असम में फिर भड़का सीएए विरोधी आंदोलन, मोदी-शाह के दौरे का विरोध
छात्रों ने अमित शाह के दौरे के दौरान काला झंडा दिखाने समेत सीएए क़ानून की कॉपी जलाने की योजना बनाई है।

पूर्वोत्तर राज्य असम में एक बार फिर सीएए विरोधी प्रदर्शन ज़ोर पकड़ रहा है। शुक्रवार शाम राज्य की राजधानी गुवाहाटी समेत कई ज़िलों में अपनी मांगों को लेकर ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के छात्रों ने प्रदर्शन किया है। प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और राज्य के सीएम सर्वानंद सोनोवाल के ख़िलाफ नारेबाज़ी की। प्रदर्शनकारियों ने नए नागरिकता क़ानून को रद्द करने के साथ ही असम समझौते के खंड 6 को लागू करने और पर्यावरण को लेकर बने ईआईए अधिनियम को रद्द करने की मांग की।
इस दौरान तेज़पुर ज़िले में पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झड़प भी हुई जिसमें चार छात्र घायल हो गये। उनका इलाज चल रहा है। वहीं गुवाहाटी स्थित आसू के कार्यालय ‘स्वाहिद भवन’ की पुलिस ने बैरिकेडिंग कर दी और छात्रों को मशाल जुलूस निकालने से रोक दिया। इस दौरान पुलिस और छात्र नेताओं के बीच झड़प भी हुई।
आसू के मुख्य सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने बताया, ‘हम अहिंसक, लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से मशाल मार्च निकाल रहे थे लेकिन पुलिस लगातार इस तरह के प्रदर्शनों को दबाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने सीएम सर्वानंद सोनोवाल पर हमला बोलते हुए कहा, ‘यह स्वाहिद भवन ही था कि सोनोवाल मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे और अब वो लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए फोर्स भेज रहे हैं। यह शर्मनाक है और हम इसकी निंदा करते हैं।’ स्टूडेंट्स यूनियन ने शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी और रविवार को गृह मंत्री अमित शाह के दौरे के दौरान तीन दिवसीय राज्यव्यापी विरोध-प्रदर्शन का ऐलान किया था। शुक्रवार शाम को आसू के छात्रों ने ज़िला स्तर पर मशाल मार्च निकालकर इसकी शुरुआत की थी। छात्रों ने सिवसागर में पीएम मोदी के संबोधन के दौरान काली झंडी दिखाने की योजना बनाई थी। वहीं छात्रों ने अमित शाह के दौरे के दौरान काला झंडा दिखाने समेत सीएए क़ानून की कॉपी जलाने की योजना बनाई है। समुज्जल भट्टाचार्य ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने असम समझौते के खंड 6 को लागू करने का वादा किया था। इसके लिए 16 जुलाई 2019 को एक कमेटी भी बनाई गई थी और उस हाई लेवल कमेटी ने अपनी रिपोर्ट भी सरकार को सौंप दी लेकिन अबतक इसे लागू नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि यह हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है और यह हम लेकर रहेंगे, यह प्रधानमंत्री या गृह मंत्री का दान नहीं है। हमारा प्रदर्शन तबतक जारी रहेगा जबतक हमारी मांगे पूरी नहीं की जाती।।
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आसू के मुख्य सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने बताया, ‘हम अहिंसक, लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से मशाल मार्च निकाल रहे थे लेकिन पुलिस लगातार इस तरह के प्रदर्शनों को दबाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने सीएम सर्वानंद सोनोवाल पर हमला बोलते हुए कहा, ‘यह स्वाहिद भवन ही था कि सोनोवाल मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे और अब वो लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए फोर्स भेज रहे हैं। यह शर्मनाक है और हम इसकी निंदा करते हैं।’ स्टूडेंट्स यूनियन ने शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी और रविवार को गृह मंत्री अमित शाह के दौरे के दौरान तीन दिवसीय राज्यव्यापी विरोध-प्रदर्शन का ऐलान किया था। शुक्रवार शाम को आसू के छात्रों ने ज़िला स्तर पर मशाल मार्च निकालकर इसकी शुरुआत की थी। छात्रों ने सिवसागर में पीएम मोदी के संबोधन के दौरान काली झंडी दिखाने की योजना बनाई थी। वहीं छात्रों ने अमित शाह के दौरे के दौरान काला झंडा दिखाने समेत सीएए क़ानून की कॉपी जलाने की योजना बनाई है। समुज्जल भट्टाचार्य ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने असम समझौते के खंड 6 को लागू करने का वादा किया था। इसके लिए 16 जुलाई 2019 को एक कमेटी भी बनाई गई थी और उस हाई लेवल कमेटी ने अपनी रिपोर्ट भी सरकार को सौंप दी लेकिन अबतक इसे लागू नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि यह हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है और यह हम लेकर रहेंगे, यह प्रधानमंत्री या गृह मंत्री का दान नहीं है। हमारा प्रदर्शन तबतक जारी रहेगा जबतक हमारी मांगे पूरी नहीं की जाती।।
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