विवादित अकाउंट बैन करने के आदेश पर ट्विटर का जवाब: क़ानून का सम्मान लेकिन अभिव्यक्ति की आज़ादी भी अहम!

by GoNews Desk 2 years ago Views 2102

अब ट्विटर का जवाब भी बताता है कि सरकार के लिए विरोध में उठ रही आवाज़ों को दबा पाना आसान न होगा।

Twitter's reply to the order to ban the disputed a
किसान आंदोलन पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आलोचना झेल रही केंद्र सरकार ने ट्वीटर को ऐसे 1178 ‘पाकिस्तानी-खालिस्तानी’ अकाउंट्स हटाने के आदेश दिया था जो कथित तौर पर किसान आंदोलन को लेकर गलत जानकारी साझा कर रहे हैं। ट्विटर ने इस पर आज जवाब देते हुए कहा है की वो देश के कायदे-कानून का सम्मान तो करता है लेकिन अभिव्यक्ति की आज़ादी पर कोई समझौता नहीं करेगा।

ट्विटर ने अपने बयान में कहा है - ट्विटर पारदर्शिता और लोगों के संवाद को शक्ति देने का पक्षधर है। अगर हमें किसी संभावित गैर कानूनी कंटेंट को हटाने के लिए वैध कानूनी दरखास्त मिलती है तो हम उसे देश के कानून और अपनी पॉलिसी के आधार पर रिव्यु करते है। अगर कंटेंट हमारे पालिसी के ख़िलाफ़ होता है तो हम उसे ट्विटर से हटा देते है, अगर वो देश के कानून विरुद्ध होता है और उस कंटेंट को उस देश में दिखाना बंद कर देते है।


सभी स्थितियों में हम यूज़र को अपने फैसले के बारे में पूरी जानकारी देते है। ट्विटर देश के कायदे-कानून का सम्मान करता है लेकिन अभिव्यक्ति की आज़ादी पर कोई समझौता नहीं करेगा।

सरकार ने इससे पहले भी ट्वीटर को कृषि कानूनों और किसान आंदोलन पर झूठी जानकारी साझा करने वाले कई ट्वीट्स को डिलीट करने और अकाउंट्स को बंद करने के आदेश दिया था। ट्वीटर ने सरकार के इस आदेश का पालन किया था लेकिन कुछ ही समय बाद इन अकाउंट्स को फिर से बहाल कर दिया गया था जिसके चलते केंद्र ने ट्वीटर को एक नोटिस भी भेजा था।

दरअसल, किसान आंदोलन को अब अंतराष्ट्रीय स्तर पर समर्थन मिल रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित कई हस्तियों ने किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट किया है। इनमें से सबसे चर्चित ट्वीट पॉप गायिका रियाना का था। इसके अलावा स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग और अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भांजी मीना हैरिस ने भी ट्वीट करके किसानों का साथ दिया है।

केंद्र सरकार ने इन हस्तियों के ट्वीट पर कड़ी प्रतीक्रिया देते हुए इसे देश का आंतरिक मामला बताया था। इतना ही नहीं, सोमवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर आये धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई बहस का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने इशारों में इसे भारत को बदनाम करने के अंतर्राष्ट्रीय साज़िश तक बता दिया। हालाँकि राजनयिक हलकों में ये सवाल भी पूछा जा रहा है कि निजी हैसियत में किये गये ट्वीट के जवाब में सरकार जिस तरह से सक्रिय हुई वह ग़ैरज़रूरी था।

अब ट्विटर का जवाब भी बताता है कि सरकार के लिए विरोध में उठ रही आवाज़ों को दबा पाना आसान न होगा।

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