अफ़ग़ानिस्तान: टोलो न्यूज़ ने महिला एंकर के साथ शुरु की ब्रॉडकास्टिंग, दुनिया ने सराहा

अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के क़ब्ज़े के बाद औरतों की स्वतंत्रता सबसे बड़ा सवाल है। जैसा कि तालिबानियों का हुक़्म है कि महिलाएं घर से बाहर न निकलें, अपने काम पर न जाएं, अफ़ग़ानिस्तान के टोलो न्यूज़ ने महिला एंकर के साथ अपनी ब्रॉडकास्टिंग शुरु कर दी है। इसके चैनल हेड मिराक़ा पोपाल (Miraqa Popal) ने ट्वीट कर यह जानकारी दी है जिसकी दुनियाभर की मीडिया में चर्चा है।
उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘हमने महिला एंकर के साथ आज से अपनी ब्रॉडकास्टिंग दोबारा शुरु कर दी है।’ उन्होंने ऐसी कई तस्वीरें साझा की है जिसमें महिलाएं न सिर्फ स्टूडियो में बल्कि सड़कों से भी रिपोर्टिंग करते देखी जा सकती हैं।
उन्होंने काबुल स्टूडियो में तालिबान के प्रवक्ता के साथ बातचीत में अपने एंकर को दिखाते हुए भी ट्विटर पर तस्वीर साझा की। उन्होंने एंकर की प्रशंसा की और उन्हें "बहादुरी, दृढ़ संकल्प और समर्पण का प्रतीक" बताया। उन्होंने अपने एक ट्वीट में कहा कि महिलाएं सिर्फ स्टूडियो से नहीं बल्कि काबुल की गलियों से भी रिपोर्टिंग कर रही हैं। पत्रकार "अभिव्यक्ति की वास्तविक स्वतंत्रता" की उम्मीद कर रहे हैं। राष्ट्रपति अशरफ ग़नी के देश से भाग जाने और तालिबान के राजधानी में घुसने के बाद सीएनएन के मुख्य अंतरराष्ट्रीय संवाददाता क्लेरिसा वार्ड ने काबुल से बुर्के में रिपोर्टिंग की। उन्होंने टिप्पणी की कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह अमेरिकी दूतावास के बाहर इतनी बड़ी संख्या में "तालिबान लड़ाके" देखेंगी। तालिबानी क़ब्ज़े के बाद सोशल मीडिया पर मीडिया की स्वतंत्रता हॉट टॉपिक बनी हुई है, ख़ासकर महिला पत्रकारों के लिए। दि गार्डियन ने एक महिला न्यूज़ एंकर के हवाले से कहा कि, ‘उन्होंने महिलाओं की आवाज़ उठाने के लिए सालों तक काम किया लेकिन उन्होंने देखा कि तालिबान के सत्ता में वापसी के साथ उनकी कोशिशें विफल हो गई। टोलो न्यूज़ ने अफ़ग़ानिस्तान मिनिस्ट्री ऑफ इंफोर्मेंशन एंड कल्चर के हवाले से 3 अगस्त की अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि तालिबान और अफ़ग़ान सरकार के बीच तेज़ हुई लड़ाई के दौरान 51 मीडिया आउटलेट्स को अपना काम बंद करना पड़ा। इनमें 16 मीडिया आउटलेट्स जिनमें चार टीवी चैनल शामिल हैं वो अफ़ॉग़ानिस्तान के हेलमंद प्रांत में स्थित थे। जिन मीडिया आउटलेट को बंद किया गया है उनमें ज़्यादातर हेलमंद, कंधार, बदख्शां, तखर, बग़लान, समांगन, बल्ख, सर-ए-पुल, जवज़्जन, फरयाब, नूरिस्तान और बड़गीज़ में स्थित हैं। टोलो न्यूज़ के मुताबिक़ सूचना और संस्कृति के कार्यवाहक मंत्री कासिम वफीजादा ने कहा, "अब तक 35 मीडिया आउटलेट ने अपना संचालन बंद कर दिया है, 6 से अधिक मीडिया आउटलेट तालिबान के समर्थन में आ गए हैं और उनकी गतिविधियों के लिए आवाज के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।" तीन महीने की अवधि में पांच टीवी चैनल, 44 रेडियो स्टेशंस, एक मीडिया सेंटर और एक न्यूज़ एजेंसी को अपना संचालन बंद करना पड़ा। इस वजह से 1000 रिपोर्टर और कर्मचारियों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी जिनमें 150 महिलाएं शामिल थीं। इनके अलावा पिछले दो महीने की अवधि में दो पत्रकारों की मौत भी हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक़ सरकारी आंकड़े बताते हैं कि अफ़ग़ानिस्तान में 248 टीवी चैनल, 438 रेडियो स्टेशंस, 1,669 प्रिंट मीडिया औक 119 न्यूज़ एजेंसी रजिस्टर्ड है।
