#BoycottJioVodaAirtel: क्या इसका फायदा BSNL को होगा ?
अब इन प्राइवेट कंपनियों के प्रीपेड प्लान महंगा होने के बाद अगर बीएसएनएल का सब्सक्राइबर बेस बढ़ता है तो इसका सीधा फायदा सरकार को होगा...

भारत में दुनिया का सबसे “सस्ता इंटरनेट” मानो अब ख़्वाब बनता जा रहा है। देश की प्राइवेट टेलिकॉम कंपनियां अपने प्रीपेड मंथली पैक की कीमतें बढ़ा रही हैं। पहले वोडाफोन-आइडिया और एयरटेल ने अपने प्रीपेड प्लान पर टैरिफ में 25 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी की और अब रिलायंस जियो ने भी अपने मंथली प्रीपेड प्लान की कीमतें बढ़ा दी हैं।
रविवार को रिलायंस जियो ने टैरिफ में 20 से 21 फीसदी की बढ़ोत्तरी के साथ नया प्रीपेड प्लान जारी किया जो 1 दिसंबर से प्रभावी होगा।
ख़ास बात यह है कि टेलिकॉम कंपनियों की तरफ से प्रीपेड प्लान की कीमतें बढ़ाए जाने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। रिलायंस जियो के टैरिफ में बढ़ोत्ती के बाद से ही ट्विटर पर #BoycottJioVodaAirtel ट्रेंड कर रहा है। इसके बाद अब सोमवार को ट्विटर पर #BSNL टॉप ट्रेंडिंग में है। लोग “Its Now Time To Switch To BSNL Network” के पंफलेट के साथ ट्वीट कर रहे हैं और कह रहे हैं कि अब 2010 में लौटने का समय आ गया है जहां BSNL सबसे सस्ता मोबाइल नेटवर्क ऑप्शन था।” लोग #BoycottJioVodaAirtel के साथ बीएसएनएल में स्विच करने की सलाह दे रहे हैं। BSNL को बेचने की तैयारी ! दरअसल, केन्द्र सरकार भारतीय संचार निगम लिमिटेड (BSNL) के कुछ हिस्से का निजिकरण करना चाहती है। सरकार, मंत्री और उसके नेता इसके पीछे कंपनी के नुक़सान में होने की दुहाई देते हैं। केन्द्र सरकार अपने एनएमपी (National Monetisation Plan) के तहत बीएसएनएल के करीब 15 हज़ार टॉवर का निजिकरण करना चाहती है। इसके साथ ही 2.86 लाख किलोमीटर भारतनेट के ऑप्टिक फाइबर के निजीकरण की भी योजना है। हालांकि, अक्टूबर 2019 में तत्कालीन केन्द्रीय संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कंपनी की रिस्ट्रक्चरिंग और उसके रिवाइवल का प्लान पेश किया था। उन्होंने बीएसएनएल के भारी क़र्ज़ में होने की बात कही थी और कंपनी को फिर प्रोफिटेबिलिटी कंपनी बनाने का लक्ष्य रखा गया था। टेलिकॉम टॉक की मार्च 2021 की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ केन्द्रीय दूर संचार राज्य मंत्री संजय धोत्रे ने कहा था कि सरकार BSNL का निजिकरण नहीं करेगी। इसके साथ ही केन्द्रीय मंत्री ने यह भी बताया था कि अगले दो साल में BSNL 4G नेटवर्क स्थापित करेगी। टेलिकॉम टॉक की अप्रैल महीने की रिपोर्ट में बताया गया कि सरकार बीटीसीएल या बीएसएनएल टॉवर कंपनी लिमिटेड के हिस्से के निजिकरण की तैयारी में हैं। बीटीसीएल, बीएसएनएल की ही एक यूनिट है जो मोबाइल टॉवर के प्रबंधन का काम देखती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि अगर टॉवर के निजिकरण की डील पक्की हो जाती है तो सरकार इसके माइनॉरिटी स्टेकहोल्डर में आ जाएगी। बीएसएनएल कर्मचारी संघ (बीएसएनएलईयू) के महासचिव पी अभिमन्यु के हवाले से रिपोर्ट में बताया गया कि कंपनी के निजीकरण के साथ ही कंपनी सरकार के हाथ से निकलकर निजी हाथों में हस्तांतरित हो जाएगी। Voda-IDEA, Airtel और Reliance Jio ने अपने प्रीपेड प्लान की कीमतें क्यों बढ़ाई ? जानकार मानते हैं कि प्राइवेट