बाद अपने पहले बोर्ड एग्ज़ाम की तैयारी में जुटे थे. 24 फरवरी को हिंसा भड़कने के दौरान 10वीं और 12वीं क्लास के हज़ारों बच्चे एग्ज़ाम सेंटर में थे और एग्ज़ाम ख़त्म होने के बाद बड़ी मुश्किल से अपने घर तक पहुंच पाए थे.
वीडियो देखिये जाफ़राबाद के ज़ाकिर हुसैन मेमोरियल सीनियर सेकेंड्री स्कूल के छात्र सफ्फाद को उनके पिता एग्ज़ाम दिलवाने लाए हैं. वो 24 फरवरी का दिन याद करते हैं. तिमारपुर के सरकारी स्कूल के बच्चे बता रहे हैं कि इस सांप्रदायिक हिंसा ने उनके भविष्य पर किस तरह ग्रहण लगाया है. ऊषा देवी कहती हैं कि उनकी बेटी ने एग्ज़ाम की तैयारी डर और दहशत के साये में रहकर की है. दिल्ली में 24 फरवरी को सांप्रदायिक हिंसा सिर्फ उत्तर पूर्वी ज़िले में फैली थी लेकिन इसका तनाव पूरी दिल्ली में महसूस किया गया. दूसरे इलाक़ों के बच्चों ने भी कहा कि हिंसा से वे बेचैन हो उठे जिसका असर उनके बोर्ड एग्ज़ाम के नतीजों पर दिख सकता है.
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