कॉरपोरेट सेक्टर पर पड़ी कोरोना की मार, दस हज़ार से ज़्यादा कंपनियां हुईं बंद

कोरोना संकट के दौर में देश की कई सेक्टरों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हज़ारों कंपनियों ने अपनी मर्ज़ी से कारोबार बंद कर दिया है। अप्रैल 2020 से फरवरी 2021 के दौरान पूरे देश में 10,113 कंपनियां बंद हुई हैं। माना जा रहा है कि कोरोना और लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियां प्रभावित रहने के कारण यह कंपनियां बंद हुई हैं।
भारत में लॉकडाउन के ऐलान के बाद दुनिया भर की तरह यहां भी सिर्फ राशन, दवाओं और अन्य ज़रूरी सेक्टर्स को ही एक्टिव होने की इजाज़त थी। इसके चलते देश की आर्थिक गतिविधियों को बड़ी तगड़ी चोट पहुंची है। भारत सरकार के कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के तहत इन कंपनी के शटडाउन का खुलासा हुआ।
भारत सरकार के कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने जानकारी देते हुए कंपनी कानून 2013 के सेक्शन 248 (2) के तहत इस साल फरवरी तक देश में 10,113 कंपनियों ने स्वेच्छा से अपना कारोबार बंद करने का फैसला किया है। कंपनी कानून 2013 का यह सेक्शन बताता है अगर कोई कंपनी स्वेच्छा से अपना कारोबार बंद करना चाहती है तो उसके खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही नहीं की जाएगी। इस डाटा के मुताबिक, राजधानी दिल्ली में सबसे ज़्यादा 2,394 कंपनियां बंद हुई हैं। 1,936 कंपनियों के साथ उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है। तमिलनाडु में 1,322 और महाराष्ट्र में 1,279 कंपनियां बंद हुई हैं। इसके अलावा कर्नाटक में 836 कंपनियां स्वैच्छिक तौर पर बंद हुई हैं। चंडीगढ़ में 501, राजस्थान में 479, केरल में 307, झारखंड में 137, मध्यप्रदेश में 111 और बिहार में 104 कंपनियां बंद हुई हैं। कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री के पास दर्ज आंकड़ों के मुताबिक बंद होने वाली कंपनियों का ये आंकड़ा मेघालय में 88, उड़ीसा में 78, छत्तीसगढ़ में 47, गोवा में 36 तो पांडिचेरी में 31 रहा। वहीं गुजरात की 17, पश्चिम बंगाल में 4 और अंडमान और निकोबार में 2 कंपनियां बंद हुईं। हालांकि, वित्त वर्ष 2021 के दौरान नई कंपनियों के रजिस्ट्रेशन में भी 20% की तेज़ी आई है। मंत्रालय ने पिछले महीने संसद में बताया था कि अप्रैल-दिसंबर 2020 के दौरान 1.13 लाख से ज़्यादा कंपनियां रजिस्टर्ड हुई हैं। एक साल पहले समान अवधि में 93,754 कंपनियां रजिस्टर्ड हुई थीं। आपको बता दें कि कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सरकार ने 25 मार्च से देशव्यापी लॉकडाउन लगा दिया था और इसी कारण पूरे देश में लोगों का आवागमन और आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई थीं।
भारत सरकार के कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने जानकारी देते हुए कंपनी कानून 2013 के सेक्शन 248 (2) के तहत इस साल फरवरी तक देश में 10,113 कंपनियों ने स्वेच्छा से अपना कारोबार बंद करने का फैसला किया है। कंपनी कानून 2013 का यह सेक्शन बताता है अगर कोई कंपनी स्वेच्छा से अपना कारोबार बंद करना चाहती है तो उसके खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही नहीं की जाएगी। इस डाटा के मुताबिक, राजधानी दिल्ली में सबसे ज़्यादा 2,394 कंपनियां बंद हुई हैं। 1,936 कंपनियों के साथ उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है। तमिलनाडु में 1,322 और महाराष्ट्र में 1,279 कंपनियां बंद हुई हैं। इसके अलावा कर्नाटक में 836 कंपनियां स्वैच्छिक तौर पर बंद हुई हैं। चंडीगढ़ में 501, राजस्थान में 479, केरल में 307, झारखंड में 137, मध्यप्रदेश में 111 और बिहार में 104 कंपनियां बंद हुई हैं। कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री के पास दर्ज आंकड़ों के मुताबिक बंद होने वाली कंपनियों का ये आंकड़ा मेघालय में 88, उड़ीसा में 78, छत्तीसगढ़ में 47, गोवा में 36 तो पांडिचेरी में 31 रहा। वहीं गुजरात की 17, पश्चिम बंगाल में 4 और अंडमान और निकोबार में 2 कंपनियां बंद हुईं। हालांकि, वित्त वर्ष 2021 के दौरान नई कंपनियों के रजिस्ट्रेशन में भी 20% की तेज़ी आई है। मंत्रालय ने पिछले महीने संसद में बताया था कि अप्रैल-दिसंबर 2020 के दौरान 1.13 लाख से ज़्यादा कंपनियां रजिस्टर्ड हुई हैं। एक साल पहले समान अवधि में 93,754 कंपनियां रजिस्टर्ड हुई थीं। आपको बता दें कि कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सरकार ने 25 मार्च से देशव्यापी लॉकडाउन लगा दिया था और इसी कारण पूरे देश में लोगों का आवागमन और आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई थीं।
ताज़ा वीडियो