26/11 आतंकी हमले को 12 साल पूरे लेकिन आज भी कुछ सवालों के जवाब गुम

मुंबई में हुए 26/11 आतंकी हमले को आज 12 साल पूरे हो गए हैं लेकिन कुछ सवालों के जवाब आज भी गुम हैं। इस हमले में देश के कुछ बहादुर पुलिस अफ़सरों की जान चली गई थी। इस हमले में एटीएस अधिकारी हेमंत करकरे और उनके साथियों ने अपनी जान पर खेल कर नागरिकों की रक्षा की।
इस आतंकी हमले में 166 लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों जख्मी हुए थे। साथ ही 18 पुलिसकर्मी भी शहीद हुए लेकिन शहीद हुए पुलिसकर्मियों में से कुछ की मौत को लेकर आज भी सवाल उठते हैं। जिसमें सबसे प्रमुख नाम ATS के पूर्व प्रमुख हेमंत करकरे का है।
क्या करकरे की हत्या एक साजिश भी हो सकती है? साल 2009 में महाराष्ट्र के पूर्व आईजी एस.एम. मुशरिफ ने अपनी किताब Who killed Karkare? में महाराष्ट्र के पूर्व एटीएस प्रमुख के.पी. रघुवंशी पर आरोप लगया था कि 26 नवंबर को के.पी. रघुवंशी मौके पर मौजूद थे और उन्होंने हेमंत करकरे को दो आतंकवादियों के स्थान के बारे में गलत जानकारी दी, जिसके बाद वे पहुंचे। तभी एक सुनसान जगह पर उनके पुलिस वाहन पर आतंकवादियों ने छुपकर हमला बोल दिया था। इस हमले में करकरे के आलावा पुलिस आयुक्त अशोक काम्टे और एनकाउंटर विशेषज्ञ विजय सालस्कर शहीद हो गए थे। समय-समय पर राजनीतिक पार्टियों ने भी इस पर सवाल उठाए हैं और मामले को मालेगांव ब्लास्ट और उसके बाद होने वाली गिरफ्तारियों से भी जोड़ कर देखा जाता रहा है।
क्या करकरे की हत्या एक साजिश भी हो सकती है? साल 2009 में महाराष्ट्र के पूर्व आईजी एस.एम. मुशरिफ ने अपनी किताब Who killed Karkare? में महाराष्ट्र के पूर्व एटीएस प्रमुख के.पी. रघुवंशी पर आरोप लगया था कि 26 नवंबर को के.पी. रघुवंशी मौके पर मौजूद थे और उन्होंने हेमंत करकरे को दो आतंकवादियों के स्थान के बारे में गलत जानकारी दी, जिसके बाद वे पहुंचे। तभी एक सुनसान जगह पर उनके पुलिस वाहन पर आतंकवादियों ने छुपकर हमला बोल दिया था। इस हमले में करकरे के आलावा पुलिस आयुक्त अशोक काम्टे और एनकाउंटर विशेषज्ञ विजय सालस्कर शहीद हो गए थे। समय-समय पर राजनीतिक पार्टियों ने भी इस पर सवाल उठाए हैं और मामले को मालेगांव ब्लास्ट और उसके बाद होने वाली गिरफ्तारियों से भी जोड़ कर देखा जाता रहा है।
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