83 साल के मानवाधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी भीमा कोरेगांव में हिंसा भड़काने के लिए गिरफ्तार

गुरुवार को नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी यानि एनआईए ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में मानवाधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी को गिरफ्तार कर लिया है. 83 साल के स्वामी को एजेंसी ने रांची के बगाईचा स्थित घर से गिरफ्तार किया गया है. स्टेन स्वामी का नाम उन आठ लोगों में शामिल है जिन पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की कथित साजिश रचने और 31 दिसंबर, 2017 को पुणे के भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा को कथित तौर पर भड़काने का आरोप हैं. साथ ही एनआईए ने उन पर आतंकवाद निरोधक क़ानून यानी यूएपीए की धाराएं भी लगाई हैं.
उन्होंने कहा था की एनआईए की हालिया जांच का भीमा कोरेगांव मामले से कोई संबंध नहीं है। साथ ही स्वामी ने अपने माओवादियों के साथ किसी प्रकार के संबंधों से इंकार किया था। उन्होंने आरोप लगाया था की मोजूदा सरकार उन्हें इसलिए परेशान कर रही है क्योंकि वे दलितों, आदिवासियों और वंचितों की आवाज़ उठाते है। स्वामी की गिरफ्तारी का विरोध अब शुरू होना भी हो गया है. रामचंद्र गुहा ने गिरफ़्तारी ने विरोध में ट्वीट किया- फादर स्टैन ने अपनी पूरी जिंदगी आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़ने में लगाई है. इसलिए यह मोदी सरकार ऐसे लोगों को चुप करा रही है क्योंकि इस सरकार के लिए कोल माइन कंपनियों का फायदा आदिवासियों की जिंदगी और रोज़गार से ज्यादा जरूरी है.
हालाँकि, इस पुरे मामले में चौंकाने वाली बात यह है कि एनआईए ने इस कार्रवाई के बारे में झारखंड पुलिस को कोई जानकारी नहीं दी थी. लोगों से मिली जानकारी के बाद रांची पुलिस की एक टीम स्टेन स्वामी के दफ्तर पहुंची मगर तबतक एनआईए के अधिकारी स्टेन स्वामी को लेकर वहां से निकल चुके थे.
इससे पहले 6 अक्टूबर को स्वामी ने बयान जारी कर कहा था एनआईए उनसे पहले ही 15 से ज्यादा घंटे पूछताछ कर चुकी है और फिर अब उन्हें मुंबई भी बुलाना चाहती थे. स्वामी ने कहा था की एजेंसी के अधिकारियों ने पूछताछ के दौरान उनके सामने कई ऐसे दस्तावेज़ रखे जो कथित तौर पर उनके संबंध सीधे माओवादियों से होने का दावा करते थे।Stan Swamy, a member of CPI (Maoist), arrested by NIA yesterday from Ranchi, Jharkhand in connection with Bhima-Koregaon case: National Investigation Agency (NIA) sources pic.twitter.com/wtkb8bUpt5
— ANI (@ANI) October 9, 2020
उन्होंने कहा था की एनआईए की हालिया जांच का भीमा कोरेगांव मामले से कोई संबंध नहीं है। साथ ही स्वामी ने अपने माओवादियों के साथ किसी प्रकार के संबंधों से इंकार किया था। उन्होंने आरोप लगाया था की मोजूदा सरकार उन्हें इसलिए परेशान कर रही है क्योंकि वे दलितों, आदिवासियों और वंचितों की आवाज़ उठाते है। स्वामी की गिरफ्तारी का विरोध अब शुरू होना भी हो गया है. रामचंद्र गुहा ने गिरफ़्तारी ने विरोध में ट्वीट किया- फादर स्टैन ने अपनी पूरी जिंदगी आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़ने में लगाई है. इसलिए यह मोदी सरकार ऐसे लोगों को चुप करा रही है क्योंकि इस सरकार के लिए कोल माइन कंपनियों का फायदा आदिवासियों की जिंदगी और रोज़गार से ज्यादा जरूरी है.

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