चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 15,683 करोड़ बकाया, यूपी के किसानों का दस हज़ार करोड़ पेंडिंग

by M. Nuruddin 3 years ago Views 2572

Sugar mills owe 12,994 crores to sugarcane farmers
देश में किसानों और कृषि की बदहाली किसी से छुपी नहीं है। सरकार खुद मानती है कि देश का हर दूसराकिसान परिवार औसतन 44 हज़ार रुपए के क़र्ज़ में दबा है लेकिन इस समस्या को बढ़ाती है सरकारी अनदेखी। अब लोकसभा में ताज़ा जारी आंकड़ों से मालूम पड़ा है कि देश के गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर 15 हज़ार करोड़ रूपये से ज़्यादा बकाया है। इनमें पिछले तीन सालों से रुका हुआ बकाया राशी भी शामिल है।

लोकसभा में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री दानवे रावसाहब दादाराव ने बताया देशभर के गन्ना किसानों का कुल बकाया 15 हज़ार 683 करोड़ रूपए है। उपभोक्ता मामलों के मंत्री ने कहा कि सरकारी और प्राइवेट चीनी मिलों ने किसानों का चीनी सीज़न 2016-17 का 1,889 करोड़, 2017-18 का 242 करोड़ और साल 2018-19 का 548 करोड़ रूपये का भुगतान नहीं किया गया है। वहीं गन्ना किसानों का 2019-20 के चीनी सीज़न का 12 हज़ार 994 करोड़ बकाया है जिसका भुगतान अबतक नहीं किया गया।


आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज़्यादा बकाया उत्तर प्रदेश के किसानों का है जोकि अब एक ज्वलनशील मुद्दा भी बन चुका है। पिछले तीन सालों से अकेले यूपी के गन्ना किसानों का दस हज़ार 174 करोड़ रूपये रुका हुआ है। इनके अलावा गुजरात के गन्ना किसानों का 863 करोड़, उत्तराखंड के किसानों का 434 करोड़, हरियाणा के किसानों का 433 करोड़ और पंजाब के गन्ना किसानों का 340 करोड़ बकाया रुपए भी नहीं चुकाए गए हैं।

केन्द्रीय मंत्री के मुताबिक़ उत्तर प्रदेश में अकेले बजाज हिन्दुस्तान की 14 मिलों पर 5,339 करोड़ रूपये बकाया है। कंपनी ने 2,378 करोड़ रूपये का भुगतान कर दिया है जबकि 2,961 करोड़ रूपये का भुगतान अभी पेंडिंग है।

यूपी के टॉप पांच जिलों की बात करें तो सबसे ज़्यादा बकाया लखीमपुर खेरी के किसानों का 992 करोड़ रूपये का भुगतान नहीं हुआ है। वहीं मेरठ के किसानों का 284.33 करोड़, शामली के किसानों का 249.24 करोड़, मुज़फ्फरनगर के किसानों का 241.63 करोड़ और गोंडा के किसानों का 214.13 करोड़ रूपये बकाया है, जिसका भुगतान अबतक नहीं किया गया है।

बता दें कि गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 के मुताबिक़ गन्ना किसानों के बकाया राशी का भुगतान 14 दिनों के भीतर किए जाने का प्रावधान है लेकिन राज्य सरकारें और खासतौर पर यूपी की सरकार इस आदेश को पूर्ण रूप से लागू करने में नाकाम रही है। यही वजह है कि किसानों को अपनी मांग के लिए हमेशा सड़कों पर उतरना पड़ता है।

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