किसान आंदोलन: आज अवॉर्ड वापसी, कल भारत बंद, क़ानून 'असंवैधानिक और अवैध’
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने नए कृषि क़ानून को ‘असंवैधानिक और अवैध’ क़रार दिया। प्रशांत भूषण ने बताया ‘असंवैधानिक’

मोदी सरकार के कृषि क़ानून के ख़िलाफ किसानों के प्रदर्शन का आज 12वां दिन है। किसान और सरकार के बीच पांच चरणों में बातचीत हुई है। लेकिन अबतक सरकार इसका कोई हल नहीं निकाल सकी। सरकार इसी बात पर अड़ी है कि क़ानून सही है और इसमें संशोधन किया जा सकता है। लेकिन किसान संगठन क़ानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। किसान आंदोलन के समर्थन में पंजाब के दिग्गज आज अपने अवॉर्ड राष्ट्रपति को लौटाएंगे। वहीं आंदोलन को राजनीतिक दलों का समर्थन मिला है और वकीलों ने क़ानून को 'असंवैधानिक' बताया है।
अवॉर्ड वापसी
किसान संगठनों की योजना के मुताबिक़ आज पंजाब के दिग्गज अपने अवॉर्ड वापस लौटाएंगे। किसान संगठनों ने अपने एक प्रेस कांफ्रेंस में यह बात कही थी। पंजाब के बड़े खिलाड़ी गुरबख्श सिंह संधू, कौर सिंह और जयपाल सिंह ने भी अपने अवॉर्ड वापसी का ऐलान किया है। इनके अलावा पद्म श्री और अर्जुना विजेता करतार सिंह, अर्जुना विजेता बास्केटबॉल खिलाड़ी सज्जन सिंह और हॉकी खिलाड़ी राजबीर कौर समेत 30 पूर्व खिलाड़ियों ने भी किसानों के समर्थन में अपने अवॉर्ड लौटाने का ऐलान किया है। वहीं पंजाब के पूर्व सीएम और अकाली नेता प्रकाश सिंह बादल ने अपना पद्म विभूषण वापस कर दिया था। इनके अलावा कल यानि 8 दिसंबर को किसानों ने ‘भारत बंद’ का ऐलान किया है। चौथे चरण की बातचीत की विफलता के बाद किसान संगठनों ने यह फैसला लिया था। उधर सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली-एनसीआर के सीमाई इलाक़ों में विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को तत्काल हटाने की मांग के लिए एक याचिका दायर है। हालांकि याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई के लिए कोई तारीख़ तय नहीं की है। 'भारत बंद' को राजनीतिक दलों का समर्थन किसानों द्वारा 8 दिसंबर को बुलाए गए ‘भारत बंद’ को कांग्रेस और वामदलों समेत 11 से ज्यादा विपक्षी दलों और 10 श्रमिक संगठनों ने अपना समर्थन दिया है। रविवार को विपक्षी दलों कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी, एनसीपी नेता शरद पवार, सीपीआई(एम) के महासचिव सीताराम येचुरी, डीएमके चीफ एमके स्टालीन और पिपुल्स अलायंस फॉर गुप्कार डिक्लेरेशन की अगुवाई कर रहे फारूक़ अब्दुल्लाह ने इसके लिए एक सांझा बयान जारी किया। हालांकि इसमें आरएसएस से जुड़ा भारतीय किसान संघ शामिल नहीं होगा। किसान आंदोलन और कृषि क़ानून पर वकीलों की राय सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने नए कृषि क़ानून को ‘असंवैधानिक और अवैध’ क़रार दिया है। साथ ही उन्होंने किसानों के लिए क़ानूनी लड़ाई मुफ़्त में लड़ने की पेशकश की है। वहीं सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने रविवार को सिंघु बॉर्ड का दौरा किया। उन्होंने ने भी इस क़ानून को ‘असंवैधानिक’ बताया। उन्होंने इसके दो कारण बताए हैं। प्रशांत भूषण ने कहा, ‘पहला इस क़ानून को बनाने से पहले किसानों के साथ बातचीत नहीं की गई। दूसरा इस क़ानून को राज्यसभा में पास कर दिया गया जबकि भाजपा वहां पर माइनॉरिटी में थी और उसके कुछ सांसद भी इसके विरोध में थे।’ बता दें कि किसान राजधानी दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर 26 नवंबर से ही धरने पर हैं। तब उनपर पुलिस बर्बरता की तस्वीरें भी सामने आई। किसान और सरकार के बीच पांच दौर में बातचीत हुई है लेकिन इसका कोई हल नहीं निकल सका। कृषि मंत्री का कहना है कि इस क़ानून में संशोधन किया जा सकता है लेकिन किसान क़ानून को वापस लेने की मांग पर डटे हैं।
