काँग्रेस समेत लगभग सभी दल किसानों के साथ, अलग-थलग पड़ी बीजेपी

केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ बीते तीन दिनों से 500 से ज्यादा किसान संगठनों के नेतृत्व में लाखों किसानों दिल्ली कूच कर चुके हैं। आँसू गैस, लाठीचार्ज और पुलिस के साथ झड़प होने के बावजूद, किसान दिल्ली बॉर्डर पर पहुँच चुके हैं और पुरज़ोर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।
किसानों ने साफ ऐलान कर दिया है जब तक केंद्र सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती तब तक वह पीछे नहीं हटेंगे। कांग्रेस समेत लगभाग सभी दल किसानों के समर्थन में हैं और बीजेपी राजनीतिक रूप से अलग-थलग पड़ती नज़र आ रही है।
कांग्रेस इस मुद्दे पर काफ़ी हमलावर दिख रही है। किसानों का आंदोलन दो महीने से ज़्यादा वक़्त तक पंजाब में जारी रहा तो बड़ी वजह वहाँ कांग्रेस की सरकार का होना भी है। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह लगातार किसानों के मुद्दे पर मुखर रहे, वहीं पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी भी रोज़ाना इस मुद्दे पर ट्वीट कर रहे हैं।राहुल ने ताज़ा ट्वीट में आोप लगाया कि मोदी सरकार ने जवानों को किसानों के ख़िलाफ़ खड़ा कर दिया जबकि नारा जय जवान-जय किसान का था।
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कांग्रेस इस मुद्दे पर काफ़ी हमलावर दिख रही है। किसानों का आंदोलन दो महीने से ज़्यादा वक़्त तक पंजाब में जारी रहा तो बड़ी वजह वहाँ कांग्रेस की सरकार का होना भी है। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह लगातार किसानों के मुद्दे पर मुखर रहे, वहीं पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी भी रोज़ाना इस मुद्दे पर ट्वीट कर रहे हैं।राहुल ने ताज़ा ट्वीट में आोप लगाया कि मोदी सरकार ने जवानों को किसानों के ख़िलाफ़ खड़ा कर दिया जबकि नारा जय जवान-जय किसान का था।
इस बीच कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है। सिद्धू ने शायराना अंदाज़ में केंद्र सरकार पर तंज़ किया है।बड़ी ही दुखद फ़ोटो है। हमारा नारा तो ‘जय जवान जय किसान’ का था लेकिन आज PM मोदी के अहंकार ने जवान को किसान के ख़िलाफ़ खड़ा कर दिया।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 28, 2020
यह बहुत ख़तरनाक है। pic.twitter.com/1pArTEECsU
वहीँ सिद्धू का यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल भी हो रहा है। सिद्धू ने वीडियो के साथ ट्वीट कर कहा - राष्ट्रीय बहस होना चाहिए कि सरकारी खजाने से पूंजीपतियों को मदद मिल रही है या आम आदमी को। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि केंद्र सरकार जनता के पैसे से टैक्स इकट्ठा करती है, लेकिन यह राजस्व या आय 0.1 प्रतिशत कारपोरेट इंडिया की मदद में इस्तेमाल की जाती है। एनपीए या इसे बट्टे खाते में डाल दिया जाता है। या फिर इस धन का इस्तेमाल आम आदमी को लाभ पहुंचाने वाली सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में होना चाहिए. किसान, लघु व्यवसायी, मध्यम वर्गीय लोगों को सामाजिक सुरक्षा का लाभ दिया जाना चाहिए। इससे पहले शनिवार सुबह कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने पुलिस की मार झेल रहे एक बुज़ुर्ग किसान की फोटो ट्वीट कर लिखा - भाजपा सरकार में देश की व्यवस्था को देखिए। जब भाजपा के खरबपति मित्र दिल्ली आते हैं तो उनके लिए लाल कालीन डाली जाती है। मगर किसानों के लिए दिल्ली आने के रास्ते खोदे जा रहे हैं। दिल्ली किसानों के खिलाफ कानून बनाए वह ठीक, मगर सरकार को अपनी बात सुनाने किसान दिल्ली आए तो वह गलत? कांग्रेस ही नहीं, वामपंथी दल भी पूरी ताक़त से इस आंदोलन में शामिल हैं। वामपंथी दलों से जुड़े किसान संगठन तो इस आंदोलन के योजनाकारों में भी हैं। पूरे देश में वाम कार्यकर्ता किसानों के समर्थन में सड़क पर हैं। उधर, दिल्ली में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी भी पंजाब से लेकर दिल्ली तक किसानों का समर्थन कर रही है।शिरमोमणि अकाली दल ने तो इस मुद्दे पर एनडीए से अलग होकर केंद्रीय मंत्री की कुर्सी भी छोड़ दी थी। समाजवादी पार्टी से लेकर राष्ट्रीय जनता दल तक किसानों के साथ हैं। तमाम अन्य क्षेत्रीय दल भी किसानों के मुद्दे को सही बता रहे हैं। ग़ौर से देखा जाये बीजेपी इस मुद्दे पर अलग-थलग पड़ती लग रही है। ख़ासतौर पर जब उससे जुड़े भारतीय किसान संघ ने भी किसानों के आंदोलन को समर्थन दिया है।There should be a National Debate
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) November 28, 2020
on whether... The Central Government’s Revenues/Income from People’s Taxes are utilised to benefit 0.1% Corporate India (NPAs, Revenues Foregone etc) Or 99% Common People (Farmers, Small Traders, Middle-Classes etc) via Social Sector Schemes. pic.twitter.com/vXeZ9ZY5f7
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