बिहार में शिशु दर सबसे ज़्यादा, केरल में राष्ट्रीय औसत से काफ़ी कम

भारत के सबसे पिछड़ा राज्यों में शुमार बिहार विकास के अलग अलग पैमानों पर अक्सर निचले पायदान पर आता है। लेकिन एक पैमाना ऐसा है की जिसमे बिहार सबसे अव्वल है और वो है आबादी बढ़ने के पैमाने पर। आंकड़ों के मुताबिक देश में बर्थ रेट यानि एक तह काल में बच्चे पैदा होने के मामले में बिहार सबसे ऊपर है। वैसे तो अक्सर देश की बढ़ती आबादी का ठीकरा एक धर्मविशेष पर फोड़ा जाता है लेकिन आंकड़े इससे इत्तेफ़ाक नहीं रखते।
बता दें, बर्थ रेट का मतलब होता है की हर 1000 लोगो पर कितने बच्चे पैदा हो रहे है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ये दर सबसे ज्यादा 26.4 बिहार में है, जहा सब जानते है शिक्षा और गरीबी का क्या हाल है। इसके बाद नंबर आता है उत्तर प्रदेश का जहा शिशु दर 25.9 है। फिर मध्य प्रदेश 24.8, राजस्थान 24.1,छत्तीसगढ़ और झारखंड 22.7, असम 21.2 फीसदी और हरियाणा 20.5 है। अगर आप ध्यान से इस लिस्ट को देखे, तो इसमें कई ऐसे राज्य में जहा शिक्षा, रोज़गार और जागरूकता का अभाव है। अगर सबसे कम शिशु दर की बात करे तो सबसे ऊपर नाम आता है गोवा का जहा 11.4, चंडीगढ़ 13.5, केरल 14.2, पंजाब और तमिल नाडु 14.9 फीसदी और दिल्ली 15.2 है। आसान भाषा में कहे तो बिहार में सबसे ज्यादा बच्चे पैदा हो रहे है, वही केरल, जहा एक धर्म विशेष की आबादी ज्यादा है, वहा शिशु दर बेहद कम है। आसान भाषा में कहे तो ज्यादा बच्चे का सीधा संबंध है गरीबी, रोज़गार और अशिक्षा से। गरीब तपके में धारणा होती है की जितने बच्चे, उतने ही कमाने वाले हाथ। हालांकि, ये केवल भ्रम है और उल्टा ज्यादा बच्चों वाले परिवार को गरीबी से ज्यादा झूझना पड़ता है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ये दर सबसे ज्यादा 26.4 बिहार में है, जहा सब जानते है शिक्षा और गरीबी का क्या हाल है। इसके बाद नंबर आता है उत्तर प्रदेश का जहा शिशु दर 25.9 है। फिर मध्य प्रदेश 24.8, राजस्थान 24.1,छत्तीसगढ़ और झारखंड 22.7, असम 21.2 फीसदी और हरियाणा 20.5 है। अगर आप ध्यान से इस लिस्ट को देखे, तो इसमें कई ऐसे राज्य में जहा शिक्षा, रोज़गार और जागरूकता का अभाव है। अगर सबसे कम शिशु दर की बात करे तो सबसे ऊपर नाम आता है गोवा का जहा 11.4, चंडीगढ़ 13.5, केरल 14.2, पंजाब और तमिल नाडु 14.9 फीसदी और दिल्ली 15.2 है। आसान भाषा में कहे तो बिहार में सबसे ज्यादा बच्चे पैदा हो रहे है, वही केरल, जहा एक धर्म विशेष की आबादी ज्यादा है, वहा शिशु दर बेहद कम है। आसान भाषा में कहे तो ज्यादा बच्चे का सीधा संबंध है गरीबी, रोज़गार और अशिक्षा से। गरीब तपके में धारणा होती है की जितने बच्चे, उतने ही कमाने वाले हाथ। हालांकि, ये केवल भ्रम है और उल्टा ज्यादा बच्चों वाले परिवार को गरीबी से ज्यादा झूझना पड़ता है।
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