संसद में पारित 127वां संशोधन बिल 2021 से क्या बदल जाएगा?

127वां संविधान संशोधन बिल 2021 बुधवार को राज्यसभा में पास कर दिया गया है. बिल को मंगलवार को लोकसभा में पास कर दिया गया था. इसके साथ ही अब राज्य सरकारों को फिर से ओबीसी लिस्ट तैयार करने का अधिकार मिल जाएगा. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने इस बिल के बारे में कहा कि ये देश की 671 जातियों को फायदा देगा. बता दें कि इस संशोधन के माध्यम से संविधान के आर्टिकल 342A, 338B और 366 में संशोधन किया जाएगा.
गौरतलब है कि 2018 में 102वें संविधान संधोधन के जरिए संविधान में आर्टिकल 342A, 338B और 366(26C) को जोड़ा गया था. इनमें आर्टिकल 342A, राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग की संरचना, उसके कर्तव्यों और शक्तियों से संबंधित था. आर्टिकल 338B राष्ट्रपति की उन शक्तियों, जिसके तहत वह किसी जाति विशेष को एसईबीसी के तगत नोटिफाई कर सकते हैं, साथ ही ओबीसी लिस्ट में परिवर्तन करने की सांसदों की शक्तियों से संबंधित हैं जबकि आर्टिकल 366(26C) में एसईबीसी की परिभाषा निहित है.
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के आरक्षण से जुड़ा एक फैसला सुनाते हुए कहा था कि 2018 में 102वें संशोधन के बाद सिर्फ केंद्र सरकार ही किसी जाति को एसईबीसी के तहत नोटिफाई कर सकती है. अदालत की इस व्याख्या के बाद राज्य सरकारों का पिछड़े वर्गों की पहचान करना और उन्हें आरक्षण का लाभ देने का अधिकार खत्म हो गया था. 127वां संशोधन बिल 2021 सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को प्रभावी रूप से बायपास कर जाएगा यानि राज्य फिर से अपने अपने यहां पिछड़ा वर्ग की सूची तैयार कर पाएंगे, जो अधिकार उन्हें अदालत की टिप्पणी से पहले प्राप्त था. हालांकि ये बिल बिना किसी विरोध के सदन में पास हो गया लेकिन ऐसा कहा जा रहा है कि इस बिल को पास करने के पीछे केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा का अपना फायदा है. दरअसल ये बिल ऐसे समय आया है जब कुछ ही महीनों में यूपी समेत पांच राज्यों में चुनाव होने वाला है. वह राज्य, जहां पिछड़ी जातियों का राजनैतिक बोलबाला है
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के आरक्षण से जुड़ा एक फैसला सुनाते हुए कहा था कि 2018 में 102वें संशोधन के बाद सिर्फ केंद्र सरकार ही किसी जाति को एसईबीसी के तहत नोटिफाई कर सकती है. अदालत की इस व्याख्या के बाद राज्य सरकारों का पिछड़े वर्गों की पहचान करना और उन्हें आरक्षण का लाभ देने का अधिकार खत्म हो गया था. 127वां संशोधन बिल 2021 सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को प्रभावी रूप से बायपास कर जाएगा यानि राज्य फिर से अपने अपने यहां पिछड़ा वर्ग की सूची तैयार कर पाएंगे, जो अधिकार उन्हें अदालत की टिप्पणी से पहले प्राप्त था. हालांकि ये बिल बिना किसी विरोध के सदन में पास हो गया लेकिन ऐसा कहा जा रहा है कि इस बिल को पास करने के पीछे केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा का अपना फायदा है. दरअसल ये बिल ऐसे समय आया है जब कुछ ही महीनों में यूपी समेत पांच राज्यों में चुनाव होने वाला है. वह राज्य, जहां पिछड़ी जातियों का राजनैतिक बोलबाला है
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