उत्तर प्रदेश: संदीप पांडेय तीन दिनों में तीसरी बार हिरासत में, पत्रकार शाह आलम पर भी कार्रवाई

अनुच्छेद 370 हटाए जाने का विरोध करने वाले सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ताओं को उत्तर प्रदेश सरकार निशाना बना रही है। अब उत्तर प्रदेश पुलिस ने तीन दिनों के भीतर तीसरी बार रेमॉन मैग्सेसे अवॉर्ड से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पाण्डेय और उनके सहयोगियों को हिरासत में लिया है।
आज़ादी की लड़ाई के गुमनाम नायकों का दस्तावेज़ जुटाने वाले पत्रकार शाह आलम को उत्तर प्रदेश पुलिस ने अयोध्या में हिरासत में लिया है। शाह आलम रेमॉन मैग्सेसे अवॉर्ड से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडेय का इंटरव्यू करने के लिये अयोध्या पहुंचे थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आयोध्या के एक महंत जुगल किशोर शास्त्री के मंदिर में संदीप पांडेय एक प्रेस कांफ्रेंस भी करने वाले थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। प्रेस कांफ्रेंस के दौरान मौजूद संदीप पांडेय, आचार्य जुगल किशोर शास्त्री समेत कई सामाजिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेकर लखनऊ लाया गया है।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने तीन दिनों के भीतर इन कार्यकर्ताओं को तीसरी बार हिरासत में लिया है। इससे पहले इन्हीं कार्यकर्ताओं को यूपी पुलिस ने 17 अगस्त को अयोध्या जाने से ठीक पहले भी हिरासत में लिया था। तब इनके साथ आईआईडी मुंबई के पूर्व प्रोफ़ेसर राम पुनियानी भी थे। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के ख़िलाफ़ 16 अगस्त को संदीप पांडेय और उनके सहयोगी लखनऊ में कैंडल मार्च निकालने वाले थे लेकिन तब भी यूपी पुलिस ने सभी को नज़रबंद कर दिया था। संदीप पाण्डे ने पूछा कि केंद्र सरकार ने मनमाने तरीके से और जम्मू कश्मीर के लोगों से सलाह मशविरा किए बिना अनुच्छेद 370 हटाने का फ़ैसला कैसे कर लिया। जम्मू-कश्मीर विवाद में सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारियां और हिरासत में लेने की कार्रवाई देश के अलग-अलग हिस्सों में जारी है। समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक सिर्फ जम्मू-कश्मीर में अभी तक चार हज़ार से ज़्यादा लोग गिरफ़्तार किए जा चुके हैं।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने तीन दिनों के भीतर इन कार्यकर्ताओं को तीसरी बार हिरासत में लिया है। इससे पहले इन्हीं कार्यकर्ताओं को यूपी पुलिस ने 17 अगस्त को अयोध्या जाने से ठीक पहले भी हिरासत में लिया था। तब इनके साथ आईआईडी मुंबई के पूर्व प्रोफ़ेसर राम पुनियानी भी थे। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के ख़िलाफ़ 16 अगस्त को संदीप पांडेय और उनके सहयोगी लखनऊ में कैंडल मार्च निकालने वाले थे लेकिन तब भी यूपी पुलिस ने सभी को नज़रबंद कर दिया था। संदीप पाण्डे ने पूछा कि केंद्र सरकार ने मनमाने तरीके से और जम्मू कश्मीर के लोगों से सलाह मशविरा किए बिना अनुच्छेद 370 हटाने का फ़ैसला कैसे कर लिया। जम्मू-कश्मीर विवाद में सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारियां और हिरासत में लेने की कार्रवाई देश के अलग-अलग हिस्सों में जारी है। समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक सिर्फ जम्मू-कश्मीर में अभी तक चार हज़ार से ज़्यादा लोग गिरफ़्तार किए जा चुके हैं।
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