कोरोना महामारी के बावजूद बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन शानदार

कोरोना महामारी ने दुनिया की ताक़तवर अर्थव्यवस्थाओं को हिलाकर रख दिया है लेकिन दक्षिण एशियाई देश बांग्लादेश की अर्शव्यवस्था इन हालात में भी शानदार प्रदर्शन कर रही है. वित्त वर्ष 2019-20 में बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में 5.24 फ़ीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है जिसे शानदार कहा जा रहा है.
बांग्लादेश के प्रमुख अख़बार ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक बांग्लादेश में अप्रैल महीने में निर्यात 83% घटने के बाद जुलाई में 0.6% बढ़कर 3.91 बिलियन डॉलर हो गया. वहीं मई से जून तक 36% की वृद्धि के साथ आयात में भी सुधार के संकेत दिखाई दे रहे हैं. इसके अलावा विदेशों से आने वाले पैसे में भी उछाल आया है और विदेशी मुद्रा भंडार में जुलाई में 37.1 बिलियन डॉलर की पूंजी आई.
हाल के वर्षों में जिस तरह की विकास दर बांग्लादेश में देखने को मिली है, उससे अर्थशास्त्रियों और वैश्विक संस्थाओं का अनुमान है कि देश की अर्थव्यवस्था एशिया की अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में तेजी से महामारी से उबर जाएगी. पिछले वित्त वर्ष में बांग्लादेश की विकास दर भारत से ज्यादा रही थी और हालात देख कर लगता है कि यही स्तिथि इस वर्ष भी रह सकती है. इसके उलट भारत में अर्थव्यस्था को पटरी पर लाना आसान नहीं. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल माह में देश में निर्यात 60 फीसदी से ज्यादा गिरकर 10.36 बिलियन डॉलर तक आ गया है. हालांकि ये आंकड़े बहुत नहीं चौंकाते क्योंकि अर्थव्यवस्था की रफ़्तार कोरोनाकाल से पहले ही सुस्त हो गई थी. निर्यात के साथ-साथ आयात भी ज़बरदस्त तरीके से सिकुड़ गया है. पिछले साल अप्रैल में सरकार ने 41.4 बिलियन डॉलर की क़ीमत वाले सामानों का आयात किया था जो इस साल अप्रैल में 59 फीसदी घटकर 17.12 बिलियन डॉलर पर सिमट गया है. वर्ल्ड बैंक की ताज़ा रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की अर्थव्यवस्था 3.2 फीसदी सिकुड़ जाएगी. बीते साल यही दर पॉजिटिव 4.2 फ़ीसदी थी.
हाल के वर्षों में जिस तरह की विकास दर बांग्लादेश में देखने को मिली है, उससे अर्थशास्त्रियों और वैश्विक संस्थाओं का अनुमान है कि देश की अर्थव्यवस्था एशिया की अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में तेजी से महामारी से उबर जाएगी. पिछले वित्त वर्ष में बांग्लादेश की विकास दर भारत से ज्यादा रही थी और हालात देख कर लगता है कि यही स्तिथि इस वर्ष भी रह सकती है. इसके उलट भारत में अर्थव्यस्था को पटरी पर लाना आसान नहीं. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल माह में देश में निर्यात 60 फीसदी से ज्यादा गिरकर 10.36 बिलियन डॉलर तक आ गया है. हालांकि ये आंकड़े बहुत नहीं चौंकाते क्योंकि अर्थव्यवस्था की रफ़्तार कोरोनाकाल से पहले ही सुस्त हो गई थी. निर्यात के साथ-साथ आयात भी ज़बरदस्त तरीके से सिकुड़ गया है. पिछले साल अप्रैल में सरकार ने 41.4 बिलियन डॉलर की क़ीमत वाले सामानों का आयात किया था जो इस साल अप्रैल में 59 फीसदी घटकर 17.12 बिलियन डॉलर पर सिमट गया है. वर्ल्ड बैंक की ताज़ा रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की अर्थव्यवस्था 3.2 फीसदी सिकुड़ जाएगी. बीते साल यही दर पॉजिटिव 4.2 फ़ीसदी थी.
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