Bharat Bandh : दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल आज से शुरु; ट्रेड यूनियन की क्या है मांगें ?

ट्रेड यूनियन ने 28 और 29 मार्च को दो दिवसीय भारत बंद का आह्वान किया है। हड़ताल के समर्थकों ने सोमवार को भारत बंद के लिए पश्चिम बंगाल में कई जगहों पर रेल और सड़क जाम कर दिया।
केन्द्र की नीतियों के विरोध में कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं, कार्यकर्ताओं ने पश्चिम बंगाल के जाधवपुर, दमदम, बारासात, श्यामनगर, बेलघरिया, जॉयनगर, डोमजूर और अन्य जगहों पर रेलवे लाइनों पर प्रदर्शन किया। हालांकि बाद में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को शांत किया और रेलवे सुविधा फिर से शुरु करने में मदद की।
पश्चिम मिदनापुर, पश्चिम बर्दवान, जलपाईगुड़ी, कूचबिहार, बीरभूम, हुगली, उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना, हावड़ा जिलों में भी ऐसी सड़क और रेल नाकेबंदी देखी गई। विरोध की वजह से कुछ देर के लिए रेल सेवाएं बाधित रहीं। अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ द्वारा समर्थित केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों के एक संयुक्त मंच ने श्रमिकों, किसानों और आम लोगों को प्रभावित करने वाली केन्द्र सरकार की नीतियों के ख़िलाफ हड़ताल का आह्वान किया था। 2019 में केन्द्र में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में लौटने के बाद ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलाया गया यह दूसरा ऐसा देशव्यापी बंद है। 20 करोड़ कर्मचारियों के हड़ताल में हिस्सा लेने की उम्मीद ! हड़ताल का फैसला 22 मार्च को यूनियन की एक बैठक के बाद लिया गया था, जहां यूनियन के नेताओं ने कहा कि वे केन्द्र की "मज़दूर विरोधी, किसान विरोधी, जन विरोधी और राष्ट्र विरोधी नीतियों" का विरोध करेंगे। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की सरकार की योजना के साथ-साथ बैंकिंग क़ानून संशोधन विधेयक 2021 के विरोध में बैंक यूनियनों ने भी बंद को अपना समर्थन दिया है। ट्रेड यूनियन ने अपने एक बयान में बताया था कि इस हड़ताल/बंद को रोडवेज़, परिवहन कर्मचारियों और बिजली कर्मचारियों का भी समर्थन हासिल है। इस दो दिवसीय हड़ताल में कम से कम 20 करोड़ कर्मचारियों, कार्यकर्ताओं के हिस्सा लेने की उम्मीद है। देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने कहा है कि हड़ताल से बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। दो दिनों के हड़ताल में कोयला, इस्पात, तेल, दूरसंचार, डाक, आयकर, तांबा और बीमा जैसे विभिन्न क्षेत्रों के कर्मचारियों के हिस्सा लेने की उम्मीद है। राज्य सरकारों का अनिवार्य आदेश ! इस बीच पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार ने सभी कर्मचारियों को इन दो दिनों में अनिवार्य रूप से अपने काम पर आने को कहा है, जिसका हड़ताल के समर्थक संगठन विरोध कर रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार ने दो दिवसीय भारत बंद के दौरान राज्य द्वारा संचालित बिजली कंपनियों के कर्मचारियों को विरोध प्रदर्शन में शामिल होने से रोकते हुए, महाराष्ट्र आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम (MESMA) लागू कर दिया है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ आदेश में कहा गया है कि- महाराष्ट्र में बिजली की खपत पहले ही बढ़ चुकी है और कोयले की भी कमी है। इस समय विरोध प्रदर्शन आयोजित करने से किसानों, उद्योगों और आम जनता को असुविधा होगी। कई राज्यों में हड़ताल का असर ! हरियाणा, दिल्ली, तमिलनाडु, केरल जैसे राज्यों में भी ट्रेड यूनियन के कार्यकर्ता और अन्य समर्थक संगठनों के कार्यकर्ता सड़कों पर आ गए हैं, जिससे ट्रांसपोर्ट और रेलवे सुविधा बाधित हुई है। बंद