मोदी सरकार को नहीं मिले ग़रीब किसान, पीएम सहायता योजना में कम किये दस हज़ार करोड़

दिल्ली के बॉर्डरों पर चल रहे किसान आंदोलन के बीच अक्सर बात उठती है की यहाँ गरीब किसान नहीं हैं। कारण है हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों की भागीदारी जो देश के एक सामान्य किसान की तुलना में काफी अमीर हैं। लेकिन क्या आप जानते है की जिस देश में हर साल दसियो हज़ार किसान क़र्ज़ के बोझ के चलते खुदखुशी कर लेते हैं वहाँ केंद्र सरकार को ढूँढने से भी गरीब नहीं मिल रहे हैं। यह हम नहीं खुद केंद्र सरकार कह रही है।
कृषि मंत्रालय के 2020-21 में 1 लाख 42 हज़ार 762 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान लगाया था, जिसे संशोधित चरण में 13% घटाकर 1,24,520 करोड़ रुपये कर दिया गया । इसमें पीएम-किसान योजना (किसानों के लिए आय सहायता योजना) पर प्रस्तावित खर्च में 10,000 करोड़ रुपये की कटौती शामिल है। दरअसल, 2019-20 में पीएम-किसान योजना के 26 हज़ार 286 करोड़ रुपये सरकार इसलिए खर्च नहीं कर पायी क्योंकि उसे इस योजना के अंतर्गत सही लाभार्थी नहीं मिले। इसी वजह से अब इस स्कीम में कटौती की गई है।
पहले समझिये पीएम-किसान योजना आखिर है क्या। दरअसल, इस योजना के तहत प्रति वर्ष उन किसान परिवारों को 6000 रुपए की तीन किस्तों में मदद की जाती है, जिनके पास 2 एकड़ तक ज़मीन होती है। इस योजना की परिभाषा में एक परिवार का मतलब पति, पत्नी और नाबालिग बच्चे हैं। हाल में ही किसान आंदोलन के बीच इस योजना के अंतर्गत 9 करोड़ किसानों को 18 हज़ार करोड़ रुपए दिये गये । सुनने में 18 हज़ार करोड़ रुपए आपको शायद बड़ी रकम लगे लेकिन जिस देश में 54 फीसदी लोग खेती से जुड़े हों, वहाँ यह आँकड़ा ख़ास मायने नहीं रखता। दरअसल, 2011 की जनगणना के मुताबिक देश में हाउसहोल्ड साइज ( एक परिवार के सदस्यों की गनती) था 4.8 यानि तक़रीबन 5 लोग। अब अगर 18 हज़ार करोड़ रुपए को 9 करोड़ किसान परिवारों में बाँटा जायें, तो पता चलेगा कि हर परिवार को मिले 2000 रुपये। पाँच सदस्यों का औसत माना जाये तो परिवार के हर सदस्य के हिस्से आते हैं लगभग 400 रुपये। आसान भाषा में कहे तो हर लाभान्वित परिवार के व्यक्ति को खर्चे के लिए मिले 13 रुपए 33 पैसे प्रतिदिन। आप सोचिये कि 13 रुपए में किसी व्यक्ति के एक दिन के खाने, कपडे, दवाई आदि के खर्च का जुगाड़ कैसे हो सकता है? वैसे, ग़ौर करने की बात यह भी है कि यह पैसा केवल उन्हीं लोगो को दिया गया जिनके पास खेती की ज़मीन थी। ऐसे खेतिहर मज़दूरों और भूमिहीन मज़दूरों को इससे कोई लाभ नहीं मिला जो दूसरों की ज़मीन पर काम करते हैं। ऐसे लोगों का न कभी सब्सिडी मिलती है और ना ही किसी प्रकार की अन्य सरकारी सहायता। एक हक़ीक़त ये भी है कि किसानों की आय शहर में काम करने दिहाड़ी मज़दूरों से भी कम है। मसलन भारत सरकार के 2015-16 के अपने आँकड़े बताते हैं कि बिहार में एक किसान परिवार सिर्फ 45 हज़ार 317 रुपए सालाना कमाता है यानि बिहार का एक पूरा किसान परिवार औसतन 124 रुपये प्रति दिन में अपना गुजारा करता है।
पहले समझिये पीएम-किसान योजना आखिर है क्या। दरअसल, इस योजना के तहत प्रति वर्ष उन किसान परिवारों को 6000 रुपए की तीन किस्तों में मदद की जाती है, जिनके पास 2 एकड़ तक ज़मीन होती है। इस योजना की परिभाषा में एक परिवार का मतलब पति, पत्नी और नाबालिग बच्चे हैं। हाल में ही किसान आंदोलन के बीच इस योजना के अंतर्गत 9 करोड़ किसानों को 18 हज़ार करोड़ रुपए दिये गये । सुनने में 18 हज़ार करोड़ रुपए आपको शायद बड़ी रकम लगे लेकिन जिस देश में 54 फीसदी लोग खेती से जुड़े हों, वहाँ यह आँकड़ा ख़ास मायने नहीं रखता। दरअसल, 2011 की जनगणना के मुताबिक देश में हाउसहोल्ड साइज ( एक परिवार के सदस्यों की गनती) था 4.8 यानि तक़रीबन 5 लोग। अब अगर 18 हज़ार करोड़ रुपए को 9 करोड़ किसान परिवारों में बाँटा जायें, तो पता चलेगा कि हर परिवार को मिले 2000 रुपये। पाँच सदस्यों का औसत माना जाये तो परिवार के हर सदस्य के हिस्से आते हैं लगभग 400 रुपये। आसान भाषा में कहे तो हर लाभान्वित परिवार के व्यक्ति को खर्चे के लिए मिले 13 रुपए 33 पैसे प्रतिदिन। आप सोचिये कि 13 रुपए में किसी व्यक्ति के एक दिन के खाने, कपडे, दवाई आदि के खर्च का जुगाड़ कैसे हो सकता है? वैसे, ग़ौर करने की बात यह भी है कि यह पैसा केवल उन्हीं लोगो को दिया गया जिनके पास खेती की ज़मीन थी। ऐसे खेतिहर मज़दूरों और भूमिहीन मज़दूरों को इससे कोई लाभ नहीं मिला जो दूसरों की ज़मीन पर काम करते हैं। ऐसे लोगों का न कभी सब्सिडी मिलती है और ना ही किसी प्रकार की अन्य सरकारी सहायता। एक हक़ीक़त ये भी है कि किसानों की आय शहर में काम करने दिहाड़ी मज़दूरों से भी कम है। मसलन भारत सरकार के 2015-16 के अपने आँकड़े बताते हैं कि बिहार में एक किसान परिवार सिर्फ 45 हज़ार 317 रुपए सालाना कमाता है यानि बिहार का एक पूरा किसान परिवार औसतन 124 रुपये प्रति दिन में अपना गुजारा करता है।
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