संगठित क्षेत्र में बढ़ोत्तरी का दावा; संघर्ष करता असंगठित क्षेत्र, सिकुड़कर 20 फीसदी पर

भारत में कुल वर्कफोर्स का एक बड़ा हिस्सा इन्फोरमल सेक्टर या असंगठित क्षेत्र में काम करता है। महामारी की गाज भी सबसे ज़्यादा इसी सेक्टर पर गिरी और बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार भी हो गए। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी एक नई रिपोर्ट में बतााया है कि संगठित क्षेत्र तो अपने पूर्व महामारी के लेवल पर आ गया है लेकिन असंगठित क्षेत्र या इन्फोरमल सेक्टर अभी भी महामारी का दंश झेल रहा है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि असंगठित अर्थव्यवस्था 2018 में 52 फीसदी के मुक़ाबले सिकुड़कर 15-20 फीसदी पर आ गई है। कथित तौर पर महामारी की वजह से इस सेक्टर में यह गिरावट देखी गई।
अब अगर आंकड़े देखें तो सरकार की तरफ से कुछ कदम उठाए गए हैं जिसके तहत यह बताने की कोशिश है कि इन्फोर्मल सेक्टर में आई इस गिरावट की वजह वर्कफोर्स का फॉर्मल सेक्टर में स्थानांतरित होना है। हालांकि अगर कैटगरी के हिसाब से देखें तो कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां कोई ख़ास सुधार नहीं है। मसलन केन्द्र सरकार ने अगस्त महीने में ई-श्रम पोर्टल लॉन्च किया था। इस पोर्टल पर इन्फोर्मल सेक्टर यानि असंगठित क्षेत्र के 5.3 करोड़ "बेरोजगारों" ने रोजगार के लिए रजिस्टर किया। रिपोर्ट में मासिक ईपीएफओ पेरोल रिपोर्ट भेजने वाले व्यवसायों के ईसीआर का इस्तेमाल करते हुए रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि अगस्त महीने तक लगभग 36.6 लाख असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को संगठित क्षेत्र में शिफ्ट कर दिया गया है। औपचारिकता की सीमा के एक उपाय के रूप में मासिक ईपीएफओ पेरोल रिपोर्ट, किसी विशेष महीने में पहली ईसीआर (ईलेक्ट्रोनिक चालान कम रिटर्न) भेजने वाले व्यवसायों पर डेटा प्रदान करती है। श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि ईसीआर में 2018 से ही गिरावट देखी जा रही है। मसलन साल 2018 में वो व्यवसाय जिसने अपना पहला ईसीआर जारी किया 60,884 थे जो 2020-21 में कम होकर 46,656 रह गई। जबकि ईपीएफ योजना में नए ग्राहकों की शुद्ध संख्या सितंबर 2017-18 से 2020-21 के बीच तीन साल में 15,52,940 से बढ़कर 77,08,375 हो गई। 2019 में यह 78,58,394 पर पहुंच गया था जिसमें महामारी के दौरान 1.5 लाख की गिरावट दर्ज की गई थी। भारतीय वर्कफोर्स में सबसे ज़्यादा हिस्सा असंगठित क्षेत्र का ही है और इसको संगठिक करने की दिशा में केन्द्र काम कर रहा है, लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक़ जो कदम उठाए जा रहे हैं उससे अभी भी एक बड़ा कामकाजी वर्ग बाहर है। रिपोर्ट के मुताबिक़ साल 2017-18 के दौरान Agriculture, forestry और fishing; manufacturing; Trade, repair और Accommodation, सहित Construction क्षेत्र का भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान 53.2 फीसदी था। यह सभी चार सेक्टर असंगठित क्षेत्र का ही हिस्सा हैं और हालिया रिपोर्ट के मुताबिक़ यह सेक्टर लगातार सिकुड़ रहा है और लोग रोजगार-रोजगार कर रहे हैं।
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अब अगर आंकड़े देखें तो सरकार की तरफ से कुछ कदम उठाए गए हैं जिसके तहत यह बताने की कोशिश है कि इन्फोर्मल सेक्टर में आई इस गिरावट की वजह वर्कफोर्स का फॉर्मल सेक्टर में स्थानांतरित होना है। हालांकि अगर कैटगरी के हिसाब से देखें तो कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां कोई ख़ास सुधार नहीं है। मसलन केन्द्र सरकार ने अगस्त महीने में ई-श्रम पोर्टल लॉन्च किया था। इस पोर्टल पर इन्फोर्मल सेक्टर यानि असंगठित क्षेत्र के 5.3 करोड़ "बेरोजगारों" ने रोजगार के लिए रजिस्टर किया। रिपोर्ट में मासिक ईपीएफओ पेरोल रिपोर्ट भेजने वाले व्यवसायों के ईसीआर का इस्तेमाल करते हुए रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि अगस्त महीने तक लगभग 36.6 लाख असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को संगठित क्षेत्र में शिफ्ट कर दिया गया है। औपचारिकता की सीमा के एक उपाय के रूप में मासिक ईपीएफओ पेरोल रिपोर्ट, किसी विशेष महीने में पहली ईसीआर (ईलेक्ट्रोनिक चालान कम रिटर्न) भेजने वाले व्यवसायों पर डेटा प्रदान करती है। श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि ईसीआर में 2018 से ही गिरावट देखी जा रही है। मसलन साल 2018 में वो व्यवसाय जिसने अपना पहला ईसीआर जारी किया 60,884 थे जो 2020-21 में कम होकर 46,656 रह गई। जबकि ईपीएफ योजना में नए ग्राहकों की शुद्ध संख्या सितंबर 2017-18 से 2020-21 के बीच तीन साल में 15,52,940 से बढ़कर 77,08,375 हो गई। 2019 में यह 78,58,394 पर पहुंच गया था जिसमें महामारी के दौरान 1.5 लाख की गिरावट दर्ज की गई थी। भारतीय वर्कफोर्स में सबसे ज़्यादा हिस्सा असंगठित क्षेत्र का ही है और इसको संगठिक करने की दिशा में केन्द्र काम कर रहा है, लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक़ जो कदम उठाए जा रहे हैं उससे अभी भी एक बड़ा कामकाजी वर्ग बाहर है। रिपोर्ट के मुताबिक़ साल 2017-18 के दौरान Agriculture, forestry और fishing; manufacturing; Trade, repair और Accommodation, सहित Construction क्षेत्र का भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान 53.2 फीसदी था। यह सभी चार सेक्टर असंगठित क्षेत्र का ही हिस्सा हैं और हालिया रिपोर्ट के मुताबिक़ यह सेक्टर लगातार सिकुड़ रहा है और लोग रोजगार-रोजगार कर रहे हैं।
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