'डरें नहीं' : हथियारबंद तालिबान लड़ाकों से घिरे एक टीवी एंकर की अफ़ग़ानों से अपील

सशस्त्र तालिबान लड़ाकों से घिरे एक टेलीविजन एंकर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर बड़े स्तर पर साझा किया जा रहा है। जबकि कट्टरपंथी इस्लामी समूह ने प्रेस की स्वतंत्रता का आश्वासन दिया है और लोगों से देश छोड़ कर न जाने की अपील की है।
बीबीसी के पत्रकार कियान शरीफी और ईरानी पत्रकार और कार्यकर्ता मसीह अलीनेजादी द्वारा ट्विटर पर साझा की गई 42-सेकंड की वीडियो क्लिप में देखा जा सकता है कि न्यूज़ एंकर के पीछे कम से कम आठ तालिबान लड़ाके खड़े हैं।
कियान शरीफी ने ट्वीट किया, ‘पीछे सशस्त्र तालिबान लड़ाके खड़े होने के साथ, अफगान टीवी नेटवर्क पीस स्टूडियो के परदाज़ राजनीतिक बहस कार्यक्रम के एंकर कहते हैं कि इस्लामिक अमीरात चाहता है कि जनता इसके साथ सहयोग करे और न डरे।’ ईरानी पत्रकार मसीह अलीनेजादी ने वीडियो क्लिप साझा करते हुए ट्विटर पर लिखा, "यह असली है। तालिबानी आतंकवादी इस डरपोक टीवी होस्ट के पीछे बंदूकों के साथ पोज दे रहे हैं और उससे कह रहे हैं कि अफगानिस्तान के लोगों को इस्लामिक अमीरात से डरना नहीं चाहिए। यह एक और सबूत है कि तालिबान ही लाखों लोगों के मन में डर पैदा कर रहा है।’ ट्विटर पर साझा की गई वीडियो क्लिप से यह साफ पता चलता है कि अफगानिस्तान के लोगों के लिए चीजें कितनी तेजी से बदली हैं। बीबीसी के एंकर याल्दा हकीम ने 42 सेकेंड की वीडियो क्लिप साझा करते हुए ट्विटर पर लिखा है, ‘यह वो है कि अब अफग़ान टीवी पर राजनीतिक बहस कैसे होती है। तालिबान लड़ाके एंकर को देख रहे हैं। एंकर गनी सरकार के पतन के बारे में बात कर रहे हैं और कहते हैं कि इस्लामिक अमीरात का कहना है कि अफगान लोगों को डरना नहीं चाहिए।’
कियान शरीफी ने ट्वीट किया, ‘पीछे सशस्त्र तालिबान लड़ाके खड़े होने के साथ, अफगान टीवी नेटवर्क पीस स्टूडियो के परदाज़ राजनीतिक बहस कार्यक्रम के एंकर कहते हैं कि इस्लामिक अमीरात चाहता है कि जनता इसके साथ सहयोग करे और न डरे।’ ईरानी पत्रकार मसीह अलीनेजादी ने वीडियो क्लिप साझा करते हुए ट्विटर पर लिखा, "यह असली है। तालिबानी आतंकवादी इस डरपोक टीवी होस्ट के पीछे बंदूकों के साथ पोज दे रहे हैं और उससे कह रहे हैं कि अफगानिस्तान के लोगों को इस्लामिक अमीरात से डरना नहीं चाहिए। यह एक और सबूत है कि तालिबान ही लाखों लोगों के मन में डर पैदा कर रहा है।’ ट्विटर पर साझा की गई वीडियो क्लिप से यह साफ पता चलता है कि अफगानिस्तान के लोगों के लिए चीजें कितनी तेजी से बदली हैं। बीबीसी के एंकर याल्दा हकीम ने 42 सेकेंड की वीडियो क्लिप साझा करते हुए ट्विटर पर लिखा है, ‘यह वो है कि अब अफग़ान टीवी पर राजनीतिक बहस कैसे होती है। तालिबान लड़ाके एंकर को देख रहे हैं। एंकर गनी सरकार के पतन के बारे में बात कर रहे हैं और कहते हैं कि इस्लामिक अमीरात का कहना है कि अफगान लोगों को डरना नहीं चाहिए।’
अमेरिकी सैनिकों की वापसी और कट्टरपंथी संगठन के काबुल पर क़ब्ज़े के बाद से, हाल के हफ्तों में देश में अराजकता पैदा हो गई है। यही वजह रही कि अशरफ़ ग़नी देश छोड़कर भाग गए। तालिबानी क़ब्ज़े के बाद अफग़ान में बसे दूसरे देशों के लोग और ख़ुद अफ़ग़ान देश छोड़कर दूसरे देशों में शरण ले रहे हैं। पिछले हफ्ते काबुल हवाई अड्डे के पास हुए भीषण आतंकी हमले से भी देश हिल गया जिसमें करीब 200 लोग मारे गए। इसके बाद रविवार शाम को भी काबुल हवाई अड्डे पर पांच रॉकेट हमले की पुष्टि हुई है। ग़ौरतलब है कि खून-ख़राबा कर सत्ता हासिल करने की कोशिश में तालिबान काबुल पर क़ब्ज़े के बाद से ही शांति की बात कर रहा है। तालिबान के प्रवक्त सुहेल शाहीन का कहना है कि तालिबान "शांति" लाएगा और दावा किया कि तालिबान महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करेगा और उन्हें शिक्षा हासिल करने की अनुमति देगा।’ तालिबान का कहना है कि, ‘हम सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण का इंतजार कर रहे हैं। "बेशक, हम इस्लामी सरकार चाहते हैं।"Afghanistan TV - surreal
— Yalda Hakim (@BBCYaldaHakim) August 29, 2021
This is what a political debate now looks like on Afghan TV, Taliban foot soldiers watching over the host. The presenter talks about the collapse of the Ghani govt & says the Islamic Emirate says the Afghan people should not to be afraid #Afghanistan pic.twitter.com/oEverVgLOE
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