98 अरबपतियों पर 1 फीसदी टैक्स से मिड डे मिल का निकल सकता है 17 साल का ख़र्च: Oxfam

महामारी के दौरान भारत में अमीरों की संख्या दोगुनी हो गई है जिसकी वजह से देश में ग़रीबी की हालत और गंभीर हो गई। यह जानकारी ऑक्सफैम की हालिया प्रकाशित रिपोर्ट ‘Inequality Kills’ में दी गई है।
रिपोर्ट में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि सरकार को अरबपतियों पर टैक्स लगाना चाहिए और उससे उगाही होने वाली रक़म को वेलफेयर स्कीम पर ख़र्च किया जाना चाहिए, जिससे असमानताओं को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि महामारी के दौरान भारत में अरबतियों की संख्या 102 से बढ़कर 142 हो गई है। भारत में पिछले मई महीने में ग्रामीण बेरोजगारी दर 15 फीसदी की उंचाई पर था और फूड इंसिक्योरिटी अपने चरम पर लेकिन इस दरमियान भारत में अरबपतियों की संख्या फ्रांस, स्वीडेन और स्विट्ज़रलैंड के कुल अरबपतियों से भी ज़्यादा हो गई। भारत की 40 फीसदी सबसे ग़रीब आबादी के मुक़ाबले उन अरबपतियों के पास 700 अरब डॉलर से भी ज़्यादा की संपत्ति है। महामारी के दौरान स्टॉक की कीमतों से लेकर क्रिप्टो और कमोडिटीज़ की कीमतों में भारी बढ़ोत्तरी देखी गई। यही वजह है कि दुनियाभर में असमानताएं बढ़ी है और अमीर और ज़्यादा अमीर हुए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक़ पिछले साल के दौरान दुनिया के 500 सबसे अमीर लोगों की संपत्ति में एक ट्रिलियन डॉलर का इज़ाफा हुआ। रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत के 100 अरबपतियों की सामूहिक संपत्ति 2021 के दौरान 57.3 लाख करोड़ या 775 अरब अमिरिकी डॉलर पर पहुंच गई। रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत में, महामारी के दौरान (मार्च 2020 से नवंबर, 2021 तक) अरबपतियों की संपत्ति 23.14 लाख करोड़ रुपये (313 अरब डॉलर) से बढ़कर 53.16 लाख करोड़ रुपये (719 अरब डॉलर) हो गई। इस दौरान देशभर में 4.6 करोड़ भारतीय ग़रीबी रेखा से नीचे चले जाने का अनुमान है। रिपोर्ट में युनाइटेड नेशन के वैश्विक ग़रीबी के आंकड़ों के हवाले से बताया गया है कि महामारी के दौरान भारत में बढ़ी ग़रीबी कुल वैश्विक स्तर पर बढ़ी ग़रीबी का आधा है। ऑक्सफैम ने अपनी नई रिपोर्ट ‘Inequality Kills’ में बताया कि महामारी के दौरान 84 फीसदी भारतीय परिवारों की इन्कम में गिरावट आई है। ऑक्सफैम ने अपनी रिपोर्ट में इस बात पर ज़ोर देने की कोशिश की है सरकार को अरबपतियों की संपत्तियों पर टैक्स लगाना चाहिए। रिपोर्ट में बताया गया है कि अगर भारत सरकार दस फीसदी या 98 अरबति परिवारों पर सिर्फ 1 फीसदी ही टैक्स लगाती है तो इससे नेशनल पब्लिक हेल्थ इंश्योरेंस फंड आयुष्मान भारत का सात सालों का ख़र्च निकल सकता है। अगर 98 अरबतियों पर 4 फीसदी का टैक्स लगाया जाता है तो उससे होने वाली उगाही से स्वास्थ्य मंत्रालय का दो साल, मिड डे मील प्रोग्राम का 17 साल और समग्र शिक्षा अभियान का 6 साल का ख़र्च निकल सकता है। इसका इस्तेमाल वेलफेयर स्कीम जैसे कि स्कूली शिक्षा, यूनिवर्सल हेल्थकेयर और सोशल सिक्योरिटी बेनिफिट पर ख़र्च किया जा सकता है। यह देश में अमीरों और ग़रीबों के बीच बढ़ चुकी असमानताओं को कम करने में मदद कर सकता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2016 में केन्द्र द्वारा वेल्थ टैक्स को ख़त्म किए जाने, कॉर्पोरेट लेवी में भारी कटौती और इंडायरेक्ट टैक्सेशन में बढ़ोत्तरी कुछ प्रमुख कारक हैं जिसने अमीरों को और अमीर बनाने में मदद की है। राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन 2020 से 178 रूपये पर ही बरक़रार है, लेकिन अमीरों की संपत्ति महामारी में भी रॉकेट पर सवार है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि महामारी के दौरान भारत में अरबतियों की संख्या 102 से बढ़कर 142 हो गई है। भारत में पिछले मई महीने में ग्रामीण बेरोजगारी दर 15 फीसदी की उंचाई पर था और फूड इंसिक्योरिटी अपने चरम पर लेकिन इस दरमियान भारत में अरबपतियों की संख्या फ्रांस, स्वीडेन और स्विट्ज़रलैंड के कुल अरबपतियों से भी ज़्यादा हो गई। भारत की 40 फीसदी सबसे ग़रीब आबादी के मुक़ाबले उन अरबपतियों के पास 700 अरब डॉलर से भी ज़्यादा की संपत्ति है। महामारी के दौरान स्टॉक की कीमतों से लेकर क्रिप्टो और कमोडिटीज़ की कीमतों में भारी बढ़ोत्तरी देखी गई। यही वजह है कि दुनियाभर में असमानताएं बढ़ी है और अमीर और ज़्यादा अमीर हुए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक़ पिछले साल के दौरान दुनिया के 500 सबसे अमीर लोगों की संपत्ति में एक ट्रिलियन डॉलर का इज़ाफा हुआ। रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत के 100 अरबपतियों की सामूहिक संपत्ति 2021 के दौरान 57.3 लाख करोड़ या 775 अरब अमिरिकी डॉलर पर पहुंच गई। रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत में, महामारी के दौरान (मार्च 2020 से नवंबर, 2021 तक) अरबपतियों की संपत्ति 23.14 लाख करोड़ रुपये (313 अरब डॉलर) से बढ़कर 53.16 लाख करोड़ रुपये (719 अरब डॉलर) हो गई। इस दौरान देशभर में 4.6 करोड़ भारतीय ग़रीबी रेखा से नीचे चले जाने का अनुमान है। रिपोर्ट में युनाइटेड नेशन के वैश्विक ग़रीबी के आंकड़ों के हवाले से बताया गया है कि महामारी के दौरान भारत में बढ़ी ग़रीबी कुल वैश्विक स्तर पर बढ़ी ग़रीबी का आधा है। ऑक्सफैम ने अपनी नई रिपोर्ट ‘Inequality Kills’ में बताया कि महामारी के दौरान 84 फीसदी भारतीय परिवारों की इन्कम में गिरावट आई है। ऑक्सफैम ने अपनी रिपोर्ट में इस बात पर ज़ोर देने की कोशिश की है सरकार को अरबपतियों की संपत्तियों पर टैक्स लगाना चाहिए। रिपोर्ट में बताया गया है कि अगर भारत सरकार दस फीसदी या 98 अरबति परिवारों पर सिर्फ 1 फीसदी ही टैक्स लगाती है तो इससे नेशनल पब्लिक हेल्थ इंश्योरेंस फंड आयुष्मान भारत का सात सालों का ख़र्च निकल सकता है। अगर 98 अरबतियों पर 4 फीसदी का टैक्स लगाया जाता है तो उससे होने वाली उगाही से स्वास्थ्य मंत्रालय का दो साल, मिड डे मील प्रोग्राम का 17 साल और समग्र शिक्षा अभियान का 6 साल का ख़र्च निकल सकता है। इसका इस्तेमाल वेलफेयर स्कीम जैसे कि स्कूली शिक्षा, यूनिवर्सल हेल्थकेयर और सोशल सिक्योरिटी बेनिफिट पर ख़र्च किया जा सकता है। यह देश में अमीरों और ग़रीबों के बीच बढ़ चुकी असमानताओं को कम करने में मदद कर सकता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2016 में केन्द्र द्वारा वेल्थ टैक्स को ख़त्म किए जाने, कॉर्पोरेट लेवी में भारी कटौती और इंडायरेक्ट टैक्सेशन में बढ़ोत्तरी कुछ प्रमुख कारक हैं जिसने अमीरों को और अमीर बनाने में मदद की है। राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन 2020 से 178 रूपये पर ही बरक़रार है, लेकिन अमीरों की संपत्ति महामारी में भी रॉकेट पर सवार है।
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