ज़बरदस्ती शादी के लिए हर घंटे 3 भारतीय अगवा: NCRB

भारत भले ही अंतरिक्ष की दूरियाँ नाप रहा हो लेकिन सामाजिक कुप्रथाओं से अबतक छुटकारा नहीं पा सका है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के साल 2019 के आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं। मसलन, साल 2019 में देशभर में कुल 25 हज़ार 824 ऐसे अपहरण हुए जिनके पीछे की वजह जबरन शादी थी । आसान भाषा में कहें तो भारत में शादी के लिए हर रोज़ 70 इंसान अगवा होते है, यानी हर घंटे क़रीब तीन लोग इसका शिकार बनते हैं। बता दें, ऐसी घटनाओं को केवल महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष भी झेलते हैं और इसमें कई नाबालिग भी शिकार बनते हैं।
वहीं अगर पुरुषों की बात करें तो साल 2019 में कुल 464 पुरुषों का अपहरण जबरन शादी करने के लिए किया गया और इसमें भी 129 नाबालिग बच्चे शामिल थे। वैसे इतने बड़े पैमाने पर शादी के लिए हो रहे अपहरण के पीछे अलग अलग कारण बताए जाते हैं पर एक स्टडी के मुताबिक इन सबके पीछे मुख्य कारण है भ्रूण हत्या। सबसे चिंताजनक बात ये है की इसी स्टडी के मुताबिक अगर ऐसा ही चलता रहा तो साल 2030 तक भारत में 68 लाख कम लड़कियाँ जन्म लेंगी जो शादी के लिए हो रहे अपहरण की समस्या को और बढ़ा देगा। दरअसल, लैंगिक असमानता के कारण ही 2011 की जनगणना के अनुसार पश्चिम बंगाल में हर 1,000 पुरुषों के बीच 947 महिलाएँ थीं, राजस्थान में 926 और हरियाणा में 877 और फ़िर महिलाओं की कम संख्या के कारण ही पुरुषों द्वारा शादी के लिए अपहरण करवाए जाते है। वहीं अगर पुरुषों के अपहरण की बात करें तो देश के कुछ हिस्सों में एक कुरीति प्रचलित है जिसका नाम है 'पकड़उआ ब्याह'। बता दें कि 80 के दशक में उत्तर बिहार में पकड़उआ ब्याह के मामले ख़ूब सामने आए थे। इस तरह की शादियाँ करवाने के लिए गिरोह सक्रिय थे जो लड़कों का अपहरण कर शादी करवाते थे। शादी के सीज़न में इनकी बहुत डिमांड रहती थी। बिहार के कई जिलों में इंटर की परीक्षा देते छात्र, नौकरीपेशा लड़कों को ख़ास हिदायत दी जाती थी और डर इस कदर था कि वो शादी के सीज़न में घर से नहीं निकलते थे। भारत के कुछ क्षेत्रों में आज भी ये कुप्रथा चली आ रही है। लड़कों के अपहरण के लिए लड़की वाले अक्सर अपने मित्रों, परिजनों और यहां तक की पेशेवर अपराधियों का भी उपयोग करते हैं। ज़ाहिर है ये सभी आंकड़े बेहद चौंकाने वाले है और ज़रूरत है की सरकार ना सिर्फ समाज में इन कुरीतियों के खिलाफ जागरूकता फैलाये, बल्कि अपराध होने पर सख्त से सख्त सजा देकर अपराधियों का मनोबल तोड़े।
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वहीं अगर पुरुषों की बात करें तो साल 2019 में कुल 464 पुरुषों का अपहरण जबरन शादी करने के लिए किया गया और इसमें भी 129 नाबालिग बच्चे शामिल थे। वैसे इतने बड़े पैमाने पर शादी के लिए हो रहे अपहरण के पीछे अलग अलग कारण बताए जाते हैं पर एक स्टडी के मुताबिक इन सबके पीछे मुख्य कारण है भ्रूण हत्या। सबसे चिंताजनक बात ये है की इसी स्टडी के मुताबिक अगर ऐसा ही चलता रहा तो साल 2030 तक भारत में 68 लाख कम लड़कियाँ जन्म लेंगी जो शादी के लिए हो रहे अपहरण की समस्या को और बढ़ा देगा। दरअसल, लैंगिक असमानता के कारण ही 2011 की जनगणना के अनुसार पश्चिम बंगाल में हर 1,000 पुरुषों के बीच 947 महिलाएँ थीं, राजस्थान में 926 और हरियाणा में 877 और फ़िर महिलाओं की कम संख्या के कारण ही पुरुषों द्वारा शादी के लिए अपहरण करवाए जाते है। वहीं अगर पुरुषों के अपहरण की बात करें तो देश के कुछ हिस्सों में एक कुरीति प्रचलित है जिसका नाम है 'पकड़उआ ब्याह'। बता दें कि 80 के दशक में उत्तर बिहार में पकड़उआ ब्याह के मामले ख़ूब सामने आए थे। इस तरह की शादियाँ करवाने के लिए गिरोह सक्रिय थे जो लड़कों का अपहरण कर शादी करवाते थे। शादी के सीज़न में इनकी बहुत डिमांड रहती थी। बिहार के कई जिलों में इंटर की परीक्षा देते छात्र, नौकरीपेशा लड़कों को ख़ास हिदायत दी जाती थी और डर इस कदर था कि वो शादी के सीज़न में घर से नहीं निकलते थे। भारत के कुछ क्षेत्रों में आज भी ये कुप्रथा चली आ रही है। लड़कों के अपहरण के लिए लड़की वाले अक्सर अपने मित्रों, परिजनों और यहां तक की पेशेवर अपराधियों का भी उपयोग करते हैं। ज़ाहिर है ये सभी आंकड़े बेहद चौंकाने वाले है और ज़रूरत है की सरकार ना सिर्फ समाज में इन कुरीतियों के खिलाफ जागरूकता फैलाये, बल्कि अपराध होने पर सख्त से सख्त सजा देकर अपराधियों का मनोबल तोड़े।
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