कंपनियों के प्रीपेड प्लान महंगा करने से बीएसएनएल का फायदा होगा। इसकी वजह से सरकारी टेलिकॉम कंपनी का सब्सक्राइबर बेस बढ़ेगा और इसके साथ ही कंपनी की वैल्यू भी बढ़ेगी। हालांकि बीएसएनएल के टॉवर सिर्फ चुनिंदा जगहों पर ही स्थित हैं। बीएसएनएल, बीटीसीएल के तहत 68,000 मोबाइल टॉवर का प्रतिनिधित्व करता है लेकिन जानकार के मुताबिक़ कंपनी के स्ट्रक्चर पर ध्यान नहीं देने की वजह से कंपनी का नेटवर्क स्पीड बेहद ख़राब है। हालांकि आपको यह भी बता दें कि बीएसएनएल 7000 टॉवर साइट रिलायंस जियो के साथ साझा करता है। इनके अलावा 13,000 ऐसे टॉवर साइट्स भी हैं जिन्हें कंपनी ने निजी ऑपरेटर को लीज़ पर दी हुई है। दरअसल,पिछले दिनों बीएसएनएल ने अपने लाइफटाइम प्रीपेड प्लान को ख़त्म कर दिया है और उसकी जगह 79 रूपये से एक प्रीमियम प्लान की शुरुआत की है जिसकी वैलिडिटी 50 दिनों की है लेकिन दूसरी कंपनियां इसकी वैलिडिटी 28 दिनों की ही देती है। इनके अलावा कई फैक्टर हैं जो बीएसएनलएल के प्लान को दूसरी कंपनियों के प्लान के हिसाब से सस्ता करता है। BSNL का घटता सब्सक्राइबर बेस ! यही वजह है कि महीने दर महीने बीएसएनएल का सब्सक्राइबर बेस घट रहा है। टेलिकॉम रेगुलेटरी ऑथोरिटी की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक़ सितंबर महीने में बीएसएनएल के सब्सक्राइबर बेस में 67 हज़ार से ज़्यादा सब्सक्राइबर की कमी आई है। माना जा रहा है कि इसका फायदा रिलायंस जियो और भारती एयरटेल को ही हुआ है जो देश में टेलिकॉम सेक्टर की दो मुख्य कंपटीटर हैं। टेलिकॉम सेक्टर में बीएसएनएल का मार्केट शेयर महज़ 3.04 फीसदी है। जबकि रिलांयस करीब 54 फीसदी हिस्सेदारी के साथ देश की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी बनी हुई है और मार्केट में एयरटेल की हिस्सेदारी 26 फीसदी है। अब इन प्राइवेट कंपनियों के प्रीपेड प्लान महंगा होने के बाद अगर बीएसएनएल का सब्सक्राइबर बेस बढ़ता है तो इसका सीधा फायदा सरकार को होगा, जो इसके निजीकरण के लक्ष्य से आगे बढ़ रही है।
ख़ास बात यह है कि टेलिकॉम कंपनियों की तरफ से प्रीपेड प्लान की कीमतें बढ़ाए जाने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। रिलायंस जियो के टैरिफ में बढ़ोत्ती के बाद से ही ट्विटर पर #BoycottJioVodaAirtel ट्रेंड कर रहा है। इसके बाद अब सोमवार को ट्विटर पर #BSNL टॉप ट्रेंडिंग में है। लोग “Its Now Time To Switch To BSNL Network” के पंफलेट के साथ ट्वीट कर रहे हैं और कह रहे हैं कि अब 2010 में लौटने का समय आ गया है जहां BSNL सबसे सस्ता मोबाइल नेटवर्क ऑप्शन था।” लोग #BoycottJioVodaAirtel के साथ बीएसएनएल में स्विच करने की सलाह दे रहे हैं। BSNL को बेचने की तैयारी ! दरअसल, केन्द्र सरकार भारतीय संचार निगम लिमिटेड (BSNL) के कुछ हिस्से का निजिकरण करना चाहती है। सरकार, मंत्री और उसके नेता इसके पीछे कंपनी के नुक़सान में होने की दुहाई देते हैं। केन्द्र सरकार अपने एनएमपी (National Monetisation Plan) के तहत बीएसएनएल के करीब 15 हज़ार टॉवर का निजिकरण करना चाहती है। इसके साथ ही 2.86 लाख किलोमीटर भारतनेट के ऑप्टिक फाइबर के निजीकरण की भी योजना है। हालांकि, अक्टूबर 2019 में तत्कालीन केन्द्रीय संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कंपनी की रिस्ट्रक्चरिंग और उसके रिवाइवल का प्लान पेश किया