सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर मामले में दायर याचिकाओं पर क्या कहा?

जम्मू-कश्मीर मसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार से कई सवाल किये। राज्यसभा सांसद एवं एमडीएमके नेता वाइको की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार से पूछा कि क्या फारूक अब्दुल्ला को हिरासत में रखा गया है? इस पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। इस याचिका पर अगली सुनवाई 30 सितंबर को होगी।
एमडीएमके नेता वाइको का आरोप है कि फारुक अब्दुल्ला को अवैध रूप से हिरासत में लेकर उन्हें संविधान के तहत दिये गए अधिकारों से वंचित रखा गया।
कश्मीर टाइम्स की संपदक अनुराधा भसीन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। अनुराधा भसीन का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट काम नहीं कर रहा है और इंटरनेट और लैंडलाइन की सुविधाएं बंद हैं जिसकी वजह से मीडिया को काम करने में कठिनाई हो रही है। इस पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया कि पत्रकारों को लैंडलाइन और अन्य कम्युनिकेशन की सुविधाएं मुहैया की जा रही है। साथ ही कहा कि पत्रकारों को गाड़ी मुहैया करावाई जा रही है, पब्लिक ट्रांसपोर्ट सामान्य है। अनुराधा भसीन का दावा है कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को बेहतर चिकित्सा और अन्य बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। जिस पर केंद्र सरकार ने कहा कि 5 अगस्त तक 10 लाख लोगों ने ओपीडी करवाया, 90 फीसदी मेडिकल की दुकानें खुल रही हैं और 8,96,000 एलपीजी सिलेंडर की होम डिलिवरी की गई है वहीं 6.46 लाख क्विंटल राशन बांटे गए हैं। एक अन्य याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया की स्वास्थय सेवाएं पूरी तौर पर ठप हैं। लैंडलाइन की सुविधा मुहैया तो की जा रही है लेकिन काफी लिमिटेड इस्तेमाल हो पा रहा है। उन्होंने बताया कि मोबाइल सुविधा बंद होने के कारण इमरजेंसी के दौरान एंबुलेंस को भी नहीं बुलाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि जम्मू-कश्मीर के सभी लोगों को चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाई जाए। कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए चयनात्मक आधार पर कश्मीर में लगे प्रतिबंध हटाए जाएंगे।
कश्मीर टाइम्स की संपदक अनुराधा भसीन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। अनुराधा भसीन का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट काम नहीं कर रहा है और इंटरनेट और लैंडलाइन की सुविधाएं बंद हैं जिसकी वजह से मीडिया को काम करने में कठिनाई हो रही है। इस पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया कि पत्रकारों को लैंडलाइन और अन्य कम्युनिकेशन की सुविधाएं मुहैया की जा रही है। साथ ही कहा कि पत्रकारों को गाड़ी मुहैया करावाई जा रही है, पब्लिक ट्रांसपोर्ट सामान्य है। अनुराधा भसीन का दावा है कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को बेहतर चिकित्सा और अन्य बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। जिस पर केंद्र सरकार ने कहा कि 5 अगस्त तक 10 लाख लोगों ने ओपीडी करवाया, 90 फीसदी मेडिकल की दुकानें खुल रही हैं और 8,96,000 एलपीजी सिलेंडर की होम डिलिवरी की गई है वहीं 6.46 लाख क्विंटल राशन बांटे गए हैं। एक अन्य याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया की स्वास्थय सेवाएं पूरी तौर पर ठप हैं। लैंडलाइन की सुविधा मुहैया तो की जा रही है लेकिन काफी लिमिटेड इस्तेमाल हो पा रहा है। उन्होंने बताया कि मोबाइल सुविधा बंद होने के कारण इमरजेंसी के दौरान एंबुलेंस को भी नहीं बुलाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि जम्मू-कश्मीर के सभी लोगों को चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाई जाए। कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए चयनात्मक आधार पर कश्मीर में लगे प्रतिबंध हटाए जाएंगे।
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