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किसान संगठनों की योजना के मुताबिक़ आज पंजाब के दिग्गज अपने अवॉर्ड वापस लौटाएंगे। किसान संगठनों ने अपने एक प्रेस कांफ्रेंस में यह बात कही थी। पंजाब के बड़े खिलाड़ी गुरबख्श सिंह संधू, कौर सिंह और जयपाल सिंह ने भी अपने अवॉर्ड वापसी का ऐलान किया है। इनके अलावा पद्म श्री और अर्जुना विजेता करतार सिंह, अर्जुना विजेता बास्केटबॉल खिलाड़ी सज्जन सिंह और हॉकी खिलाड़ी राजबीर कौर समेत 30 पूर्व खिलाड़ियों ने भी किसानों के समर्थन में अपने अवॉर्ड लौटाने का ऐलान किया है। वहीं पंजाब के पूर्व सीएम और अकाली नेता प्रकाश सिंह बादल ने अपना पद्म विभूषण वापस कर दिया था। इनके अलावा कल यानि 8 दिसंबर को किसानों ने ‘भारत बंद’ का ऐलान किया है। चौथे चरण की बातचीत की विफलता के बाद किसान संगठनों ने यह फैसला लिया था। उधर सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली-एनसीआर के सीमाई इलाक़ों में विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को तत्काल हटाने की मांग के लिए एक याचिका दायर है। हालांकि याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई के लिए कोई तारीख़ तय नहीं की है। 'भारत बंद' को राजनीतिक दलों का समर्थन किसानों द्वारा 8 दिसंबर को बुलाए गए ‘भारत बंद’ को कांग्रेस और वामदलों समेत 11 से ज्यादा विपक्षी दलों और 10 श्रमिक संगठनों ने अपना समर्थन दिया है। रविवार को विपक्षी दलों कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी, एनसीपी नेता शरद पवार, सीपीआई(एम) के महासचिव सीताराम येचुरी, डीएमके चीफ एमके स्टालीन और पिपुल्स अलायंस फॉर गुप्कार डिक्लेरेशन की अगुवाई कर रहे फारूक़ अब्दुल्लाह ने इसके लिए एक सांझा बयान जारी किया। हालांकि इसमें आरएसएस से जुड़ा भारतीय किसान संघ शामिल नहीं होगा। किसान आंदोलन और कृषि क़ानून पर वकीलों की राय सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने नए कृषि क़ानून को ‘असंवैधानिक और अवैध’ क़रार दिया है। साथ ही उन्होंने किसानों के लिए क़ानूनी लड़ाई मुफ़्त में लड़ने की पेशकश की है। वहीं सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने रविवार को सिंघु बॉर्ड का दौरा किया। उन्होंने ने भी इस क़ानून को ‘असंवैधानिक’ बताया। उन्होंने इसके दो कारण बताए हैं। प्रशांत भूषण ने कहा, ‘पहला इस क़ानून को बनाने से पहले किसानों के साथ बातचीत नहीं की गई। दूसरा इस क़ानून को राज्यसभा में पास कर दिया गया जबकि भाजपा वहां पर माइनॉरिटी में थी और उसके कुछ सांसद भी इसके विरोध में थे।’ बता दें कि किसान राजधानी दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर 26 नवंबर से ही धरने पर हैं। तब उनपर पुलिस बर्बरता की तस्वीरें भी सामने आई। किसान और सरकार के बीच पांच दौर में बातचीत हुई है लेकिन इसका कोई हल नहीं निकल सका। कृषि मंत्री का कहना है कि इस क़ानून में संशोधन किया जा सकता है लेकिन किसान क़ानून को वापस लेने की मांग पर डटे हैं।
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