Covid Trend: 2020 में सबसे ज़्यादा दिहाड़ी मज़दूरों ने की आत्महत्या; एक्सीडेंटल डेथ 11% कम

by Sarfaroshi 1 year ago Views 3896

Accidental Deaths

साल 2020 की बात आए तो महामारी का भी ज़िक्र ज़रूर होता है। कोरोना संक्रमण के कारण देश में NCRB के द्वारा दर्ज किए गए अपराधों के आंकडों में बदलाव देखा गया था। अब एनसीआरबी ने साल 2020 की  'एक्सिडेंटल डेथ्स एंड सुइसाइड' रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट बताती है कि बीते साल 1,53,052 लोगों ने आत्महत्या की। इनमें छात्र, सैलेरीड क्लास, Self-Employed जैसे वर्ग शामिल हैं।

पिछले साल के मुताबिक इस साल सुसाइड के 10 फीसदी ज़्यादा मामले सामने आए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक देश में एक्सीडेंटल डेथ यानि हादसों में हुई मौतों में कमी आई है जबकि छात्रों और वेतन पाने वाले लोगों के बीच आत्महत्या की संख्या में इज़ाफा हुआ है। रिपोर्ट बताती है कि साल 2020 में सबसे ज़्यादा आत्महत्या दिहाड़ी मज़दूरों ने की। देश का वो तबका जिसके लिए महामारी का दौर सबसे ज़्यादा बुरा साबित हुआ। 2020 में खेतिहर मज़दूरों पर भी मार पड़ी। 2019 के मुकाबले 2020 में इस वर्ग में आत्महत्या के 17 फीसदी ज़्यादा मामले दर्ज हुए।  

2020 में सबसे ज़्यादा दिहाड़ी मजदूरों ने दी जान  

भारत में साल 2020 में 1,53,052 लोगों ने आत्महत्या की। इनमें से 37,666 दिहाड़ी मज़दूर थे। राज्यों के आधार पर बात करें तो सबसे ज़्यादा आत्महत्या तमिलनाडु के मज़दूरों ने की जबकि इनके बाद मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना और गुजरात में सबसे ज़्यादा मज़दूरों ने सुसाईड की। हालांकि रिपोर्ट में ऐसा नहीं कहा गया है कि इन आत्महत्या की वजह कोरोना थी लेकिन देश में बीते साल मार्च में बिना तैयारी के लगाए गए लॉकडाउन के बाद दिहाड़ी मज़दूरों को खाने जैसी ज़रूरी चीजों के लिए परेशानी का सामना करना पड़ा था वहीं हज़ारों की संख्या में मज़दूर दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे राज्यों से पैदल ही पलायन करने को मजबूर हुए थे। 

मध्य प्रदेश में किसानों के बीच आत्महत्या में सबसे ज़्यादा इज़ाफा

2020 में महराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में सबसे ज़्यादा किसानों ने आत्महत्या की जबकि मध्य प्रदेश(65.49%) और तमिलनाडु (1,216.67%) में 2019 के मुकाबले 2020 में इस वर्ग के बीच आत्महत्या में सबसे ज़्यादा इज़ाफा देखा गया। इस तरह खेतिहर मज़दूरों की बात करें तो 2020 में उससे बीते साल के मुकाबले इस वर्ग के बीच आत्महत्या में 17 फीसदी का इज़ाफा हुआ है।

महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में सबसे ज़्यादा खेतिहर मज़दूरों ने आत्महत्या की जबकि केरल (166.41%), कर्नाटक (42.81%) और मध्य प्रदेश (25.31%) में इस वर्ग के बीच सुसाइड के मामले सबसे ज़्यादा बढ़े। 

छात्रों के बीच आत्महत्या में सबसे ज़्यादा इज़ाफा

ASDI की रिपोर्ट के मुताबिक 2019 के मुकाबले 2020 में छात्रों के बीच आत्महत्या के मामलों में सबसे ज़्यादा इज़ाफा हुआ है। 2019 में छात्रों के 10,335 सुसाइड के मामले दर्ज किए गए थे जबकि 2020 में यह 21.20 फीसदी बढ़कर 14,825 हो गए।

लॉकडाउन के दौरान देश में स्कूलों में पढ़ाई और परीक्षा ऑनलाइन के माध्यम से कराने के आदेश दिए गए थे लेकिन भारत में बड़े स्तर पर मौजूद डिजिटल डिवाइड के कारण बहुत से छात्र अपनी परीक्षा नहीं दे पाए और कई छात्रों ने इस वजह से आत्महत्या कर ली थी। इसके अलावा वेतन वाले पाले प्रोफेशनल, दिहाड़ी मज़दूर, रिटायर्ड लोगों और बेरोज़गारों के बीच आत्महत्या में क्रमशः 16.5, 15.67, 11.9 और 11.65 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

देश में गरीबी के कारण होने वाली आत्महत्या के मामलों में 2020 में 69 फीसदी की बढ़ोतरी हुई जबकि बेरोजगारी के कारण सुसाइड में इस अवधि में 24 फीसदी का इज़ाफा हुआ। इसे इस तरह समझा जा सकता है कि कोविड के कारण लगे लॉकडाउन के चलते लाखों लोगों ने नौकरियां गंवा दी थी और देश में आर्थिक तौर पर हाशिए पर चल रहा तबका आखिर कार गरीबी की खाई में जा गिरा। 

2020 में 11% कम हुई एक्सीडेंटल डेथ

साल 2020 में कुल आत्महत्याओं का आंकड़ा 1967 के बाद सबसे ज़्यादा है। इस साल से पहले के सुसाइड के आंकड़ों का रिकॉर्ड नहीं है। देश में आत्महत्या के मामले सबसे ज़्यादा होने के बीच साल 2020 में हादसों में होने वाली मौत जैसे सड़क दुर्घटना और सनस्ट्रोक से होने वाली मौत का आंकड़ा 2019 में 4,21,014 से 11% कम हो कर 2020 में 3,74, 397 हो गया है। इसकी बड़ी वजह लॉकडाउन हो सकती है।

देश में हादसों में हुई मौत का 40 फीसदी हिस्सा सड़क हादसे होते हैं लेकिन कोविड की लगी पाबंदियों के कारण कई महीनों तक गैर-ज़रूरी गतिविधियां पर रोक लगी रही औऱ लोगों को आना जाना बेहद कम रहा जिसका हादसों में हुई मौत पर असर हुआ है। 

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