जुलाई महीने में भी कंज़्युमर कॉन्फिडेंस में गिरावट: आरबीआई

कोरोना महामारी की दूसरी लहर और महंगाई बढ़ने से कुल मांग में गिरावट आई है। यही वजह है कि रिज़र्व बैंक की रिपोर्ट में कंज़्युमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स (सीसीआई) या उपभोक्ता आत्मविश्वास इंडेक्स 48.6 फीसदी पर गिर गया है। हालांकि यह मई महीने में 48.5 पर था जो हालिया जारी आंकड़ों की तुलना में लगभग समान है।
सीसीआई का गिरना लोगों की नौकरियां और इन्कम में कमी और महंगाई बढ़ने की आशंका को बढ़ाती है। सीसीएस आर्थिक प्रदर्शन, विशेष रूप से निजी खपत का एक उपयोगी संकेतक है। यह सुनिश्चित है कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था की स्थिति को ट्रैक नहीं कर सकता।
नया कंज़्युमर कॉन्फिडेंस सर्वे 28 जून से 9 जुलाई के बीच किए गए थे। इस सर्वे से यह पता चलता है कि कोरोना महामारी की पहली लहर की तुलना में दूसरे लहर से कॉन्ज़्युमर कॉन्फिडेंस ज़्यादा कमज़ोर हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक़ सीएसआई मार्च 2020 में 85.6 की तुलना में मई 2021 में 48.5 तेज़ी से गिरा है। असल बात यह है कि जुलाई के पहले हफ्ते में कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी के बावजूद सीएसआई में कोई सुधार नहीं देखी गई। यह दर्शाता है कि दूसरी लहर से उपभोक्ता विश्वास पर गंभीर असर पड़ा है। अगर हम अलग-अलग आंकड़े देखें तो सीएसएस से पता चलता है कि श्रमिकों की सौदेबाजी शक्ति में कमज़ोरी और ग़ैर ज़रूरी चीज़ों पर ख़र्च बढ़ने और ज़रूरी चीज़ों की बढ़ती कीमतें से भी इसमें गिरावट देखी गई है। हालिया आंकड़ों की बात करें तो पता चलता है कि इकोनॉमिक सिचुएशन मई 2021 की तुलना में जुलाई महीने में -69.1 पर गिर गया है। जबकि रोजगार का सीएसआई -74.9 से जुलाई महीने में -68.2 पर आ गया है। हालांकि ख़र्च का सीएसआई मई के मुक़ाबले जुलाई महीने में भी 31.4 पर बरक़रार रहा।
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नया कंज़्युमर कॉन्फिडेंस सर्वे 28 जून से 9 जुलाई के बीच किए गए थे। इस सर्वे से यह पता चलता है कि कोरोना महामारी की पहली लहर की तुलना में दूसरे लहर से कॉन्ज़्युमर कॉन्फिडेंस ज़्यादा कमज़ोर हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक़ सीएसआई मार्च 2020 में 85.6 की तुलना में मई 2021 में 48.5 तेज़ी से गिरा है। असल बात यह है कि जुलाई के पहले हफ्ते में कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी के बावजूद सीएसआई में कोई सुधार नहीं देखी गई। यह दर्शाता है कि दूसरी लहर से उपभोक्ता विश्वास पर गंभीर असर पड़ा है। अगर हम अलग-अलग आंकड़े देखें तो सीएसएस से पता चलता है कि श्रमिकों की सौदेबाजी शक्ति में कमज़ोरी और ग़ैर ज़रूरी चीज़ों पर ख़र्च बढ़ने और ज़रूरी चीज़ों की बढ़ती कीमतें से भी इसमें गिरावट देखी गई है। हालिया आंकड़ों की बात करें तो पता चलता है कि इकोनॉमिक सिचुएशन मई 2021 की तुलना में जुलाई महीने में -69.1 पर गिर गया है। जबकि रोजगार का सीएसआई -74.9 से जुलाई महीने में -68.2 पर आ गया है। हालांकि ख़र्च का सीएसआई मई के मुक़ाबले जुलाई महीने में भी 31.4 पर बरक़रार रहा।
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