देश में इंजीनियरिंग सीट दशक में सबसे कम

by Sarfaroshi 2 years ago Views 2918

भारत में इंजीनियरिंग कॉलेज में सीटों की संख्या पिछले 10 सालों में सबसे कम हो गई है। यह आंकड़ा ऐसे समय आया है जब इंजीनियरिंग कॉलेज बड़ी संख्या में अपना परिचालन बंद करने का आवेदन दे रहे हैं। टेक्निकल एजुकेशन रेगुलेटर एआईसीटीई के हाल ही में जारी आंकड़े बताते हैं कि ग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट और डिप्लोमा स्तर पर इंजीनियरिंग सीटों की संख्या गिरकर 23.28 लाख हो गई है जो कि पिछले दशक में सबसे कम है।

सिर्फ इस साल ही इंजीनियरिंग सीटों की संख्या 1.46 लाख तक कम हो गई है और इसका कारण कॉलेजों का बंद होना और एडमिशन क्षमता के कम होने को बताया जा रहा है। हालांकि इंजीनियरिंग सीट बड़े स्तर पर कम हुई हैं लेकिन फिर भी मैनेजमेंट, आर्किटेक्चर, होटल मैनेजमेंट जैसी टेक्निकल कोर्स की सीटों में इंजीनियरिंग की 80 फ़ीसदी की हिस्सेदारी है।

बताते चलें कि 2014-15 में एआईसीटीई से मान्यता प्राप्त इंजीनियरिंग सीटों की संख्या सबसे अधिक करीब 32 लाख थी। तब से लेकर अब तक करीब 400 कॉलेज बंद किए जा चुके हैं। इसका कारण 7 साल पहले शुरू हुए समेकन और कम मांग को बताया जा रहा है।

सिर्फ 2020 को छोड़ दें तो  2015-16 से हर साल कम से कम 50 इंजीनियरिंग कॉलेज बंद हुए हैं। यहां तक कि एआईसीटीई द्वारा अप्रूव किए गए कॉलेज की संख्या भी 5 सालों में सबसे कम हो गई है।

साल 2021-22 के एकेडमिक सेशन के लिए संस्था ने 54 नए संस्थानों को मान्यता दी है जबकि इसी साल 63 इंजीनियरिंग कॉलेज को बंद किए जाने की अनुमति दी गई है। 

दिसंबर 2017 की इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2016-17 में 3,991 इंजीनियरिंग संस्थान की 15.5 लाख सीटों के 51 फ़ीसदी हिस्से पर कोई दावेदार नहीं था।

रिपोर्ट में सिस्टम में अनियमितता, कथित भ्रष्टाचार, कमजोर बुनियादी ढांचा, इंडस्ट्री से कम जुड़ाव और टेक्निकल इकोसिस्टम की कमी पाई गई जिसके चलते इंजीनियरिंग कॉलेज से ग्रेजुएट युवाओं की रोजगार क्षमता में भी कमी आई है।

बता दें कि 2018-19 से एआईसीटीई ने कम प्रवेश वाले कोर्सेज पर प्रवेश क्षमता को आधा कर दिया है। इसके अलावा 2019 में संस्था ने नए इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट पर 2 साल के मोरिटोरियम का ऐलान किया था। इस ऐलान से पहले एआईसीटीई ने 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में क्रमशः 143 158 और 153 इंस्टीट्यूट को मान्यता दी थी।

इन सबको देखकर हम यह साफ़ साफ़ कह सकते हैं कि भारत में इंजीनियरिंग कॉलेज में सीटों की संख्या पिछले 10 सालों में सबसे कम हो गई है और यह अच्छी ख़बर नहीं है।

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