रोक के बावजूद कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ किसानों का ‘दिल्ली कूच’ शुरू

दिल्ली पुलिस से इजाज़त नहीं मिलने के बावजूद विवादित कृषि क़ानूनों के खिलाफ किसानों ने राजधानी की तरफ मार्च शुरू कर दिया। हरियाणा, पंजाब और कुछ एक अन्य राज्यों से किसान ट्रेक्टर-ट्राली, बस, ट्रक और पैदल दिल्ली की तरफ चल पड़े हैं ताकि फसल खरीद से जुड़े क़ानूनों में हुए बदलावों के खिलाफ रोष जता सके। कई जगह किसान अपने साथ राशन, बिस्तर और रोज़मर्रा की चीज़े लेकर सफर कर रहे है ताकि दिल्ली में या उसके आसपास लंबा डेरा जमाया जाए।
इस सब के बीच पुलिस ने आंदोलन को कमजोर करने के लिए किसान नेताओं को हिरासत में लेना शुरू कर दिया। हरियाणा में फतेहाबाद, हिसार, झज्जर, सिरसा समेत कई स्थानों पर छापेमारी करके पुलिस ने 100 किसान नेताओं को गिरफ्तार किया है।
हरियाणा पुलिस ने सभी जिलों में नाकेबंदी बढ़ा दी है। पंजाब जाने वाले मुख्य रास्ते बंद कर दिए गये हैं। जींद में दातासिंहवाला बाॅर्डर और अम्बाला में देवीनगर और सद्दोपुर बॉर्डर सील कर दिये गये हैं। झज्जर-रेवाड़ी समेत कई जिलों में धारा 144 लगा दी गयी है। सोनीपत में कुंडली बॉर्डर पर नाकेबंदी कड़ी कर दी गये हैं। राज्य सरकार ने केंद्र से रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) की 5 कंपनियां मँगायी हैं। इन्हें सिरसा, अम्बाला, जींद में पंजाब बार्डर और सोनीपत में दिल्ली बार्डर पर तैनात किया गया है। पुलिस की 14 अतिरिक्त कंपनियां भी लगायी गयी हैं। अंबाला में प्रशासन ने वाटर कैनन के साथ भारी पुलिस बल तैनात किया है। हरियाणा सरकार ने अगले तीन दिनों के लिए कई राष्ट्रीय राजमार्गों पर जाने से बचने की सलाह दी है। किसान संगठनों के राजधानी कूच की शुरुआत से पहले से दिल्ली पुलिस ने कहा था की COVID-19 के मद्देनज़र शहर में विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं है। दिल्ली के डीसीपी ईश सिंघल का कहना है कि कोरोनावायरस के बीच जनसमूह को इकट्ठा होने की इजाज़त नहीं दी जा सकती और अगर प्रदर्शनकारी तब भी यहां आते हैं, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।' तीन सौ से ज्यादा किसान संगठनों का मोर्चा नये कृषि क़ानूनों पर दो महीने से देशभर में आंदोलन चला रहा है। इस आंदोलन का सबसे ज़्यादा असर हरियाणा और पंजाब में है जहाँ न्यूनतम समर्थन मूल्य किसानों के लिए बड़ा मुद्दा है। किसान संगठनों की ओर से 26 नवंबर को दिल्ली पहुँचकर डेरा डालने का ऐलान किया गया था। ज़ाहिर है, दिल्ली जाने वाले तमाम रास्तों पर किसानों का कब्ज़ा हो सकता है।
हरियाणा पुलिस ने सभी जिलों में नाकेबंदी बढ़ा दी है। पंजाब जाने वाले मुख्य रास्ते बंद कर दिए गये हैं। जींद में दातासिंहवाला बाॅर्डर और अम्बाला में देवीनगर और सद्दोपुर बॉर्डर सील कर दिये गये हैं। झज्जर-रेवाड़ी समेत कई जिलों में धारा 144 लगा दी गयी है। सोनीपत में कुंडली बॉर्डर पर नाकेबंदी कड़ी कर दी गये हैं। राज्य सरकार ने केंद्र से रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) की 5 कंपनियां मँगायी हैं। इन्हें सिरसा, अम्बाला, जींद में पंजाब बार्डर और सोनीपत में दिल्ली बार्डर पर तैनात किया गया है। पुलिस की 14 अतिरिक्त कंपनियां भी लगायी गयी हैं। अंबाला में प्रशासन ने वाटर कैनन के साथ भारी पुलिस बल तैनात किया है। हरियाणा सरकार ने अगले तीन दिनों के लिए कई राष्ट्रीय राजमार्गों पर जाने से बचने की सलाह दी है। किसान संगठनों के राजधानी कूच की शुरुआत से पहले से दिल्ली पुलिस ने कहा था की COVID-19 के मद्देनज़र शहर में विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं है। दिल्ली के डीसीपी ईश सिंघल का कहना है कि कोरोनावायरस के बीच जनसमूह को इकट्ठा होने की इजाज़त नहीं दी जा सकती और अगर प्रदर्शनकारी तब भी यहां आते हैं, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।' तीन सौ से ज्यादा किसान संगठनों का मोर्चा नये कृषि क़ानूनों पर दो महीने से देशभर में आंदोलन चला रहा है। इस आंदोलन का सबसे ज़्यादा असर हरियाणा और पंजाब में है जहाँ न्यूनतम समर्थन मूल्य किसानों के लिए बड़ा मुद्दा है। किसान संगठनों की ओर से 26 नवंबर को दिल्ली पहुँचकर डेरा डालने का ऐलान किया गया था। ज़ाहिर है, दिल्ली जाने वाले तमाम रास्तों पर किसानों का कब्ज़ा हो सकता है।
ताज़ा वीडियो