पिछले साल के मुक़ाबले सितंबर में 10 फीसदी बढ़ी थोक महंगाई

by Sarfaroshi 1 year ago Views 2257

Wholesale inflation rate

भारत में पिछले साल के मुकाबले महंगाई बढ़ गई है। देश में थोक मूल्य मुद्रास्फीति या थोक महंगाई दर सितंबर के महीने में 10.66 फीसदी दर्ज की गई है। 14 अक्टूबर को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक यह दर पिछले साल सितंबर में 1.32 फीसदी थी यानि कि पिछले साल के मुक़ाबले यह 9.34 प्रतिशत बढ़ गई है।

आंकड़े बतातें हें कि सितंबर में दर्ज की गई थोक महंगाई दर पिछले कुछ महीनों के मुकाबले कम हुई है लेकिन फिर भी यह  दर लगातार छह महीनों से डबल डिजिट में दर्ज की जा रही है। अगस्त में इनफ्लेशन रेट 11.39 प्रतिशत जबकि जुलाई में यह दर 11.57 फीसदी थी। बीते महीने अगस्त से तुलना की जाए तो प्राथमिक उत्पादों, पेट्रोल और प्राकृतिक गैस और खाने समेत कई उत्पादों कीमतों में कमी आई है।

प्राइमरी उत्पादों के लिए होलसेल प्राइज इंडेक्स या थोक मूल्य सूचकांक अगस्त के महीने में 155.8 था जो कि सिंतबर में कम हो कर 154.9 हो गया है। बता दें कि थोक मूल्य सूचकांक (WPI) उपभोक्ताओं तक पहुँचने से पहले माल की कीमत में बदलाव को मापता है और थोक में बेचे जाने वाले माल की कीमत को ट्रैक करता है।

कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, खनिज, खाने की वस्तुओं, गैर-खाद्य पदार्थ, खनिज तेल की कीमतों में क्रमशः -4.06%, -2.34%, -0.25%, -0.31% और -1.75% की कमी आई है। खाद्य पदार्थों में आलू की कीमतों में -48.95%, प्याज़ की कीमतों में -1.91% और फलों की कीमतों में -1.27% की गिरावट आई है। जबकि विनिर्मित उत्पाद का सूचकांक बढ़ कर 133.8 हो गया है। 

दालों के दाम 9.42 फीसदी, बेसिक मेटल के दाम 26.71% और कपड़े का मोल 16.81% बढ़ गया है। बढ़ी हुई विनिर्मित उत्पादों की कीमतों का कारण बुनियादी धातुओं का निर्माण; खाद्य उत्पाद; रसायन और रासायनिक उत्पाद; उपकरण और औजार का निर्माण करने वाले उत्पादकों को बताया गया है वहीं उद्योग विभाग ने पिछले साल के मुकाबले इस साल सितंबर में बढ़ी हुई मुद्रास्फीति दर के लिए खनिज तेलों, मूल धातुओं, गैर-खाद्य वस्तुओं, खाद्य उत्पादों, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, रसायन और रासायनिक उत्पादों आदि की कीमतों में बढ़ोतरी को ज़िम्मेदार ठहराया है। 

देश में कई उत्पादों की कीमत अभी और कुछ समय तक बढ़ी रह सकती हैं क्योंकि अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने मंगलवार को दुनिया भर में बढ़ते मुद्रास्फीति जोखिमों का हवाला देते हुए, अप्रैल में अनुमानित 4.9% से इस साल के लिए भारत के लिए अपने महंगाई से जुड़े पूर्वानुमान को बढ़ाकर 5.6% कर दिया है। IMF ने भारत के लिए कहा कि नीति निर्माताओं को रिकवरी का समर्थन करने के लिए धैर्यपूर्वक काम करने के बीच एक सख्त कदम उठाने की जरूरत है और साथ ही अगर महंगाई  में ‘डी-एंकरिंग’ के संकेत दिखाई दे तो उन्हें तेज़ी से काम करने के लिए तैयार रहना चाहिए। 

मंगलवार को जारी एक और सरकारी आंकड़े के मुताबिक देश में भारत की खुदरा महंगाई कम हुई है। यह पांच महीनों में सबसे कम हो कर 4.35 फीसदी हो गई है। मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि खाने के दामों में कमी के कारण ऐसा मुमकिन हुआ है। इसके अलावा केंद्रिय बैंक रिजर्व बैंक इंडिया ने आर्थिक सुधार को समर्थन देने के लिए लगातार आठवी बार अपनी ब्याज़ दर में कई बदलाव नहीं किया है जिसे देश में खुदरा मुद्रास्फीति के कम होने की बढ़ी वजह माना जा रहा है। 

ताज़ा वीडियो

TAGS