12 दिनों के भीतर जीडीपी ग्रोथ रेट अनुमान में दूसरी कटौती, CMIE का 6.3 फीसदी का अनुमान

आर्थिक सर्वेक्षण और रिज़र्व बैंक के वित्त वर्ष 2022-23 में जीडीपी ग्रोथ अनुमानों के आंकलन के बाद अब सीएमआइई ने अपना आंकलन पेश किया है। सीएमआइई ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर एक ग्राफ साझा किया है और 2022-23 में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट के 6.3 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है।
सीएमआइई ने बताया कि यह अनुमान कोरोना वैक्सीनेशन, प्रतिबंधों में छूट, सप्लाइ चेन में सुधार और कॉन्टेक्ट इंटेंसिव इंडस्ट्रीज़ के रिवाइल, कृषि क्षेत्र में बेहतर विकास जैसे फैक्टर पर आधारित है। दूसरी तरफ महंगाई बढ़ने, ब्याज़ दर में कड़ाई, हाउसहोल्ड इन्कम में कमी जैसे कुछ फैक्टर हैं जिसकी वजह से भारत की जीडीपी ग्रोथ 2022-23 में धीमी पड़ सकती है।
इसके इतर सरकार तत्कालीन डिमांड को ध्यान में न रखकर सप्लाई-साइड पर ज़्यादा ध्यान दे रही है जिससे भारत की जीडीपी को शॉर्ट-टर्म बूस्ट मिलना मुश्किल है। सीएमआइई का मानना है कि भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट के 2022-23 में अपने पूर्व महामारी के स्तर 7.3 फीसदी पर पहुंचना मुश्किल है। सीएमआइई का अनुमान है कि प्राइवेट फाइनल कंज़ंप्शन एक्सपेंडिचर (PFCE) 2022-23 में 6.4 फीसदी की दर से बढ़ सकता है, जिसका भारतीय अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदान है। महामारी की चपेट में आए कॉन्टेक्ट-इंटेंसिव सेक्टर की मांग में सुधार से विकास को गति मिलने की उम्मीद है। भारत की 75 फीसदी अडल्ट आबादी को अबतक पूरी तरह से टीका लगाया जा चुका है और महामारी की वजह से लगाए गए प्रतिबंधों में भी ढिलाई दी जा रही है। परिवहन, मनोरंजन, रेस्तरां और होटल और शिक्षा, जो कोरोनोवायरस महामारी से पहले PFCE का एक चौथाई हिस्सा था, में 2020-21 में खपत में 20 फीसदी की कमी देखी गई थी। इनकी खपत अभी पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाई है, जिसमें 2022-23 के दरमियान सुधार की उम्मीद है।
इसके इतर सरकार तत्कालीन डिमांड को ध्यान में न रखकर सप्लाई-साइड पर ज़्यादा ध्यान दे रही है जिससे भारत की जीडीपी को शॉर्ट-टर्म बूस्ट मिलना मुश्किल है। सीएमआइई का मानना है कि भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट के 2022-23 में अपने पूर्व महामारी के स्तर 7.3 फीसदी पर पहुंचना मुश्किल है। सीएमआइई का अनुमान है कि प्राइवेट फाइनल कंज़ंप्शन एक्सपेंडिचर (PFCE) 2022-23 में 6.4 फीसदी की दर से बढ़ सकता है, जिसका भारतीय अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदान है। महामारी की चपेट में आए कॉन्टेक्ट-इंटेंसिव सेक्टर की मांग में सुधार से विकास को गति मिलने की उम्मीद है। भारत की 75 फीसदी अडल्ट आबादी को अबतक पूरी तरह से टीका लगाया जा चुका है और महामारी की वजह से लगाए गए प्रतिबंधों में भी ढिलाई दी जा रही है। परिवहन, मनोरंजन, रेस्तरां और होटल और शिक्षा, जो कोरोनोवायरस महामारी से पहले PFCE का एक चौथाई हिस्सा था, में 2020-21 में खपत में 20 फीसदी की कमी देखी गई थी। इनकी खपत अभी पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाई है, जिसमें 2022-23 के दरमियान सुधार की उम्मीद है।
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