कड़ाके की ठंड के बीच 21वें दिन भी किसानों का आंदोलन जारी, आज चिल्ला बॉर्डर करेंगे जाम

दिल्ली बॉर्डर पर डटे किसान तीनों नए कृषि कानून वापस लेने की मांग से टस से मस होने के लिए तैयार नहीं है। कड़ाके की ठंड होने के बावजूद भी किसान आंदोलन का आज 21वां दिन भी जारी है। दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों ने मंगलवार को सख़्त संदेश दिया कि वह किसी भी हाल में सरकार को तीनों कानून वापस लेने पर मजबूर करेंगे। वहीं किसानों ने बुधवार को चिल्ला बॉर्डर जाम करने और आने वाले दिनों में आंदोलन को और बड़ा किया जाने का एलान भी किया।
सिंघु बॉर्डर पर प्रेस कांफ्रेंस में किसान नेता जगजीत दल्लेवाल ने कहा, सरकार कह रही है कि कानून वापस नहीं लेंगे। हम भी साफ बता देते हैं कि सरकार को वापस लेने पर मजबूर कर देंगे। हमारी लड़ाई उस मुकाम पर पहुंच गई है कि अब हर हाल में हमें जीत ही चाहिए फिर चाहे कुछ भी हो जाए।
उन्होंने कहा, हम बातचीत से भाग नहीं रहे हैं, लेकिन सरकार को हमारी मांगों पर ध्यान देना होगा और ठोस प्रस्तावों के साथ आगे आना होगा। सरकार किसानों को दिल्ली आने से रोक रही है, इसके बावजूद किसानों का हौसला कम नहीं हो रहा। अगले तीन चार दिनों में और किसान महिलाएं इस आंदोलन में हिस्सा लेने पहुंचेंगी। हम आंदोलन को और बड़ा करेंगे। किसान संगठनों ने कहा कि सरकार बाहर से आने वाले लोगों को आने नहीं दे रही है। हमारे लोगों को आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए आने से रोक रही है। ये सरकार किसानों की बात नहीं करती है, बस घुमाती है। किसानों ने कहा कि सरकार पुलिस फोर्स लगाकर तानाशाही कर रही है। हमारे लोगों को परेशान किया जा रहा है। ये सरकार अंबानी और अडानी की सरकार है। हम इसको अपने मंसूबों में कामयाब नहीं होने देंगे। सिंघु बार्डर पर किसान संगठनों ने कहा कि वो अपनी मांग से पीछे नहीं हटेंगे। उनकी स्पष्ट मांग है कि सरकार सबसे पहले कृषि कानूनों को वापस ले उसके बाद ही बातचीत का कोई अर्थ है। किसान नेता जगजीत सिंह ने कहा कि बड़े दुख से ये बात बतानी पड़ रही है कि आज तक जबसे हमने दिल्ली में आकर आंदोलन लड़ना शुरू किया, यहां तक आते-आते हमारे लगभग 13-14 किसान, रोजाना औसतन एक किसान शहीद हो रहा है। हम 20 तारीख को पूरे देश में इन सभी किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।
उन्होंने कहा, हम बातचीत से भाग नहीं रहे हैं, लेकिन सरकार को हमारी मांगों पर ध्यान देना होगा और ठोस प्रस्तावों के साथ आगे आना होगा। सरकार किसानों को दिल्ली आने से रोक रही है, इसके बावजूद किसानों का हौसला कम नहीं हो रहा। अगले तीन चार दिनों में और किसान महिलाएं इस आंदोलन में हिस्सा लेने पहुंचेंगी। हम आंदोलन को और बड़ा करेंगे। किसान संगठनों ने कहा कि सरकार बाहर से आने वाले लोगों को आने नहीं दे रही है। हमारे लोगों को आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए आने से रोक रही है। ये सरकार किसानों की बात नहीं करती है, बस घुमाती है। किसानों ने कहा कि सरकार पुलिस फोर्स लगाकर तानाशाही कर रही है। हमारे लोगों को परेशान किया जा रहा है। ये सरकार अंबानी और अडानी की सरकार है। हम इसको अपने मंसूबों में कामयाब नहीं होने देंगे। सिंघु बार्डर पर किसान संगठनों ने कहा कि वो अपनी मांग से पीछे नहीं हटेंगे। उनकी स्पष्ट मांग है कि सरकार सबसे पहले कृषि कानूनों को वापस ले उसके बाद ही बातचीत का कोई अर्थ है। किसान नेता जगजीत सिंह ने कहा कि बड़े दुख से ये बात बतानी पड़ रही है कि आज तक जबसे हमने दिल्ली में आकर आंदोलन लड़ना शुरू किया, यहां तक आते-आते हमारे लगभग 13-14 किसान, रोजाना औसतन एक किसान शहीद हो रहा है। हम 20 तारीख को पूरे देश में इन सभी किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।
इस बीच सरकार और आंदोलन कर रहे कुछ किसान संगठनों में जारी तनातनी के बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, एमएसपी जैसे है, वैसे ही बरकरार रहेगी।बड़े दुख से ये बात बतानी पड़ रही है कि आज तक जबसे हमने दिल्ली में आकर आंदोलन लड़ना शुरू किया, यहां तक आते-आते हमारे लगभग 13-14 किसान, रोजाना औसतन एक किसान शहीद हो रहा है। हम 20 तारीख को पूरे देश में इन सभी किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे:सिंघु बॉर्डर से किसान नेता जगजीत सिंह pic.twitter.com/OWD48Sd8je
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 15, 2020
सरकार सिर्फ असली किसान संगठनों से बातचीत आगे बढ़ाने को इच्छुक है। उन्होंने कहा, देश के तमाम राज्य इन तीनों कानूनों का समर्थन कर चुके हैं। इसके बावजूद सरकार असली किसान संगठनों के साथ उनकी समस्याओं पर खुलकर बात करने को तैयार है। किसान संगठन के नेताओं ने कहा कि हमें सरकार की नीयत पर शक है। अभी तक पीएम ने किसानों के लिये दो शब्द नहीं कहे, हाल नहीं पूछा। 6 साल से पीएम किसी किसान संगठन से नहीं मिले। रेडियो पर मन की बात करते हैं पर किसानों से बात नहीं करते।Govt willing to continue dialogue with genuine farm unions; MSP an administrative decision and will continue as it is: Agri Minister Tomar
— Press Trust of India (@PTI_News) December 15, 2020
ताज़ा वीडियो