नहीं रहे कांग्रेस के दिग्गज अहमद पटेल, जानिए उनके बारे में दस बातें

- गुजरात से ताल्लुक रखने वाले अहमद पटेल तीन बार लोकसभा के लिए चुने गए और पांच बार राज्यसभा के सांसद रहे।
- अहमद पटेल पहली बार 1977 में महज़ 28 साल की उम्र में भरूच से लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे और जल्द ही वह इंदिरा गांधी के करीबी बन गए।
- इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव 1984 में लोकसभा की 400 सीटों के बहुमत के साथ सत्ता में आए तो उस समय अहमद पटेल सांसद होने के अलावा पार्टी के संयुक्त सचिव बनाए गए और बाद में उन्हें कांग्रेस का महासचिव भी बनाया गया।
- जनवरी से सितंबर 1985 तक तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के संसदीय सचिव रहे। 2001 से सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार थे।
- जनवरी 1986 में वे गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे। 1977 से 1982 तक यूथ कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे।
- सितंबर 1983 से दिसंबर 1984 तक वे कांग्रेस के जॉइंट सेक्रेटरी रहे।
- अहमद पटेल 1993 से लगातार राज्यसभा सांसद बने। हमेशा से कम बोलने वाले, पर्दे के पीछे से राजनीति करने वाले अहमद पटेल गांधी परिवार की तीन पीढ़ियों के साथ काम किया और उनके सबसे करीबी बनकर रहे, लेकिन कभी भी मंत्री नहीं बने।
- अगस्त 2018 में अहमद पटेल को कांग्रेस का कोषाध्यक्ष नियुक्त किया गया था।
- गांधी परिवार के साथ-साथ उन्हें कांग्रेस का संकट मोचक माना जाता था। शुरुआती दिनों में सोनिया गांधी को राजनीति में स्थापित करने में अहमद पटेल ने बड़ी भूमिका निभाई। राजीव गाँधी की हत्या के बाद जब से सोनिया गाँधी राजनीती में सक्रिय हुईं तो अहमद पटेल कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार रहे।
- 1991 में जब नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने, तो पटेल को कांग्रेस वर्किंग कमेटी का सदस्य बनाया गया, जो वो अब तक बने रहे थे।
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