अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी, तालिबान का जश्न

by GoNews Desk 2 years ago Views 1721

The withdrawal of US forces from Afghanistan, the
अफ़ग़ानिस्तान में 20 साल तक चले युद्ध और उसके साथ ही एक युग का भी अंत हो चुका है। अमेरिकी सेना की वापसी के बाद अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान का अब पूर्ण नियंत्रण हो गया है। देर रात सेना की वापसी के बाद तालिबान लड़ाकों ने जश्न भी मनाया।

तालिबान के शासन को लेकर फिलहाल अफ़ग़ानिस्तान में अनिश्चिता है। एक ओर जहां तालिबान दावा कर रहा है कि उसका दूसरा शासन काल पहले से अलग होगा। दूसरी ओर लोगों में ङर भी है और इस वजह से बड़ी संख्या में लोग देश भी छोड़ रहे हैं।


अमेरिकी रक्षा विभाग ने एक तस्वीर जारी की है जिसमें कहा गया है कि अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने वाले ये आख़िरी अमेरिकी सैनिक हैं।

रक्षा विभाग ने बताया कि ये मेजर जनरल क्रिस डोनाहू हैं जो काबुल से निकल रहे आख़िरी सी-17 विमान में सवार हो रहे हैं।

अफ़ग़ानिस्तान से आख़िरी अमेरिकी सैनिक की वापसी के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा, 'अब अमेरिकी सेना अफ़ग़ानिस्तान छोड़ चुकी है। अफ़ग़ानिस्तान के साथ एक नया अध्याय शुरू हुआ है जिसमें हम अपनी कूटनीति से आगे बढ़ेंगे। सैन्य अभियान पूरा हुआ। एक नया डिप्लोमैटिक मिशन शुरू हुआ।'

उन्होंने बताया कि अफ़ग़ानिस्तान से 123000 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है और इनमें 6000 से ज़्यादा अमेरिकी सैनिक थे। इसके साथ ही अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान में अपना दूतावास भी बंद कर दिया है और इसे क़तर की राजधानी दोहा स्थानांतरित किया गया है।

अमेरिका की वापसी के बाद तालिबान ने काबुल के हामिद करज़ई हवाई अङ्ङे को अपने नियंत्रण में ले लिया है। जिन जगहों पर अमेरिकी सेना का नियंत्रण था, लड़ाके उन जगहों की तलाशी ले रहे हैं। 

इतना ही नहीं तालिबान लड़ाके अपनी मशीन गनों से खुशी में फायरिंग कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर साझा किए जा वीडियो क्लिप में देखा जा सकता है कि वे तस्वीरें खिंचा रहे हैं और जश्न मना रहे हैं।

सेना की वापसी के बाद तालिबान ने मंगलवार को कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिका की शिकस्त दूसरे हमलावरों और हमारी आने वाली नस्लों के लिए एक सबक है। तालिबान के प्रवक्ता ज़बीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा, "ये दुनिया के लिए भी एक सबक है।" 

ग़ौरतलब है कि अमेरिका की वापसी से पहले भी देश में खून बहे हैं। पिछले सप्ताह काबुल हवाई अङ्ङे पर आत्मघाती हमले में करीब 200 लोगों की मौत हो गई। इनमें 13 अमेरिकी सैनिक भी शामिल थे।

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