24 घंटे में एक हज़ार से ज़्यादा मौतों के बाद भी महामारी पर सुस्त क्यों पड़ी सरकार?

देश में कोरोना महामारी विकराल रूप ले चुकी है। 9 अगस्त को देशभर में कोरोना के चलते 1000 लोगो को अपनी जान गंवानी पड़ी है। यानि हर घंटे लगभग 42 लोगों की कोरोना से मौत हुई। लेकिन फिर भी देश में कोरोना को लेकर गंभीर चर्चा नहीं दिख रही है। रोज़ाना होने वाली हेल्थ मिनिस्ट्री की प्रेस कांफ्रेंस अब नियमित नहीं है और केंद्र सरकार और कामो में उलझी हुई है. देखिये इस ख़ास रिपोर्ट से की देश में कोरोना की आखिर स्तिथि है क्या।
देश में अपराध का ब्यौरा आखिरी ब्यौरा साल 2018 का है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक देशभर में 29 हज़ार 017 खून हुए। यानि हर रोज़ देश में 80 लोगों को मौत के घाट उतारा गया लेकिन ये आंकड़ा भी कोरोना से मरने वालो के आंकड़े से छोटा है जिससे पिछले कई दिनों से सैकड़ो लोगो की जान जा रही है। अब अगर कोरोना से मरने वालो के आंकड़े की तुलना देश में ख़ुदकुशी करने वालो के आंकड़े से हो तो मालूम पड़ता है कि वो भी कोविड से कम है। ख़ुदकुशी और दुर्घटनाओं पर जारी होने वाली नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट बताती है कि देश में साल 2018 में 1 लाख 34 हज़ार 516 लोगो ने जान दी। यानि रोज़ 369 लोगो ने अपनी ज़िंदगी समाप्त की। जबकि कोरोना रोज़ 1000 जाने लील रहा है।
यही रिपोर्ट ये भी बताती है कि अलग अलग दुर्घटनाओं में 2018 में 4 लाख 11 हज़ार 824 लोगो की जान गयी। यानि 1128 लोगो की रोज़ाना जान अलग अलग हादसों में चली जाती है। इसमें रेल, सड़क, आग और अन्य तरह सभी तरफ के हादसों में जाने वाली मौतों का आंकड़ा शामिल है। यानि देश में कोरोना से ज्यादा फ़िलहाल अलग अलग हादसों में मर रहे है लेकिन जिस तरह से तेज़ी से भारत में रोज़ाना आने वाले मामले बढ़ रहे है, आशंका है कि कोरोना से होने वाली मौते हादसों में जाने वाली मौतों को भी पछाड़ दे। दरअसल, कोरोना का मृत्यु दर 2 फीसदी है और रोज़ाना मामले अगर 50 हज़ार से 60 हज़ार और 60 हज़ार से लाख की तरफ बढ़ेंगे तो ज़ाहिर है कि देश में मरने वाले लोगो का आंकड़ा भी बढ़ेगा। ऐसे में जल्द ही यह महामारी हत्या, आत्महत्या के आंकड़े के बाद हादसों के आंकड़े को भी पीछे छोड़ देगी।
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यही रिपोर्ट ये भी बताती है कि अलग अलग दुर्घटनाओं में 2018 में 4 लाख 11 हज़ार 824 लोगो की जान गयी। यानि 1128 लोगो की रोज़ाना जान अलग अलग हादसों में चली जाती है। इसमें रेल, सड़क, आग और अन्य तरह सभी तरफ के हादसों में जाने वाली मौतों का आंकड़ा शामिल है। यानि देश में कोरोना से ज्यादा फ़िलहाल अलग अलग हादसों में मर रहे है लेकिन जिस तरह से तेज़ी से भारत में रोज़ाना आने वाले मामले बढ़ रहे है, आशंका है कि कोरोना से होने वाली मौते हादसों में जाने वाली मौतों को भी पछाड़ दे। दरअसल, कोरोना का मृत्यु दर 2 फीसदी है और रोज़ाना मामले अगर 50 हज़ार से 60 हज़ार और 60 हज़ार से लाख की तरफ बढ़ेंगे तो ज़ाहिर है कि देश में मरने वाले लोगो का आंकड़ा भी बढ़ेगा। ऐसे में जल्द ही यह महामारी हत्या, आत्महत्या के आंकड़े के बाद हादसों के आंकड़े को भी पीछे छोड़ देगी।
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