आंदोलन के दौरान मारे गए 670 किसान; केन्द्र सरकार के पास डेटा नहीं !

केन्द्र सरकार के पास एक साल में किसान आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों का आंकड़ा नहीं है। कृषि मंत्रालय के मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इसके साथ ही कहा कि, "जब डेटा नहीं है तो मुआवज़ा का कोई सवाल ही नहीं उठता।"
केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए किसानों को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में सदन को बताया, "कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के पास इस मामले में कोई रिकॉर्ड नहीं है और इसलिए मुआवज़े का सवाल ही नहीं उठता।"
संयुक्त किसान मोर्चा और किसान आंदोलन से जुड़े अन्य नेता करीब 700 किसानों के मारे जाने का दावा कर रहे थे। संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से प्रधानमंत्री मोदी को लिखी गई चिट्ठी में भी करीब 700 किसानों के मारे जाने के दावे किए गए। गोन्यूज़ ने आपको पहले बताया था कि किसान आंदोलन के दौरान अलग-अलग कारणों से 670 किसानों की मौत हो गई, जिनमें 40 किसानों ने आत्महत्या कर ली थी। यह जानकारी ख़ुद किसान एकता मोर्चा ने सोशल मीडिया पर साझा की थी। पिछले साल जब किसान राज्यों में ही प्रदर्शन कर रहे थे, तभी अक्टूबर महीने तक 12 किसानों की मौत हो गई थी। इसके बाद किसान 26 नवंबर को दिल्ली की सीमा पर सिंघु बॉर्डर पहुंचे थे जहां बड़ी संख्या में किसान मारे गए। किसान ज़्यादा ठंड, ज़्यादा गर्मी, आग लगने और सड़क दुर्घटनाओं की वजह से भी मारे गए। मृत में अन्य पेशे के लोग भी शामिल थे जो आंदोलन के समर्थन में सीमाओं पर आए थे।
इनके अलावा 40 किसानों ने आत्महत्या कर ली। आत्महत्या करने वालों में पंजाब के अमरजीत सिंह भी हैं जो पेशे से वकील थे। 24 दिसंबर 2020 को उन्होंने टिकरी बॉर्डर पर ज़हर लेकर आत्महत्या कर ली थी। उनके पॉकेट से कथित तौर पर एक सुसाइड नोट भी मिला था जिसमें कथित तौर पर, “मोदी” को “तानाशाह” बताया गया था। अगले साल कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव को देखते हुए आलोचक कहते हैं कि प्रधानमंत्री ने कृषि क़ानूनों को वापस लेने का फैसला किया। हालांकि प्रधानमंत्री ने किसान आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों का ज़िक्र नहीं किया और ना ही किसानों के अन्य मुद्दों पर बात की। संयुक्त किसान मोर्चा और किसान नेता लगातार अलग-अलग माध्यमों से अपनी अन्य मांगें सरकार के सामने रख रहे हैं। अन्य मांगों में शामिल एमएसपी का ज़िक्र किसानों ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे अपनी चिट्ठी में भी किया था लेकिन किसानों का कहना है कि प्रधानमंत्री की तरफ से उस चिट्ठी का जवाब नहीं मिला है। इन सब के बीच संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी आगे की रणनीति को लेकर 4 दिसंबर को अगली मीटिंग बुलाई है। इससे पहले किसान मोर्चा ने अपने संसद मार्च को रद्द कर दिया था। किसान कहते रहे हैं कि जबतक उनकी अन्य मांगें पूरी नहीं होती वे आंदोलन ख़त्म नहीं करेंगे। ऐसे में संयुक्त किसान मोर्चा की 4 दिंसबर 2021 को होने वाली मीटिंग दिलचस्प होगी।
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संयुक्त किसान मोर्चा और किसान आंदोलन से जुड़े अन्य नेता करीब 700 किसानों के मारे जाने का दावा कर रहे थे। संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से प्रधानमंत्री मोदी को लिखी गई चिट्ठी में भी करीब 700 किसानों के मारे जाने के दावे किए गए। गोन्यूज़ ने आपको पहले बताया था कि किसान आंदोलन के दौरान अलग-अलग कारणों से 670 किसानों की मौत हो गई, जिनमें 40 किसानों ने आत्महत्या कर ली थी। यह जानकारी ख़ुद किसान एकता मोर्चा ने सोशल मीडिया पर साझा की थी। पिछले साल जब किसान राज्यों में ही प्रदर्शन कर रहे थे, तभी अक्टूबर महीने तक 12 किसानों की मौत हो गई थी। इसके बाद किसान 26 नवंबर को दिल्ली की सीमा पर सिंघु बॉर्डर पहुंचे थे जहां बड़ी संख्या में किसान मारे गए। किसान ज़्यादा ठंड, ज़्यादा गर्मी, आग लगने और सड़क दुर्घटनाओं की वजह से भी मारे गए। मृत में अन्य पेशे के लोग भी शामिल थे जो आंदोलन के समर्थन में सीमाओं पर आए थे।
इनके अलावा 40 किसानों ने आत्महत्या कर ली। आत्महत्या करने वालों में पंजाब के अमरजीत सिंह भी हैं जो पेशे से वकील थे। 24 दिसंबर 2020 को उन्होंने टिकरी बॉर्डर पर ज़हर लेकर आत्महत्या कर ली थी। उनके पॉकेट से कथित तौर पर एक सुसाइड नोट भी मिला था जिसमें कथित तौर पर, “मोदी” को “तानाशाह” बताया गया था। अगले साल कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव को देखते हुए आलोचक कहते हैं कि प्रधानमंत्री ने कृषि क़ानूनों को वापस लेने का फैसला किया। हालांकि प्रधानमंत्री ने किसान आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों का ज़िक्र नहीं किया और ना ही किसानों के अन्य मुद्दों पर बात की। संयुक्त किसान मोर्चा और किसान नेता लगातार अलग-अलग माध्यमों से अपनी अन्य मांगें सरकार के सामने रख रहे हैं। अन्य मांगों में शामिल एमएसपी का ज़िक्र किसानों ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे अपनी चिट्ठी में भी किया था लेकिन किसानों का कहना है कि प्रधानमंत्री की तरफ से उस चिट्ठी का जवाब नहीं मिला है। इन सब के बीच संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी आगे की रणनीति को लेकर 4 दिसंबर को अगली मीटिंग बुलाई है। इससे पहले किसान मोर्चा ने अपने संसद मार्च को रद्द कर दिया था। किसान कहते रहे हैं कि जबतक उनकी अन्य मांगें पूरी नहीं होती वे आंदोलन ख़त्म नहीं करेंगे। ऐसे में संयुक्त किसान मोर्चा की 4 दिंसबर 2021 को होने वाली मीटिंग दिलचस्प होगी।
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