की वजह से सभी दुकानें भी बंद हैं। पंचकूला में हरियाणा रोडवेज यूनियन के सदस्य आईएसबीटी के बाहर प्रदर्शन करने पहुंचे हैं। किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए बस टर्मिनस पर पुलिस की तैनाती कर दी गई है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ तमिलनाडु में सिर्फ 33 फीसदी सरकारी बसें ही चल रही हैं। चेन्नई में करीब 10 फीसदी बसें सुबह से चल रही थीं। एक अंग्रेज़ी दैनिक की रिपोर्ट के मुताबिक़ चेन्नई में 3,175 बसें हैं जिसका रखरखाव मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन द्वारा किया जाता है, और इनमें सिर्फ 318 ही चल रही थीं। बंद को लेकर दिल्ली में गांधी प्रतिमा पर लेफ्ट, डीएमके सांसदों ने अपना विरोध दर्ज किया। राष्ट्रीय राजधानी में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक देशव्यापी बंद के पहले दिन आज बंद हैं। हड़ताल के समर्थक और विरोधी ! भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जुड़े ट्रेड यूनियन भारतीय मज़दूर संघ ने हड़ताल को राजनीति से प्रेरित बताते हुए दो दिवसीय बंद में शामिल होने से इनकार कर दिया है।
पश्चिम मिदनापुर, पश्चिम बर्दवान, जलपाईगुड़ी, कूचबिहार, बीरभूम, हुगली, उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना, हावड़ा जिलों में भी ऐसी सड़क और रेल नाकेबंदी देखी गई। विरोध की वजह से कुछ देर के लिए रेल सेवाएं बाधित रहीं। अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ द्वारा समर्थित केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों के एक संयुक्त मंच ने श्रमिकों, किसानों और आम लोगों को प्रभावित करने वाली केन्द्र सरकार की नीतियों के ख़िलाफ हड़ताल का आह्वान किया था। 2019 में केन्द्र में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में लौटने के बाद ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलाया गया यह दूसरा ऐसा देशव्यापी बंद है। 20 करोड़ कर्मचारियों के हड़ताल में हिस्सा लेने की उम्मीद ! हड़ताल का फैसला 22 मार्च को यूनियन की एक बैठक के बाद लिया गया था, जहां यूनियन के नेताओं ने कहा कि वे केन्द्र की "मज़दूर विरोधी, किसान विरोधी, जन विरोधी और राष्ट्र विरोधी नीतियों" का विरोध करेंगे। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की सरकार की योजना के साथ-साथ बैंकिंग क़ानून संशोधन विधेयक 2021 के विरोध में बैंक यूनियनों ने भी बंद को अपना समर्थन दिया है। ट्रेड यूनियन ने अपने एक बयान में बताया था कि इस हड़ताल/बंद को रोडवेज़, परिवहन कर्मचारियों और बिजली कर्मचारियों का भी समर्थन हासिल है। इस दो दिवसीय हड़ताल में कम से कम 20 करोड़ कर्मचारियों, कार्यकर्ताओं के हिस्सा लेने की उम्मीद है। देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने कहा है कि हड़ताल से बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। दो दिनों के हड़ताल में कोयला, इस्पात, तेल, दूरसंचार, डाक, आयकर, तांबा और बीमा जैसे विभिन्न क्षेत्रों के कर्मचारियों के हिस्सा लेने की उम्मीद है। राज्य सरकारों का अनिवार्य आदेश ! इस बीच पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार ने सभी कर्मचारियों को इन दो दिनों में अनिवार्य रूप से अपने काम पर आने को कहा है, जिसका हड़ताल के समर्थक संगठन विरोध कर रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार ने दो दिवसीय भारत बंद के दौरान राज्य द्वारा संचालित बिजली कंपनियों के कर्मचारियों को विरोध प्रदर्शन में शामिल होने से रोकते हुए, महाराष्ट्र आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम (MESMA) लागू कर दिया है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ आदेश में कहा गया है कि- महाराष्ट्र में बिजली की खपत पहले ही