कोयला पॉवर प्लांट पर विदेशी निवेश बंद करेगा चीन, राष्ट्रपति जिनपिंग के ऐलान के मायने ?
COP26 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन पर दुनिया की नज़र...

न्यू यॉर्क में जारी संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने देश के बाहर कोयले से चलने वाली नई बिजली परियोजनाओं के निर्माण को बंद करने का ऐलान किया है। चीन का यह फैसला दुनिया भर के पर्यावरणविदों के लिए स्वागत योग्य ख़बर है। चीनी राष्ट्रपति ने कहा, "चीन 2030 से पहले कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को चरम पर ले जाने और 2060 से पहले कार्बन तटस्थता हासिल करने की कोशिश करेगा।”
चीन का कोयला बिजली संयंत्रों पर निवेश बंद करने का ऐलान
शी जिनपिंग ने वार्षिक संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक पूर्व-रिकॉर्डेड वीडियो संबोधन में कहा, "चीन हरित और निम्न-कार्बन ऊर्जा विकसित करने में अन्य विकासशील देशों के लिए समर्थन बढ़ाएगा, और विदेशों में कोयले से चलने वाली नई बिजली परियोजनाओं का निर्माण नहीं करेगा।" चीनी राष्ट्रपति व्यक्तिगत रूप से जलवायु एजेंडे में शामिल हैं। 2012 में उनके सत्ता में आने के बाद से ही वो प्रदूषण जैसी समस्याओं और जलवायु संबंधी अन्य समस्याओं से निपटने के लिए लगातार क़दम उठाते रहे हैं। ख़ास बात यह है कि चीन के अंदर भी जलवायु संबंधी संकट के प्रभाव के बारे में लोगों में जागरुकता बढ़ रही है। हाल ही में देश के हेनान प्रांत में आई बाढ़ से लोगों में इस संकट संबंधी जागरुकता बढ़ी है। हालांकि चीनी राष्ट्रपति के इस फैसले के काफी दिन बीत जाने के बाद भी इस संबंध में कोई ड्राफ्ट सामने नहीं आया है लेकिन माना यही जा रहा है कि चीन देश-विदेश में स्थित कोयला बिजली संयंत्र परियोजनाओं में अपने निवेश को बंद कर सकता है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के यह फैसले चीन के 50 अरब डॉलर के निवेश को कम हो सकती है। चीन का कोयला बिजली संयंत्रों पर वैश्विक निवेश चीन वैश्विक स्तर पर कोयला बिजली संयंत्रों के लिए फाइनेंसिंग का सबसे बड़ा स्त्रोत है और शी जिनपिंग के इस फैसले से बांग्लादेश, इंडोनेशिया, वियतनाम और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में कोयला बिजली विस्तार संबंधी योजनाओं पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है। कोयला बिजली संयंत्रों के मामले में इंडोनेशिया सहित कई देशों में चीन की सक्रीय भूमिका रही है। चीन ने इंडोनेशिया में 15,671 मिलियन डॉलर का निवेश कर रखा है जो कुल संयंत्र क्षमता का 9,724 मेगानाट है। इनके अलावा बांग्लादेश में इस तरह की योजनाओं में चीन का 9,602 मिलियन डॉलर का इन्वेस्टमेंट है। चीन ने पाकिस्तान में ऐसी परियोजनाओं पर 7,371 मिलियन डॉलर का निवेश किया हुआ है।
शी जिनपिंग ने वार्षिक संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक पूर्व-रिकॉर्डेड वीडियो संबोधन में कहा, "चीन हरित और निम्न-कार्बन ऊर्जा विकसित करने में अन्य विकासशील देशों के लिए समर्थन बढ़ाएगा, और विदेशों में कोयले से चलने वाली नई बिजली परियोजनाओं का निर्माण नहीं करेगा।" चीनी राष्ट्रपति व्यक्तिगत रूप से जलवायु एजेंडे में शामिल हैं। 2012 में उनके सत्ता में आने के बाद से ही वो प्रदूषण जैसी समस्याओं और जलवायु संबंधी अन्य समस्याओं से निपटने के लिए लगातार क़दम उठाते रहे हैं। ख़ास बात यह है कि चीन के अंदर भी जलवायु संबंधी संकट के प्रभाव के बारे में लोगों में जागरुकता बढ़ रही है। हाल ही में देश के हेनान प्रांत में आई बाढ़ से लोगों में इस संकट संबंधी जागरुकता बढ़ी है। हालांकि चीनी राष्ट्रपति के इस फैसले के काफी दिन बीत जाने के बाद भी इस संबंध में कोई ड्राफ्ट सामने नहीं आया है लेकिन माना यही जा रहा है कि चीन देश-विदेश में स्थित कोयला बिजली संयंत्र परियोजनाओं में अपने निवेश को बंद कर सकता है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के यह फैसले चीन के 50 अरब डॉलर के निवेश को कम हो सकती है। चीन का कोयला बिजली संयंत्रों पर वैश्विक निवेश चीन वैश्विक स्तर पर कोयला बिजली संयंत्रों के लिए फाइनेंसिंग का सबसे बड़ा स्त्रोत है और शी जिनपिंग के इस फैसले से बांग्लादेश, इंडोनेशिया, वियतनाम और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में कोयला बिजली विस्तार संबंधी योजनाओं पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है। कोयला बिजली संयंत्रों के मामले में इंडोनेशिया सहित कई देशों में चीन की सक्रीय भूमिका रही है। चीन ने इंडोनेशिया में 15,671 मिलियन डॉलर का निवेश कर रखा है जो कुल संयंत्र क्षमता का 9,724 मेगानाट है। इनके अलावा बांग्लादेश में इस तरह की योजनाओं में चीन का 9,602 मिलियन डॉलर का इन्वेस्टमेंट है। चीन ने पाकिस्तान में ऐसी परियोजनाओं पर 7,371 मिलियन डॉलर का निवेश किया हुआ है।
ताज़ा वीडियो