था। उन्होंने बीएसएनएल के भारी क़र्ज़ में होने की बात कही थी और कंपनी को फिर प्रोफिटेबिलिटी कंपनी बनाने का लक्ष्य रखा गया था। टेलिकॉम टॉक की मार्च 2021 की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ केन्द्रीय दूर संचार राज्य मंत्री संजय धोत्रे ने कहा था कि सरकार BSNL का निजिकरण नहीं करेगी। इसके साथ ही केन्द्रीय मंत्री ने यह भी बताया था कि अगले दो साल में BSNL 4G नेटवर्क स्थापित करेगी। टेलिकॉम टॉक की अप्रैल महीने की रिपोर्ट में बताया गया कि सरकार बीटीसीएल या बीएसएनएल टॉवर कंपनी लिमिटेड के हिस्से के निजिकरण की तैयारी में हैं। बीटीसीएल, बीएसएनएल की ही एक यूनिट है जो मोबाइल टॉवर के प्रबंधन का काम देखती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि अगर टॉवर के निजिकरण की डील पक्की हो जाती है तो सरकार इसके माइनॉरिटी स्टेकहोल्डर में आ जाएगी। बीएसएनएल कर्मचारी संघ (बीएसएनएलईयू) के महासचिव पी अभिमन्यु के हवाले से रिपोर्ट में बताया गया कि कंपनी के निजीकरण के साथ ही कंपनी सरकार के हाथ से निकलकर निजी हाथों में हस्तांतरित हो जाएगी। Voda-IDEA, Airtel और Reliance Jio ने अपने प्रीपेड प्लान की कीमतें क्यों बढ़ाई ? जानकार मानते हैं कि प्राइवेट कंपनियों के प्रीपेड प्लान महंगा करने से बीएसएनएल का फायदा होगा। इसकी वजह से सरकारी टेलिकॉम कंपनी का सब्सक्राइबर बेस बढ़ेगा और इसके साथ ही कंपनी की वैल्यू भी बढ़ेगी। हालांकि बीएसएनएल के टॉवर सिर्फ चुनिंदा जगहों पर ही स्थित हैं। बीएसएनएल, बीटीसीएल के तहत 68,000 मोबाइल टॉवर का प्रतिनिधित्व करता है लेकिन जानकार के मुताबिक़ कंपनी के स्ट्रक्चर पर ध्यान नहीं देने की वजह से कंपनी का नेटवर्क स्पीड बेहद ख़राब है। हालांकि आपको यह भी बता दें कि बीएसएनएल 7000 टॉवर साइट रिलायंस जियो के साथ साझा करता है। इनके अलावा 13,000 ऐसे टॉवर साइट्स भी हैं जिन्हें कंपनी ने निजी ऑपरेटर को लीज़ पर दी हुई है। दरअसल,पिछले दिनों बीएसएनएल ने अपने लाइफटाइम प्रीपेड प्लान को ख़त्म कर दिया है और उसकी जगह 79 रूपये से एक प्रीमियम प्लान की शुरुआत की है जिसकी वैलिडिटी 50 दिनों की है लेकिन दूसरी कंपनियां इसकी वैलिडिटी 28 दिनों की ही देती है। इनके अलावा कई फैक्टर हैं जो बीएसएनलएल के प्लान को दूसरी कंपनियों के प्लान के हिसाब से सस्ता करता है। BSNL का घटता सब्सक्राइबर बेस ! यही वजह है कि महीने दर महीने बीएसएनएल का सब्सक्राइबर बेस घट रहा है। टेलिकॉम रेगुलेटरी ऑथोरिटी की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक़ सितंबर महीने में बीएसएनएल के सब्सक्राइबर बेस में 67 हज़ार से ज़्यादा सब्सक्राइबर की कमी आई है। माना जा रहा है कि इसका फायदा रिलायंस जियो और भारती एयरटेल को ही हुआ है जो देश में टेलिकॉम सेक्टर की दो मुख्य कंपटीटर हैं। टेलिकॉम सेक्टर में बीएसएनएल का मार्केट शेयर महज़ 3.04 फीसदी है। जबकि रिलांयस करीब 54 फीसदी हिस्सेदारी के साथ देश की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी बनी हुई है और मार्केट में एयरटेल की हिस्सेदारी 26 फीसदी है। अब इन प्राइवेट कंपनियों के प्रीपेड प्लान महंगा होने के बाद अगर बीएसएनएल का सब्सक्राइबर बेस बढ़ता है तो इसका सीधा फायदा सरकार को होगा, जो इसके निजीकरण के लक्ष्य से आगे बढ़ रही है।
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