बढ़ चुकी है और कोयले की भी कमी है। इस समय विरोध प्रदर्शन आयोजित करने से किसानों, उद्योगों और आम जनता को असुविधा होगी। कई राज्यों में हड़ताल का असर ! हरियाणा, दिल्ली, तमिलनाडु, केरल जैसे राज्यों में भी ट्रेड यूनियन के कार्यकर्ता और अन्य समर्थक संगठनों के कार्यकर्ता सड़कों पर आ गए हैं, जिससे ट्रांसपोर्ट और रेलवे सुविधा बाधित हुई है। बंद की वजह से सभी दुकानें भी बंद हैं। पंचकूला में हरियाणा रोडवेज यूनियन के सदस्य आईएसबीटी के बाहर प्रदर्शन करने पहुंचे हैं। किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए बस टर्मिनस पर पुलिस की तैनाती कर दी गई है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ तमिलनाडु में सिर्फ 33 फीसदी सरकारी बसें ही चल रही हैं। चेन्नई में करीब 10 फीसदी बसें सुबह से चल रही थीं। एक अंग्रेज़ी दैनिक की रिपोर्ट के मुताबिक़ चेन्नई में 3,175 बसें हैं जिसका रखरखाव मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन द्वारा किया जाता है, और इनमें सिर्फ 318 ही चल रही थीं। बंद को लेकर दिल्ली में गांधी प्रतिमा पर लेफ्ट, डीएमके सांसदों ने अपना विरोध दर्ज किया। राष्ट्रीय राजधानी में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक देशव्यापी बंद के पहले दिन आज बंद हैं। हड़ताल के समर्थक और विरोधी ! भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जुड़े ट्रेड यूनियन भारतीय मज़दूर संघ ने हड़ताल को राजनीति से प्रेरित बताते हुए दो दिवसीय बंद में शामिल होने से इनकार कर दिया है।
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने सोमवार को कहा कि सरकार की नीतियों के विरोध में किसान दो दिवसीय भारत बंद में सक्रिय रूप से हिस्सा लेंगे।बी.एम.एस. 28 और 29 मार्च 2022 को कुछ केंद्रीय श्रम संघटनों द्वारा आहुत दो दिवसीय हड़ताल में भाग नही लेगा l@LabourMinistry @byadavbjp @PTI_News @PMOIndia @PIB_India @FinMinIndia @DoPTGoI @nsitharaman @nsitharamanoffc @socialepfo @IncomeTaxIndia #pension #AatmanirbharBharat pic.twitter.com/bJCPBfDinY
— BRMS (@brmsunion) March 27, 2022
किसानों के आंदोलन के बाद से ही वामपंथी दल किसानों और मजदूर वर्ग के बीच बढ़ते तालमेल की बात करते रहे हैं। कांग्रेस के INTUC, CPM के CITU, CPI के AITUC और अन्य जैसे- HMS, AIUTUC, TUCC, SEWA, AICCTU, LPF और UTUC जैसे अन्य ट्रेड यूनियनों की भी मांग है कि सरकार छह सूत्री मांगों को स्वीकार करे।Samyukta Kisan Morcha - SKM supports the call for #BharatBandh by trade unions on March 28th and 29th, and farmers across the country will actively participate in it.#KisanMajdoorEktaZindabaad#मोदी_का_MSP_जुमलाhttps://t.co/PAW7zV0uJN
— Kisan Ekta Morcha (@Kisanektamorcha) March 28, 2022
क्या है ट्रेड यूनियनों की मांगें? बंद का आह्वान करने वाले ट्रेड यूनियन की श्रम क़ानूनों में प्रस्तावित बदलावों को रद्द करने, मनरेगा के तहत वेतन में बढ़ोत्तरी, अन्य लोगों के बीच अनुबंध श्रमिकों को नियमित करने, सभी निजीकरण को रोकने और राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) को खत्म करने सहित कई अन्य मांगें हैं। केन्द्रीय नीतियां जो आम आदमी को प्रभावित करती हैं, हड़ताल में उनका विरोध करना भी शामिल है। संसद के चल रहे सत्र के बीच सीपीआई (एम) सांसद बिकाश्रंजन भट्टाचार्य ने भारत बंद के मुद्दे पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत राज्यसभा में कामकाज स्थगित करने का प्रस्ताव भी पेश किया।Accept the 6-point charter of demands of Samyukta Kisan Morcha. #Strike2saveindia pic.twitter.com/cuVSUG7gyE
— CPI (M) (@cpimspeak) March 28, 2022
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