"इस्लामिक अमिरात" में तालिबान की सरकार, महिलाओं को नहीं मिला हक़

तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान में अंतरिम सरकार का ऐलान कर दिया है। मंत्रियों की लिस्ट भी जारी की गई है। इसके साथ ही तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि अब अफ़ग़ानिस्तान आधिकारिक तौर पर इस्लामिक अमिरात बन गया है। इससे पहले काबुल में तालिबान के विरोधी सड़कों पर आ गए। हेरात और दूसरे प्रांतों में महिलाओं ने भी मोर्चा संभाला।
तालिबान के प्रवक्ता ज़बीउल्लाह मुजाहिद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि संगठन के संस्थापकों में एक मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद सरकार के मुखिया होंगे यानि इस सरकार में उन्हें प्रधानमंत्री का पद दिया गया है। इसके साथ मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर और मुल्ला अब्दुल सलाम हनाफी को उप प्रधानमंत्री बनाया गया है। हालांकि ऐसा माना जा रहा था कि तालिबान के सह संस्थापक बरादर ही तालिबानी सरकार का नेतृत्व करेंगे।
तालिबान ने मंगलवार को मंत्रिमंडल में शामिल 33 नेताओं की लिस्ट जारी की है। इसके मुताबिक मुल्ला याकूब रक्षा मंत्री और सिराजुद्दीन हक्कानी गृह मंत्री होंगे। हक्कानी का नाम अमेरिकी एजेंसी एफबीआई की ‘वांछित लिस्ट’ में है। सिराजुद्दीन हक्कानी, हक्कानी नेटवर्क के संस्थापक हैं, जिसे अमेरिका ने ‘आतंकवादी संगठनों’ की सूची में रखा है।
वहीं रक्षा मंत्री बनाए गए मुल्ला याकूब, तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के बेटे हैं, जबकि प्रधानमंत्री बनाए गए मोहम्मद हसन अखुंद तालिबान के संस्थापकों में एक हैं। वो 1996-2001 के दौरान तालिबानी सरकार में गवर्नर और मंत्री रह चुके हैं।
तालिबान की अंतरिम सरकार में आमिर ख़ान मुत्तक़ी को विदेश मंत्री की कमान सौंपी गई है। इनके अलावा मंत्रिमंडल में दो शिक्षा मंत्रियों को शामिल किया गया है। शेख मौलावी नूरुल्ला मुनिरी को शिक्षा मंत्री, जबकि अब्दुल बक़ी हक़्कानी को उच्च शिक्षा मंत्री नियुक्त गया है।
तालिबान की अंतरिम सरकार के ऐलान के दौरान समूह ने हालांकि ये साफ नहीं किया कि मौजूदा समय में तालिबान प्रमुख मुल्ला हैबतुल्लाह अखुंदज़ादा की सरकार में क्या भूमिका होगी। रिपोर्ट्स बताती हैं कि तालिबान चीफ को पिछले कई समय से सार्वजनिक रूप से देखा नहीं गया है।
तालिबान की अंतरिम सरकार का गठन कई मायनों में अंतराष्ट्रीय समुदाय के लिए निराशाजनक और हैरान करने वाला हो सकता है। दरअसल अंतराष्ट्रीय समुदाय की मांग थी कि सरकार में गैर-तालिबानी नेताओं को भी शामिल किया जाए। खुद तालिबान ने भी एक समावेशी सरकार के गठन का दावा किया था।
हालांकि मंत्रियों की सूची में तालिबान से बाहर किसी भी नेता को शामिल नहीं किया गया है। इतना ही नहीं तालिबान के अंतरिम मंत्रिमंडल में एक भी महिला नहीं है, जबकि इससे पहले तालिबान की ओर से जारी बयान में महिलाओं को भी सरकार करने का वादा किया था।
तालिबान के सांस्कृतिक आयोग के सदस्य एनामुल्लाह समांगानी ने 17 अगस्त को कहा था, ‘इस्लामिक अमीरात नहीं चाहता कि महिलाएं पीड़ित हों, उन्हें शरिया कानून के अनुसार सरकारी ढांचे में होना चाहिए।’ हालांकि तालिबान ने साफ किया है कि ये अंतरिम सरकार है और एक स्थायी सरकार का गठन होने तक ये सरकार का कामकाज देखेगी।
तालिबान प्रवक्ता ज़बीहुल्लाह मुजाहिद ने बताया कि "ये अस्थाई व्यवस्था सरकार का कामकाज चलाने के लिए की जा रही है।” उन्होंने कहा, ‘अभी शूरा परिषद (मंत्रिमंडल) कामकाज देखेगी और फिर आगे तय किया जाएगा कि लोग इस सरकार में कैसे भागीदारी करते हैं।’
भले ही तालिबान की जारी मंत्रियों की सूची अस्थायी है लेकिन इसे स्थायी सरकार के गठन की ओर उठे मुख्य कदम के तौर पर भी देखा जा रहा है। जैसा कि हम खाड़ी के देशों में देखते हैं, इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि अफ़ग़ानिस्तान जिसे अब इस्लामिक अमिरात घोषित किया गया है, में चुनाव का कोई महत्व नहीं रह जाएगा।
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