मेघालय के कोयला खदान में 11 दिनों से फंसे श्रमिकों को बचाने की कोशिश जारी, पहले हुई है कई मौतें

मेघालय के ईस्ट जयंतिया हिल्स जिले में एक अवैध कोयला खदान में पांच श्रमिक पिछले 11 दिनों से फंसे हुए हैं। यहां खदान में जल स्तर कम तो हुआ है लेकिन अभी बचावकर्मियों के भीतर जाकर बचाव अभियान शुरू करने के लिए यह पर्याप्त नहीं है। बचाव कार्य में लगे एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि खदान से पानी निकालने की प्रक्रिया जारी है और अब यह स्तर कम होकर 36.6 मीटर है, जो कि चार जून को 46 मीटर था।
जानकारी के मुताबिक़ नेश्नल डिज़ास्टर मैनेजमेंट ऑथोरिटी (एनडीआरएफ) और राज्य की अन्य एजेंसियों के लगभग 60 कर्मचारी खदान में जलस्तर के दस मीटर नीचे जाने का इंतज़ार कर रहे हैं, ताकि वो बचाव कार्य शुरू कर सकें। अधिकारी ने बताया कि अबतक परस्पर जुड़े दो शाफ्टों से 8.82 लाख लीटर पानी पंप के ज़रिये निकाला गया है लेकिन बचाव कार्य के लिए जलस्तर का और कम होना ज़रूरी है।
पूर्वी जयंतिया हिल्स ज़िले के मुख्यालय खलीहरियात से लगभग 20 किमी दूर उम्प्लेंग में रैट-होल खदान में 30 मई को एक डायनामाइट विस्फोट के बाद पानी भर गया था। हालांकि रैट-होल में खनन की इजाज़त नहीं है लेकिन अवैध तरीके से यहां खनन जारी है। नेश्नल ग्रीन ट्रायब्यूनल ने साल 2014 में अपने एक फैसले में यहां खनन पर रोक लगा दी थी। रैट-होल खनन में कोयले की परतें मिलने तक एक गहरा वर्टिकल शाफ्ट खोदा जाता है। सिम मिल जाने के बाद कोयले को बाहर निकालने में भी बड़ी मुश्किलें आती है।
ज़िला प्रशासन के मुताबिक़ खदान में कम से कम पांच लोगों के फंसे होने की पहचान की गई है जिनमें चार असम और एक त्रिपुरा से हैं। अवैध खनन के मामले में कोयला खदान के मालिक को गिरफ्तार किया गया है। इनके अलावा खदान प्रबंधक फरार है और पुलिस उनकी तलाश कर रही है।
हालांकि यह पहली बार नहीं है जब खदान के भीतर श्रमिक फंस गए हैं। सेफ्टी को नज़रअंदाज़ करने की वजह से पहले कई खनन श्रमिकों की मौत तक हो गई है। अंग्रेज़ी अख़बार दि हिंदू ने जनवरी 2019 की अपनी एक रिपोर्ट में लोकसभा में पेश आंकड़े हवाले से बताया है कि 2015 से 2017 के बीच कोयला, खनिज और तेल के खनन में शामिल 377 श्रमिक मारे गए थे।
इन 377 मौतों में से 129 अकेले 2017 में हुईं। 2016 में 145 लोगों की मौत हुई, जबकि 2015 में यह आंकड़ा 103 था। खदानों में दुर्घटनाओं के कारण सबसे अधिक मौतों की संख्या कोयला खदानों में है। 377 में से आधे से ज्यादा 210 लोग कोयला खदानों में मारे गए।
मेघालय के कोयला खदानों में ऐसी घटनाएं लगातार होती रही है। इसी तरह 13 दिसंबर 2018 को उसी ज़िले के कसन क्षेत्र में एक अवैध रैट-होल खदान में पानी भर जाने से कई श्रमिक फंस गए थे। बाद में यह आंकड़ा 18 तक बताया गया जिसमें तीन ही श्रमिकों के शव निकाले जा सके।
बाकि 15 श्रमिकों के शव की सात महीने तक तलाश की गई, नहीं मिलने के बाद ऑपरेशन बंद करना पड़ा था। इनके अलावा दक्षिण गारो हिल्स जिले में एक और कोयला खदान में 2012 में बाढ़ आ गई थी और स्थानीय लोगों के दावे के मुताबिक़ इसमें 15 श्रमिकों की फंस जाने से मौत हो गई थी और उनके शव भी बरामद नहीं हो सके थे।
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