चिनूक हेलिकॉप्टर : आसमान से गिरा और बिहार में अटका

भारतीय सेना के चिनूक हेलिकॉप्टर में तकनीकी ख़राबी की वजह से बिहार के बक्सर में इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी। यह घटना 25 अगस्त की है जब चिनूक को बक्सर के मनिकपुर हाई स्कूल में लैंडिंग करनी पड़ी थी। सुरक्षा अधिकारियों के मुताबिक़ लैंडिंग से किसी नुक़सान की कोई ख़बर नहीं है। विमान में 15 लोग सवार थे जो सुरक्षित हैं।
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक़ बक्सर के ज़िला अधिकारी अमन समीर ने बताया कि “नए शामिल किए गए हेलीकॉप्टर ने प्रयागराज से उड़ान भरी थी और पटना के पास बिहटा हवाई अड्डे के रास्ते में था जब उसे इमजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी।” उन्होंने बताया कि किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं है। जब तक कि वायुसेना के जवान इसे वापस नहीं उड़ाते, तब तक पुलिस को हेलिकॉप्टर की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया है।
चिनूक एक मल्टी रोल, हेवी लिफ्ट हेलिकॉप्टर है, जो मुख्य रूप से सैनिकों, तोपखाने, उपकरण और ईंधन के परिवहन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। तकनीकी ख़राबी के चलते हेलिकॉप्टर उड़ान नहीं भर पा रहा है और इसको खींचने के लिए चार-चार ट्रैक्टर लगाए गए लेकिन हेलिकॉप्टर का वज़न इतना है कि वो टस से मस नहीं हुआ। दि बोइंग कंपनी, जिसने इस हेलिकॉप्टर को डिज़ाइन किया है उसकी वेबसाइट के मुताबिक़ एक चिनूक का वज़न 22 हज़ार किलोग्राम से ज़्यादा होता है और करीब 11 टन वज़न के साथ आसमान में उड़ने की क्षमता होती है। भारत सरकार ने अपनी सेना के लिए बोइंग कंपनी से ऐसे 15 हेलिकॉप्टर की डील की थी। यह डील साल 2015 में हुई थी जिसमें अमेरिकी एविएशन कंपनी से 15 CH-47 चिनूक हेलिकॉप्टर खरीदने की करार हुई थी। फरवरी 2019 तक कंपनी ने क़रार के मुताबिक़ सभी 15 हेलिकॉप्टर की डिलीवरी पूरी की थी। यह हेलिकॉप्टर भारत और अमेरिकी सरकार में समझौते के बाद फॉरेन मिलिट्री सेल के रास्ते भारत को मिला है। ग़ौरतलब है कि सितंबर 2015 में बोइंग के साथ सौदे में भारत सरकार ने 3 अरब डॉलर से 22 बोइंग एएच-64ई अपाचे लॉन्गबो अटैक हेलीकॉप्टर और 15 चिनूक हेवी-लिफ्ट हेलिकॉप्टर शामिल थे। इनमें चिनूक हेलिकॉप्टर का सौदा 1.1 अरब डॉलर का था और एक हेलिकॉप्टर की कीमत 73 मिलियन डॉलर है। अब हाल ही में भारतीय सेना में शामिल चिनूक हेलिकॉप्टर की इस इमरजेंसी लैंडिंग से महंगे और विशाल विमान में तकनीकी ख़राबी आना और इमरजेंसी लैंडिंग की नौबत आना बहस का विषय है।
चिनूक एक मल्टी रोल, हेवी लिफ्ट हेलिकॉप्टर है, जो मुख्य रूप से सैनिकों, तोपखाने, उपकरण और ईंधन के परिवहन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। तकनीकी ख़राबी के चलते हेलिकॉप्टर उड़ान नहीं भर पा रहा है और इसको खींचने के लिए चार-चार ट्रैक्टर लगाए गए लेकिन हेलिकॉप्टर का वज़न इतना है कि वो टस से मस नहीं हुआ। दि बोइंग कंपनी, जिसने इस हेलिकॉप्टर को डिज़ाइन किया है उसकी वेबसाइट के मुताबिक़ एक चिनूक का वज़न 22 हज़ार किलोग्राम से ज़्यादा होता है और करीब 11 टन वज़न के साथ आसमान में उड़ने की क्षमता होती है। भारत सरकार ने अपनी सेना के लिए बोइंग कंपनी से ऐसे 15 हेलिकॉप्टर की डील की थी। यह डील साल 2015 में हुई थी जिसमें अमेरिकी एविएशन कंपनी से 15 CH-47 चिनूक हेलिकॉप्टर खरीदने की करार हुई थी। फरवरी 2019 तक कंपनी ने क़रार के मुताबिक़ सभी 15 हेलिकॉप्टर की डिलीवरी पूरी की थी। यह हेलिकॉप्टर भारत और अमेरिकी सरकार में समझौते के बाद फॉरेन मिलिट्री सेल के रास्ते भारत को मिला है। ग़ौरतलब है कि सितंबर 2015 में बोइंग के साथ सौदे में भारत सरकार ने 3 अरब डॉलर से 22 बोइंग एएच-64ई अपाचे लॉन्गबो अटैक हेलीकॉप्टर और 15 चिनूक हेवी-लिफ्ट हेलिकॉप्टर शामिल थे। इनमें चिनूक हेलिकॉप्टर का सौदा 1.1 अरब डॉलर का था और एक हेलिकॉप्टर की कीमत 73 मिलियन डॉलर है। अब हाल ही में भारतीय सेना में शामिल चिनूक हेलिकॉप्टर की इस इमरजेंसी लैंडिंग से महंगे और विशाल विमान में तकनीकी ख़राबी आना और इमरजेंसी लैंडिंग की नौबत आना बहस का विषय है।
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