उन्होंने काबुल स्टूडियो में तालिबान के प्रवक्ता के साथ बातचीत में अपने एंकर को दिखाते हुए भी ट्विटर पर तस्वीर साझा की। उन्होंने एंकर की प्रशंसा की और उन्हें "बहादुरी, दृढ़ संकल्प और समर्पण का प्रतीक" बताया। उन्होंने अपने एक ट्वीट में कहा कि महिलाएं सिर्फ स्टूडियो से नहीं बल्कि काबुल की गलियों से भी रिपोर्टिंग कर रही हैं। पत्रकार "अभिव्यक्ति की वास्तविक स्वतंत्रता" की उम्मीद कर रहे हैं। राष्ट्रपति अशरफ ग़नी के देश से भाग जाने और तालिबान के राजधानी में घुसने के बाद सीएनएन के मुख्य अंतरराष्ट्रीय संवाददाता क्लेरिसा वार्ड ने काबुल से बुर्के में रिपोर्टिंग की। उन्होंने टिप्पणी की कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह अमेरिकी दूतावास के बाहर इतनी बड़ी संख्या में "तालिबान लड़ाके" देखेंगी। तालिबानी क़ब्ज़े के बाद सोशल मीडिया पर मीडिया की स्वतंत्रता हॉट टॉपिक बनी हुई है, ख़ासकर महिला पत्रकारों के लिए। दि गार्डियन ने एक महिला न्यूज़ एंकर के हवाले से कहा कि, ‘उन्होंने महिलाओं की आवाज़ उठाने के लिए सालों तक काम किया लेकिन उन्होंने देखा कि तालिबान के सत्ता में वापसी के साथ उनकी कोशिशें विफल हो गई। टोलो न्यूज़ ने अफ़ग़ानिस्तान मिनिस्ट्री ऑफ इंफोर्मेंशन एंड कल्चर के हवाले से 3 अगस्त की अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि तालिबान और अफ़ग़ान सरकार के बीच तेज़ हुई लड़ाई के दौरान 51 मीडिया आउटलेट्स को अपना काम बंद करना पड़ा। इनमें 16 मीडिया आउटलेट्स जिनमें चार टीवी चैनल शामिल हैं वो अफ़ॉग़ानिस्तान के हेलमंद प्रांत में स्थित थे। जिन मीडिया आउटलेट को बंद किया गया है उनमें ज़्यादातर हेलमंद, कंधार, बदख्शां, तखर, बग़लान, समांगन, बल्ख, सर-ए-पुल, जवज़्जन, फरयाब, नूरिस्तान और बड़गीज़ में स्थित हैं। टोलो न्यूज़ के मुताबिक़ सूचना और संस्कृति के कार्यवाहक मंत्री कासिम वफीजादा ने कहा, "अब तक 35 मीडिया आउटलेट ने अपना संचालन बंद कर दिया है, 6 से अधिक मीडिया आउटलेट तालिबान के समर्थन में आ गए हैं और उनकी गतिविधियों के लिए आवाज के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।" तीन महीने की अवधि में पांच टीवी चैनल, 44 रेडियो स्टेशंस, एक मीडिया सेंटर और एक न्यूज़ एजेंसी को अपना संचालन बंद करना पड़ा। इस वजह से 1000 रिपोर्टर और कर्मचारियों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी जिनमें 150 महिलाएं शामिल थीं। इनके अलावा पिछले दो महीने की अवधि में दो पत्रकारों की मौत भी हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक़ सरकारी आंकड़े बताते हैं कि अफ़ग़ानिस्तान में 248 टीवी चैनल, 438 रेडियो स्टेशंस, 1,669 प्रिंट मीडिया औक 119 न्यूज़ एजेंसी रजिस्टर्ड है।
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